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Up Election 2022: जब सम्राट मिहिर भोज का प्रकरण कोर्ट को हल करना है, फिर ये सस्ती राजनीति क्यों?
Up Election2022: सपा प्रमुख ने कहा कि छलवश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जान-बूझकर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन करके किसी एक पक्ष को अपनी तरफ करती रही है।
Up Election2022: सम्राट मिहिर भोज (Raja Mihir Bhoj) के मुद्दे पर योगी सरकार ( yogi Adityanath government) को घेरने की रणनीति पर अब सूबे में सपा व बसपा ने अमल करना शुरू कर दिया है।दोनों ही दलों के इन दोनों दिग्गज नेताओं ने इस मुद्दे को यूपी की राजनीति (up political News) में हवा देना शुरू कर दिया है। इस मामले को सपा व बसपा ने तूल तब दिया जब सीएम योगी सम्राट मिहिर भोज मूर्ति का अनावरण कर आये।सपा-बसपा के इन नेताओं ने इस मुद्दे पर सीएम योगी पर यह आरोप लगा दिया है कि देश के महापुरुषों की जाति बदलने की राजनीति कर रही है सरकार।क्या वास्तव में योगी सरकार ने राजा मिहिर भोज की जाति बदलने का प्रयास किया है?इस विवाद की जड़ क्या है और यह विवाद कहाँ से शुरू हुआ है?वास्तव में राजा मिहिर भोज कौन थे?कौन करेगा इस मसले पर निर्णय?ऐसे ही महत्वपूर्ण सवालो के जवाब हमने खोजने की कोशिश की है।
इस मुद्दे पर अखिलेश यादव का ट्वीट
इस मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट के माध्यम से योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया है।उन्होंने कहा कि ये इतिहास में पढ़ाया जाता रहा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे, पर भाजपाइयों ने उनकी जाति ही बदल दी है,यह निन्दनीय है।अपने इस ट्वीट में आगे सपा प्रमुख ने कहा कि छलवश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जान-बूझकर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन करके किसी एक पक्ष को अपनी तरफ करती रही है।हम हर समाज के मान-सम्मान के साथ हैं।
मायावती के आये दो ट्वीट
इस मामले में बसपा सुप्रीमों मायावती के दो ट्वीट आये हैं।उन्होंने अपने पहले ट्वीट में लिखा है कि अभी हाल ही में 22 सितम्बर, 2021 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की दादरी में यूपी सरकार के द्वारा लगाई गई प्रतिमा का मा.मुख्यमंत्री ने गुर्जर शब्द के हटी हुई स्थिति में अनावरण किया है,उससे गुर्जर समाज की भावनाओं को जबरदस्त ठेस पहुंची है तथा वे काफी दुःखी व आहत हैं।जबकि मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि गुर्जर समाज के साथ ऐसी छेड़छाड़ करना अतिनिन्दनीय है। सरकार इसके लिये माफी मांगे व साथ ही प्रतिमा में इस शब्द को तुरंत जुड़वाए।बीएसपी की यह मांग है।
जब यूपी में यह विवाद खत्म हो गया था,तब हवा किसने दी?
सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश से सुलगी यह चिंगारी राजनीति की हवा में उड़ते-उड़ते दादरी तक आ गयी।यहां के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर गुर्जर और राजपूत(क्षत्रिय)समाज आमने-सामने थे।हालांकि सीएम योगी के दौरे से पूर्व समुदाय के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर आकर विवाद खत्म कर दिया था। लेकिन सीएम के प्रतिमा अनावरण के लिए लगने वाले शिलापट्ट और गुर्जर शब्द को लेकर राजनीति फिर शुरू हो गयी।जब इस मसले पर दोनों समुदाय के प्रतिनिधियों ने गले मिलकर सारे शिकवे दूर कर लिए थे फिर इस जाति की चिंगारी में घी डालने का काम क्यो किया गया?और किसने किया?यह वो सवाल है जिसका उत्तर खोजा जाना चाहिए।
सीएम ने कहा-महापुरुषों को एक जाति में बांधना गलत है
दादरी में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति अनावरण के मौके पर सीएम योगी ने अपने उद्बोधन में स्मार्ट मिहिर भोज से लेकर धन सिंह कोतवाल व ठाकुर रोशन सिंह को खूब याद किया।सीएम योगी ने इस बात पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की कि इन वीर महापुरुषों को सदियों तक याद नहीं किया गया।उन्होंने यह भी कहा कि ये महापुरुष एक जाति के नहीं थे बल्कि सब जातियों के थे।
यूपी का नहीं बल्कि एमपी का है यह विवाद
सम्राट मिहिर भोज की जाति के मुद्दे पर यूपी से नही बल्कि यह चिंगारी एमपी से सुलगना शुरू हुई थी।जिसकी आंच में अब घी डालने का काम यूपी में सपा-बसपा ने शुरू कर दिया है।मध्यप्रदेश के ग्वालियर चम्बल सम्भाग में पिछले दिनों हिंसक घटनाएं भी घटित हुई हैं।एमपी की कानून व्यवस्था को राजपूत व गुर्जर समाज के उग्र प्रदर्शन लगातार चुनोती दे रहे हैं।गत गुरुवार को ग्वालियर में दोनों के मध्य इस मुद्दे को लेकर हिंसक घटनाएं भी हुईं हैं।
आखिर स्मार्ट मिहिर भोज किस जाति के थे:इतिहासकारों की राय
इन सन्दर्भ ने देश के इतिहासकारों का मानना है कि भारत में जितने भी शासक हुए है , उनका जन्म या तो कृष्ण से माना गया है या फिर राम से।सम्राट मिहिर भोज को भी राम का वंशज बताया जाता है।ग्वालियर के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि इतिहास में सम्राट मिहिर भोज का उल्लेख राजपूत सम्राट के रूप में है।जो गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक थे।अब राजपूत कौन है,इसकी परिभाषा क्या है?इसका कोई जिक्र नहीं है।उनका कहना है कि दूसरों की रक्षा करने वाला भी राजपूत होता है।साथ ही सम्राट व राजा सब जातियों का होता है।प्रयागराज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे केसी श्रीवास्तव लिखते हैं कि प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति में गुर्जर-प्रतिहार वंश की उत्पत्ति की तरह राजपूत वंश की उत्पत्ति भी विवाद ग्रस्त है।इतिहासकार सीवी वैध,जीएस ओझा,दशरथ शर्मा जैसे अनेक विद्वान इस शब्द का अर्थ गुर्जर देश का प्रतिहार अर्थात शासक से लगाते हैं।के एम मुंशी ने विभिन्न उदाहरणों से यह सिद्ध किया है कि गुर्जर शब्द स्थानवाचक है न कि जातिवाचक।
जब निर्णय न्यायालय को करना है तो फिर ये सस्ती राजनीति क्यो?
इस मुद्दे की चिंगारी मध्यप्रदेश से सुलगाई गयी है।अब इस चिंगारी पर पानी भी न्यायालय को ही डालना है।उस मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में विचाराधीन है।अब कोर्ट इस मसले पर जो भी निर्णय देगा, वो सभी को मानना है।तो अब सवाल यह है कि फिर सड़क पर झगड़ा क्यों? सूत्र बताते हैं कि दोनों पक्षों को ग्वालियर के डीएम एसएसपी ने बुलाकर यह समझा भी दिया है कि दोनों पक्ष इस संदर्भ में कोर्ट के निर्णय के आने का इंतजार करें।जो कोर्ट का निर्णय आएगा वह सभी को मान्य होगा।
अब यूपी को जलाने का प्रयास न हो यही समाज के लिए हितकर है
जब यह मसला एमपी हाईकोर्ट को ही तय करना है तो फिर विपक्ष इस मुद्दे पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक कर समाज में आग क्यो लगाना चाहता है?जबकि सीएम योगी ने भी सरकार का मंतव्य साफ कर दिया है कि महापुरुष किसी एक जाति के नहीं बल्कि पूरे देश व समाज का प्रतिनिधत्व करते हैं।क्या महात्मा गांधी,लोहिया,पेरियार जैसे महापुरुष मात्र एक ही जाति के महापुरुष थे?वे तो पूरे समाज व देश के महापुरुष थे।उनके दिए गए उपदेश भी किसी एक खास जाति के लिये नहीं बल्कि पूरे देश व समाज के लिए हैं।ये विपक्ष को समझना होगा। सीएम योगी के दौरे से पूर्व समुदाय के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर आकर विवाद खत्म कर दिया था ।लेकिन सीएम के प्रतिमा अनावरण के लिए लगने वाले शिलापट्ट ओर गुर्जर शब्द को लेकर राजनीति फिर शुरू हो गयी।