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UP Election: यूपी में मायावती Vs बेबीरानी, जानिए- क्यों दोनों दलों के लिए अहम है जाटव मतदाता

UP Election: चुनाव से पहले बीजेपी ने भी बड़ा दांव चलते हुए मायावती और चंद्रशेखर के मुकाबले बेबीरानी मौर्य (Baby rani Maurya) को मैदान में उतार कर दलितों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootPublished By Shweta
Published on: 24 Sep 2021 1:38 PM GMT
पी में मायावती Vs बेबीरानी, जानिए- क्यों दोनों दलों के लिए अहम है जाटव मतदाता
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पी में मायावती Vs बेबीरानी, जानिए- क्यों दोनों दलों के लिए अहम है जाटव मतदाता (डिजाइन फोटोः सोशल मीडिया)

UP Election: जब से पंजाब में कांग्रेस ने दलित कार्ड खेला है। तबसे यूपी की सियासत में भी दलित वोटरों को लेकर राजनीति तेज हो गई है। यूपी में दलित चेहरे के तौर पर सबसे बड़ा नाम मायावती (Mayawati) का है तो दूसरा उभरता सितारा भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) का है। बीजेपी (BJP) को इस बात का अहसास हो गया है कि कहीं 2022 में दलित उससे छिटक ना जाएं।

ऐसे में चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने भी बड़ा दांव चलते हुए मायावती और चंद्रशेखर के मुकाबले बेबीरानी मौर्य (Babyrani Maurya) को मैदान में उतार कर दलितों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। भाजपा आलाकमान ने उत्तराखंड की पूर्व उपराज्यपाल बेबीरानी मौर्य को पार्टी उपाध्यक्ष बनाकर यूपी के रण के लिए तैयार कर लिया है।

बेबीरानी मौर्य भाजपा का दलित चेहरा

बेबी रानी मौर्य और मोदी

भाजपा ने उत्तराखंड में बेबीरानी मौर्य को राज्यपाल बनाकर उस वक्त बड़ा दांव चला, अब जब इन दोनों राज्यों में एक साथ विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है तो उनकी एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में एंट्री करा दी है, भाजपा ने बेबीरानी मौर्य को बड़े दलित चेहरे के रूप में आगे कर मायावती के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए उन्हें चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति बनाई है। जो पूरे प्रदेश में जनसभा कर जाटव वोट बैंक को साधने का काम करेंगी।

बेबीरानी मौर्य पूरे प्रदेश में करेंगी जनसभा

बेबी रानी मौर्य (फोटोः सोशल मीडिया)

भाजपा उपाध्यक्ष बनने के बाद अब बेबीरानी मौर्य दलित वोटरों खासकर जाटव वोट बैंक को साधने के लिए पूरे प्रदेश का दौरा कर जनसभाएं करेंगी। बेबीरानी मौर्य ब्रज, पश्चिम, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, काशी और गोरखपुर क्षेत्र में एक-एक रैली को संबोधित करने के साथ सभी 75 जिलों में चुनावी सभाएं और सम्मेलन भी करेंगी।

यूपी में 21 फीसदी दलित दो हिस्सों में बंटा हुआ है

कॉन्सेफ्ट फोटो ( सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश में करीब 21 फीसदी दलित मतदाता हैं, जिसमें 11 फीसदी जाटव और 10 फीसदी गैर-जाटव दलित हैं। 2017 में भाजपा को 85 दलित आरक्षित सीटों में से 69 सीटों पर जीत मिली थी और 39 फीसदी वोट मिले थे। जबकि सपा को इनमें से केवल सात सीटें मिली थीं। बसपा को सिर्फ दो सीटें हीं मिल पाई थीं। अब 2017 में मिली इसी जीत को दोहराने के लिए एक बार फिर भाजपा दलितों को साधने में जुट गई है।हालांकि इस बार सत्ता विरोधी लहर और चंद्रशेखर आजाद के दखल के बाद भाजपा की राह इतनी आसान होती नहीं दिखाई दे रही है।

मोदी कैबिनेट में तीन दलित मंत्री

पीएम मोदी (फोटोः सोशल मीडिया)

मोदी कैबिनेट पर नजर डालेंगे तो इसमें भी आपको यूपी चुनाव की झलक नजर आएगी। मोदी सरकार ने यूपी के गैर-जाटव दलित समुदाय के तीन मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी है। कौशल किशोर (जाति से पासी), एसपी बघेल (गडेरिया-धनगर) और भानु प्रताप वर्मा (कोरी)- को शामिल किया है। जिसके जरिए 2022 के चुनाव में दलित वोटों को साधने की बीजेपी रणनीति है। इसके अलावा बेबीरानी मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी देकर भाजपा अपना दलित समीकरण और भी ठीक करने में जुट गई है।

यूपी का जातीय समीकरण

बता दें कि यूपी के जातिगत समीकरणों पर नजर डालें तो इस राज्य में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग है। प्रदेश में सवर्ण जातियां 25 फीसदी हैं, जिसमें ब्राह्मण 12 फीसदी हैं. वहीं, पिछड़े वर्ग की संख्या 35-37 फीसदी के आसपास है। इसमें यादव,06 कुर्मी, सैथवार तीन फीसदी, मल्लाह तीन फीसदी से कुछ कम, लोध दो फीसदी जाट तीन, विश्वकर्मा एक फ़ीसदी से थोड़ी अधिक, गुर्जर दो फीसदी और अन्य पिछड़ी जातियों की तादाद 7 फीसदी है. इसके अलावा प्रदेश में अनुसूचित जाति 21,फीसदी हैं । मुस्लिम आबादी 18 फीसदी है.

पश्चिमी यूपी और ब्रज में जाटव मतदाता की संख्या ज्यादा

मायावती (फोटोः सोशल मीडिया)

ब्रज और पश्चिम के जिलों में खासतौर पर जाटव वोट बैंक पर मायावती का कब्जा माना जाता है। आगरा की बेबीरानी मौर्य भी जाटव समाज से हैं। पार्टी ने पश्चिम एवं ब्रज के साथ पूरे प्रदेश में जाटव वोट बैंक को साधने के लिए बेबीरानी पर दांव खेला है। बुधवार को प्रदेश मुख्यालय में चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान की पहली चुनावी बैठक में बेबीरानी को लेकर योजना बनाई गई। अक्तूबर-नवंबर में बेबीरानी मौर्य की हर क्षेत्र में एक-एक बड़ी सभा कराई जाएगी, इसमें क्षेत्र के सभी जिलों की दलित एवं अति दलित जातियों के साथ खासतौर पर जाटव समाज के लोगों को जुटाने का प्रयास किया जाएगा। क्षेत्रों के बाद दिसंबर से लेकर चुनाव तक हर जिले में बेबीरानी मौर्य की एक-एक बड़ी सभा कराई जाएगी। उनकी सभाओं के लिए प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत को समन्वयक नियुक्त किया गया है।

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