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UP Election 2022: तीसरे चरण में सपा को गढ़ बचाना, तो बीजेपी को रिकॉर्ड कायम रखने की चुनौती
UP Election 2022: तीसरे चरण में जहां भाजपा (BJP) अपना पुराना रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सामने अपना किला बचाने की चुनौती है।
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश (Up Election 2022) में दो चरण का मतदान संपन्न हो चुका है तीसरे चरण के लिए 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटें शामिल हैं, इस चरण में जहां भाजपा (BJP) अपना पुराना रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सामने अपना किला बचाने की चुनौती है।
तीसरे चरण की ज्यादातर सीटें समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती रही हैं और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के जिले में भी मतदान (Voting) होना है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने यहां की 59 सीटों में से रिकॉर्ड 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि सपा (Sp) अपने ही घर में बुरी तरह से पराजित हुई थी और उसे सिर्फ 8 सीटें मिली थी। बसपा और कांग्रेस की झोली में एक-एक सीट गई थी।
20 फरवरी को तीसरे चरण में वोटिंग
2017 की हार को बुलाकर इस बार समाजवादी पार्टी ने अपने गढ़ में मुस्लिम यादों के साथ ही दूसरी जातियों को साध कर भाजपा को पराजित करने की रणनीति तैयार की है तो वहीं भाजपा भी अपनी पुरानी जीत को बरकरार रखने के लिए सभी दांव आजमा रही है। 20 फरवरी को तीसरे चरण में जिन जिलों में वोटिंग होनी है उसमें कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, एटा, मैनपुरी कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, महोबा, हाथरस, झांसी जालौन, ललितपुर, कासगंज शामिल है।
यह जिले बुंदेलखंड में आते हैं और बुंदेलखंड की सबसे बड़ी समस्या पानी और रोजगार की है। इस बार यहां का चुनाव बीजेपी के साथ ही सपा और बसपा के लिए काफी अहम है। क्योंकि 2017 के चुनाव में बुंदेलखंड में भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की थी और बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुला था।
असीम अरुण भी कन्नौज सदर सीट से चुनाव मैदान में
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा रालोद और पूर्वांचल में सपा-सुभासपा के साथ कुछ छोटे दलों के तालमेल से भाजपा का समीकरण बिगड़ सकता है। इसलिए वह तीसरे और चौथे चरण की ज्यादातर सीटें जीतना चाहेगी और इसके लिए वह पूरी तरह ताकत भी झोंक दी है। तीसरे चरण में अखिलेश यादव और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि यह दोनों नेता इसी क्षेत्र से आते हैं।
यूपी के प्रदेश अध्यक्ष वतन देव सिंह बुंदेलखंड के जालौन जिले से आते हैं वह उरई के रहने वाले हैं और कुर्मी समाज के बड़े नेता के तौर पर उनकी पहचान है 2017 के चुनाव में जब भाजपा की विजय हुई तो स्वतंत्र सिंह मंत्री बने थे उसके बाद उन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी और प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे कुर्मी मतदाताओं के साथ पिछड़ों को साधने की बड़ी रणनीति है। इसके साथ ही यहां आईपीएस की नौकरी छोड़ बीजेपी से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले असीम अरुण भी कन्नौज सीट से कन्नौज सदर सीट से चुनाव मैदान में है उनके पास खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका है वहीं जाटव वोट बैंक को साधने की भी जिम्मेदारी है।
सपा को जीत की उम्मीद
समाजवादी पार्टी को इस बार भरोसा है कि वह अपने घर में अच्छा प्रदर्शन करेगी। इसके लिए उन्होंने यादव और मुस्लिम समीकरण के साथ ही ओबीसी की दूसरी जातियों को साध कर वह बीजेपी को पराजित करने की अपनी रणनीति तैयार की है। अखिलेश यादव अपना गढ़ बचाने के लिए खुद करहल से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके इस फैसले से यहां के समीकरण भी बदले हैं, इसके अलावा इस बार चाचा शिवपाल भी उनके साथ हैं 2017 के चुनाव में परिवार की बगावत का खामियाजा भी उन्हें इस चरण में भुगतना पड़ा था। जहां भाजपा ने 49 सीटों पर जीत हासिल की थी और सपा सिर्फ 8 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।
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