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Up Election 2022: 'नेताजी' बने पशुपालन मंत्री तो साथी ही मारने लगे थे ताना, पढ़ें दिलचस्प किस्सा

Up election 2022: मुलायम सिंह यादव ने छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।

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Written By amanPublished By Ragini Sinha
Published on: 28 Sept 2021 6:59 AM IST
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नेताजी' बने पशुपालन मंत्री तो साथी ही मारने लगे थे ताना (Social Media)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को एक ऐसे राजनेता के रूप में जाने जाते हैं जो बेहद साधारण परिवार से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं। मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन्हें एक बार देश के रक्षा मंत्री के रूप में भी सेवा देने का सौभाग्य मिला। मुलायम सिंह को दुनिया प्यार से 'नेताजी' भी कहती हैं।

मुलायम सिंह यादव ने छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। छात्र नेता के रूप में ही इन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद वो उत्तर प्रदेश के जसवंत नगर सीट से पहली बार विधायक बने। इसके बाद लगातार तीन बार मुलायम विधायक चुने गए। बाद में उन्हें पहली बार उत्तर प्रदेश की जनता पार्टी सरकार में मंत्री का पद मिला। वर्ष 1977 में यूपी में हुए चुनाव के बाद सूबे में जनता पार्टी की सरकार बनी। इस सरकार में मुख्यमंत्री बने राम नरेश यादव।

मंत्रालय को लेकर दोस्त चिढ़ाते थे

कहा जाता है, यही वो दौर था जब राम नरेश यादव की नजर पहली बार मुलायम सिंह यादव पर गई। मुलायम तीसरी बार चुनाव जीतकर यूपी विधानसभा में पहुंचे थे। मुलायम सिंह यादव को राम नरेश यादव की सरकार में सहकारिता और पशुपालन मंत्री बनाया गया। एक राष्ट्रीय खबरिया वेबसाइट में छपी खबर की मानें, तो मुलायम सिंह यादव को उस दौरान कोई गंभीरता से नहीं लेता था। खासकर उनके साथी। मुलायम सिंह के दोस्त उनकी जाति की ओर इशारा करते हुए कहते थे, कि बचपन से जो काम करते आए हैं, मंत्रालय भी वैसा ही मिला।

साथियों के तानों को हुनर में बदला

हालांकि, मुलायम सिंह यादव बेहद गंभीर व्यक्तित्व के नेता रहे हैं। उन्हें साथियों की इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वो तो बस अपना काम ठीक ढंग से करना चाहते थे। साथियों के इन तानों को मुलायम सिंह यादव ने अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने अपने काम को और निखारना शुरू किया। नतीजा सामने था। सहकारिता मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह ने कई बड़े बदलाव किए। कोऑपरेटिव कमेटी के लिए रास्ता साफ किया। आज भी मुलायम सिंह यादव के पशुपालन और सहकारिता मंत्री रहते काम को याद किया।

अजित सिंह से बढ़ा था टकराव

साल 1987 में चौधरी चरण सिंह का देहांत हो गया। उनके निधन तक के कालखंड में मुलायम सिंह यादव का कद राजनीति में काफी बढ़ चुका था। अब पार्टी में नेतृत्व को लेकर मुलायम सिंह यादव और अजीत सिंह के बीच टकराव तेज हो चली थी। स्व. चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजीत सिंह उस दौरान राज्यसभा के सदस्य थे। उन्होंने लोकदल के नेताओं को साथ किया। अजीत सिंह ने पार्टी नेताओं से कहा, कि वह मुलायम सिंह को नेता प्रतिपक्ष पद से बेदखल करें। लेकिन मुलायम सिंह भी राजनीति के मंझे खिलाड़ी थे, उन्हें अजीत सिंह के इरादों की भनक लग गई थी।

चार बार प्रदेश में बनी सपा सरकार

कुछ साल बाद 1992 में मुलायम सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली। जिसका नाम 'समाजवादी पार्टी' रखा। यह पार्टी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह स्थापित नाम है। यूपी में समाजवादी पार्टी की जड़ें मजबूत करने में 'नेताजी' का अमूल्य योगदान माना जाता है। इस पार्टी ने प्रदेश में कुल चार बार सरकार बनाई। तीन बार वह खुद मुख्यमंत्री रहे, जबकि चौथी बार साल 2012 में उनके बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी।



Ragini Sinha

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