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UP Election 2022: फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य की राह आसान नहीं,भाजपा और बसपा ने कर रखी है तगड़ी घेराबंदी

साल 1996 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले स्वामी प्रसाद बसपा के टिकट पर चार बार विधायक बने। उनकी गिनती मायावती के करीबी नेताओं में होती थी। इसी कारण वे मायावती सरकार में ताकतवर मंत्री होने के अलावा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By aman
Published on: 28 Feb 2022 7:38 AM GMT
Swami Prasad Maurya
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Swami Prasad Maurya

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले भाजपा (BJP) छोड़कर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) इस बार कुशीनगर (kushinagar) की फाजिलनगर विधानसभा सीट (Fazilnagar assembly seat) पर कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। इस सीट पर भाजपा और बसपा (BSP) प्रत्याशियों ने स्वामी प्रसाद की तगड़ी घेराबंदी कर रखी है।

इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। मगर, बसपा ने इलाके पर मजबूत पकड़ रखने वाले इलियास अंसारी (Ilyas Ansari) को चुनाव मैदान में उतारकर स्वामी प्रसाद की राह में कांटे बो दिए हैं। बसपा एससी मतदाताओं में भी सेंधमारी रोकने की कोशिश में जुटी हुई है। क्षेत्र में कुशवाहा मतदाता (Kushwaha Voters) भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। मगर, भाजपा ने सुरेंद्र कुशवाहा (Surendra Kushwaha) को चुनाव मैदान में उतारकर मौर्य की दिक्कतें और बढ़ा दी हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि इस सीट पर काफी दिलचस्प सियासी जंग हो रही है और अप्रत्याशित चुनावी नतीजे भी सामने आ सकते हैं।

सीट बदलकर फाजिलनगर से उतरे मौर्य

साल 1996 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले स्वामी प्रसाद बसपा के टिकट पर चार बार विधायक बने। उनकी गिनती मायावती के करीबी नेताओं में होती थी। इसी कारण वे मायावती सरकार में ताकतवर मंत्री होने के अलावा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। बसपा मुखिया का करीबी होने के बावजूद उन्होंने 2016 में मायावती को भारी झटका देते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बसपा छोड़ने के साथ उन्होंने मायावती पर टिकट बेचने का बड़ा आरोप लगाया था। 2017 के चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें जीत हासिल हुई थी। इस बार वे अपनी सीट बदलकर फाजिलनगर में किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।

बसपा प्रत्याशी बना बड़ी मुसीबत

अब बसपा मुखिया मायावती ने पुराना हिसाब चुकाते हुए स्वामी प्रसाद की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। दरअसल बसपा प्रत्याशी इलियास अंसारी पहले सपा में थे और फाजिलनगर क्षेत्र से टिकट के प्रबल दावेदार थे। स्वामी प्रसाद को सपा की ओर से चुनाव मैदान में उतारे जाने के कारण उनका पत्ता साफ हो गया। सपा का टिकट कटने के बाद वे फूट-फूट कर रोने लगे थे। ऐसे में उन्हें बसपा मुखिया मायावती का सहारा मिला। बसपा ने पहले फाजिलनगर से संतोष तिवारी को चुनाव मैदान में उतारा था मगर स्वामी प्रसाद की चुनावी राह में मुश्किलें पैदा करने के लिए मायावती ने संतोष तिवारी की जगह इलियास अंसारी को चुनाव मैदान में उतार दिया। इलियास अंसारी सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष रहे हैं और उनकी इलाके पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। उन्हें क्षेत्र का कद्दावर अल्पसंख्यक नेता माना जाता है और मुस्लिम मतों पर भी उनकी मजबूत पकड़ है। अब इलियास अंसारी स्वामी प्रसाद की जीत की राह में बड़ी दीवार बनकर खड़े हो गए हैं।

भाजपा ने भी लगा रखी है पूरी ताकत

बसपा प्रत्याशी के साथ ही भाजपा भी इस विधानसभा सीट पर पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने इस सीट पर सुरेंद्र सिंह कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है। सुरेंद्र के पिता गंगा सिंह कुशवाहा की फाजिलनगर विधानसभा सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2012 और 2017 के चुनाव में उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल करके इस बात को साबित भी किया है। कुशवाहा और अन्य ओबीसी जातियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने सुरेंद्र कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारकर स्वामी प्रसाद की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सुनील उर्फ मनोज सिंह भी मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस चुनाव क्षेत्र में तीन मजबूत प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में होने के कारण त्रिकोणीय त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। तीनों प्रत्याशी पूरी ताकत के साथ चुनावी जीत हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं और ऐसे में किसी अप्रत्याशित नतीजे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

जातीय समीकरण साधने की कोशिश

क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 90 हजार से ज्यादा है। सपा के टिकट पर उतरे स्वामी प्रसाद मुस्लिम वोट बैंक पर नजरें गड़ाए हुए हैं जबकि बसपा प्रत्याशी इलियास अंसारी इस वोट बैंक में सेंधमारी कुछ रोकने की कोशिश में जुटे हुए हैं। क्षेत्र में मुस्लिमों के बाद एससी मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 45 हजार है। इस वोट बैंक के लिए भी कड़ी सियासी जंग हो रही है। कुशवाहा और यादव मतदाताओं की संख्या क्रमशः 38 और 30 हजार है। इनके अलावा वैश्य, ब्राह्मण, चनऊ, कुर्मी, गोंड़, निषाद और भूमिहार मतदाताओं को भी साधने की कोशिश की जा रही है।

भाजपा को मिली थी बड़ी जीत

पिछले विधानसभा चुनाव में गंगा सिंह कुशवाहा ने भाजपा के टिकट पर बड़ी जीत हासिल करते हुए सपा प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह को हराया था। गंगा सिंह कुशवाहा को 1,02,778 मत हासिल हुए थे जबकि सपा प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह 60,856 मत ही हासिल कर सके थे। इस बार सपा, बसपा और भाजपा तीनों दलों ने चुनावी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है और ऐसे में फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य की राह आसान नहीं मानी जा रही है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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