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UP ELECTION 2022: पहले चरण में योगी सरकार के इन मंत्रियों की परीक्षा, पश्चिम से निकलेगा बड़ा सियासी संदेश

Up Election 2022 : 10 फरवरी को यूपी विधानसभा के पहले चरण का मतदान होगा। इसमें योगी सरकार (Yogi sarkar) के 9 मंत्रियों की किस्मत का फैसला होना है।

Anshuman Tiwari
Report Anshuman TiwariPublished By Ragini Sinha
Published on: 30 Jan 2022 12:20 PM IST
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UP ELECTION 2022: पहले चरण में योगी सरकार के इन मंत्रियों की होगी परीक्षा (Social Media)

Up Election 2022 : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पहले चरण के मतदान की तारीख धीरे-धीरे नजदीक आ रही है। 10 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर मतदान होना है। 2017 के विधानसभा चुनाव (Vidhansabha election) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा (Bjp) ने इस बार भी पूरी ताकत लगा रखी है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) और राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriy lok dal) के गठबंधन ने भाजपा (Bjp) की घेराबंदी में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। बसपा (Bsp) और कांग्रेस (Congress) के प्रत्याशी भी अपनी ताकत साबित करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

योगी सरकार के किन मंत्रियों की किस्मत का फैसला होगा

पहले चरण के मतदान में योगी सरकार (Yogi sarkar) के 9 मंत्रियों की किस्मत का फैसला होना है। मतदाता निश्चित रूप से इन मंत्रियों की ओर से किए गए काम के आधार पर ही उनका मूल्यांकन करेंगे। इसीलिए पहले चरण के मतदान में उतरे योगी सरकार (Yogi adityanath government) के मंत्री मतदाताओं के बीच अपनी उपलब्धियों का प्रचार करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पहले चरण में योगी सरकार के किन मंत्रियों की किस्मत का फैसला होगा और ये मंत्री किन चुनाव क्षेत्रों से मतदाताओं का विश्वास हासिल करने के लिए मैदान में उतरे हैं।

श्रीकांत शर्मा

योगी सरकार में बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा एक बार फिर मथुरा शहर विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं। 2017 में वे पहली बार चुनावी अखाड़े में कूदे थे और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदीप माथुर को पराजित कर दिया था। तीन बार लगातार चुनाव जीतने के बाद 2017 में प्रदीप माथुर को पहली बार हार का मुंह देखना पड़ा था। मथुरा सीट पर वे 2002,2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे मगर 2017 में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी। श्रीकांत शर्मा ने प्रदीप माथुर को एक लाख से ज्यादा मतों से पराजित किया था। अयोध्या और काशी के साथ मथुरा भी भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है। मथुरा से निकला सियासी संदेश काफी दूर तक जाएगा। इसीलिए भाजपा की ओर से इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगाई जा रही है।

सुरेश राणा

शामली जिले की थाना भवन सीट भी सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस सीट से एक बार फिर योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा किस्मत आजमाने के लिए उतरे हैं। सुरेश राणा 2012 और 2017 में जीत हासिल करने के बाद 2022 में भी जनता का भरोसा जीतने के लिए चुनावी अखाड़े में कूदे हैं। उन्हें भाजपा का फायरब्रांड नेता माना जाता रहा है और मुजफ्फरनगर दंगे में भी उनका नाम सामने आया था। 2012 में उन्होंने रालोद के अशरफ अली पर मात्र 265 मतों से जीत हासिल की थी मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के अब्दुल वारिस खान को 16 हजार से अधिक मतों से हराया था। सुरेश राणा के चुनाव मैदान में उतरने से थानाभवन सीट पर भी हर किसी की नजर लगी हुई है।

संदीप सिंह

अलीगढ़ जिले की अतरौली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उनके परिवार का दबदबा रहा है। इस सीट से किस्मत आजमाने के लिए भाजपा ने एक बार फिर कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। योगी सरकार में राज्य मंत्री संदीप सिंह ने 2017 के चुनाव में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस सीट पर कल्याण सिंह ने 1967 में पहली बार जीत हासिल की थी और उसके बाद लगातार उनका इस सीट पर दबदबा बना रहा। कल्याण सिंह और उनका परिवार इस सीट पर 11 बार जीत हासिल कर चुका है। कल्याण सिंह के निधन के बाद हो रहे पहले चुनाव में संदीप सिंह पर एक बार फिर परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है।

अतुल गर्ग

योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री अतुल गर्ग एक बार फिर किस्मत आजमाने के लिए गाजियाबाद विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के सुरेश बंसल को भारी मतों से हराया था। अतुल गर्ग ने 70,505 मतों से जीत हासिल की थी। भाजपा ने एक बार फिर इस सीट से अतुल गर्ग पर ही भरोसा जताया है। सपा-रालोद के गठबंधन के कारण इस बार अतुल गर्ग की चुनौतियां काफी बढ़ी हुई है और उन्हें एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा गया है।

दिनेश खटीक

मेरठ जिले की हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर योगी सरकार के बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री दिनेश खटीक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वे पहली बार चुनावी अखाड़े में कूदे थे और उन्होंने इस पहली लड़ाई में ही जीत हासिल की थी। उन्होंने बसपा के योगेश वर्मा को हराकर जीत का सेहरा बांधा था। मवाना के फलावदा कस्बे के रहने वाले दिनेश खटीक शुरुआत से ही संघ के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उनके पिता ने भी संघ के कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। भाजपा की ओर से 2017 में उन्हें पहली बार विधानसभा का टिकट दिया गया था और पार्टी ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया है।

अनिल शर्मा

योगी सरकार के एक और मंत्री अनिल शर्मा की किस्मत का फैसला बुलंदशहर जिले के शिकारपुर विधानसभा सीट पर होगा। इस विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है क्योंकि यहां पर पार्टी ने पांच बार जीत हासिल की है। अनिल शर्मा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने बसपा के मुकुल उपाध्याय को 50 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। भाजपा ने एक बार फिर शिकारपुर विधानसभा सीट पर अनिल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट का फैसला भी पहले चरण में ही 10 फरवरी को होना है।

चौधरी लक्ष्मीनारायण

मथुरा जिले की छाता विधानसभा सीट से योगी सरकार के एक और मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण चुनाव मैदान में उतरे हैं। चौधरी लक्ष्मीनारायण की इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और उन्होंने इस सीट से 1996 में पहली बार जीत हासिल की थी। तब उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी जबकि 2007 में वे बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्हें मायावती की सरकार में भी मंत्री बनाया गया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। वे इस सीट से चार बार अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं और भाजपा ने एक बार फिर उन्हें छाता विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।

डॉ.जी एस धर्मेश

आगरा की छावनी विधानसभा सीट पर डॉक्टर जी एस धर्मेश को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा गया है। आगरा के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर धर्मेश को योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनने का मौका मिला था। पहले वे कांग्रेस पार्टी में थे मगर 1994 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था मगर पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने आगरा छावनी सीट पर 45,000 मतों से जीत हासिल की थी। पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।

कपिलदेव अग्रवाल

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण माने जाने वाली मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा सीट से कपिल देव अग्रवाल चुनाव मैदान में उतरे हैं। योगी सरकार के मंत्री अग्रवाल ने 2017 में इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप बंसल को 10,704 मतों से हराया था। इस बार बदले हुए सियासी हालात में उन्हें अपनी ताकत दिखानी है। सपा और रालोद के गठबंधन के बाद इस बार यहां कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। मुजफ्फरनगर के चुनावी नतीजे का बड़ा सियासी संदेश माना जाएगा और इसीलिए भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत के साथ लगी हुई है।

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Ragini Sinha

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