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UP News: 4 दिसंबर से शुरू होगा सभी फार्मेसिस्ट आंदोलन, पूरे UP के CMO कार्यालयों पर देंगे धरना, इन मांगों को लेकर भरेंगे हुंकार

UP News: फार्मेसिस्टों का आंदोलन 4 दिसम्बर से शुरू हो रहा है। संघ के अध्यक्ष संदीप बडोला एवं महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि 5 दिसम्बर से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे, जो आगे चलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जायेगा। लखनऊ में धरना कैसरबाग सीएमओ कार्यालय पर पूरे दिन चलेगा।

Shashwat Mishra
Report Shashwat MishraPublished By Deepak Kumar
Published on: 3 Dec 2021 10:23 PM IST
Lucknow News in Hindi All pharmacists movement will start from 4th December protest at UP CM office
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उत्तर प्रदेश डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन।  

UP News: उत्तर प्रदेश डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन (Uttar Pradesh Diploma Pharmacist Association) के लगातार सरकार और शासन को पत्रों के माध्यम से अपनी मांगों से अवगत कराता रहा है, लेकिन शासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही। सीमित औषधियों के प्रिस्क्रिप्शन लिखने के अधिकार दिए जाने का प्रस्ताव, पद नाम परिवर्तन का प्रस्ताव शासन में लंबित है। कार्य एवं दायित्व को देखते हुए वेतन उच्चीकरण की मांग पर वेतन कमेटी की रिपोर्ट पिछले 5 साल से वित्त विभाग में धूल खा रही है।" ये बातें उत्तर प्रदेश फार्मेसी कौंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव ने कही। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश भर के सभी सीएमओ कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन और मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ ही प्रदेश के फार्मेसिस्टों का आंदोलन 4 दिसम्बर से शुरू हो रहा है।

5 से 8 दिसंबर तक काला फीता बांधकर करेंगे विरोध

संघ के अध्यक्ष संदीप बडोला (President Sandeep Badola) एवं महामंत्री उमेश मिश्रा (General Secretary Umesh Mishra) ने कहा कि "5 दिसम्बर से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे, जो आगे चलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल (indefinite strike) में बदल जायेगा। लखनऊ में धरना कैसरबाग सीएमओ कार्यालय (Kaiserbagh CMO Office) पर पूरे दिन चलेगा, जिसका नेतृत्व जिला अध्यक्ष अरुण अवस्थी और मंत्री अखिल सिंह द्वारा किया जाएगा। इस धरने में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लोहिया संस्थान, बलरामपुर चिकित्सालय, सिविल अस्पताल, लोक बंधु राजनारायण, रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय, अवंतीबाई, झलकारीबाई, ठाकुरगंज, बीआरडी महानगर, 100 बेड बीकेटी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत फार्मेसी संवर्ग के अधिकारी-कर्मचारी भागीदारी करेंगे।"

ये हैं 20 सूत्रीय मांग:-

• वेतन उच्चीकरण।

• प्रिस्क्रिप्शन अधिकार।

• संवर्ग पुनर्गठन।

• पदनाम परिवर्तन।

• सीएचओ में हो फार्मेसिस्टों की नियुक्ति।

• उपकेंद्र पर पदों का सृजन हो।

• न्यूनतम शैक्षिक योग्यता बी.फार्म या डिप्लोमा के साथ 2 वर्ष का अनुभव किया जाए।

• सरकार कराए ब्रिज कोर्स।

• सभी ड्रग वेयर हाउस, ट्रामा सेंटर में पदों का सृजन हो।

• हर बडे अस्पताल में इमरजेंसी के लिए हों अलग से 4 इमरजेंसी फार्मेसिस्ट।

• सीएमओ कार्यालय में जिला फार्मेसी अधिकारी की तैनाती की मांग।

• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 3 फार्मेसिस्ट, 2 चीफ फार्मेसिस्ट के पद सृजित हों।

सालों से कई पद पड़े हैं खाली

उत्तर प्रदेश फार्मेसी कौंसिल (Uttar Pradesh Pharmacy Council) के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव (Former Chairman Sunil Yadav) ने कहा कि "लगभग 20 सालों से भत्तों का पुनरीक्षण नहीं हो सका है। शासन स्तर पर कई बार वार्ताओं में बनी लिखित सहमति के बाद भी उच्च पदों का सृजन नहीं हो पाया। पदों का पुनर्गठन ना होने से ज्यादातर फार्मेसिस्ट प्रोन्नति के लाभ से वंचित होकर सेवानिवृत्त हो जाते हैं। संवर्ग में सृजित दो उच्च पद विशेष कार्य अधिकारी फार्मेसी एवं संयुक्त निदेशक फार्मेसी के एकल पद विगत 5 वर्षों से रिक्त पड़े हुए हैं, प्रभारी अधिकारी फार्मेसी के लगभग 40 से अधिक पद एवं चीफ फार्मेसिस्ट के सैकड़ों पद रिक्त हैं, जिन पर पदोन्नतियां नहीं की गई। ट्रामा सेंटर में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नहीं हैं, जिससे वहां पर अन्य चिकित्सालयों के फार्मेसिस्टों को संबद्ध कर उधार से कार्य संचालित किया जा रहा है।"

फार्मेसिस्ट 24 से 48 घण्टे कर रहें कार्य

बता दें कि, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सा सुविधाएं 24 घंटे संचालित हो रही हैं, लेकिन मानक में मात्र 2 पदों के सृजन का प्रावधान है। जिससे 1-1 फार्मेसिस्ट 24 से 48 घंटे कार्य कर रहा है। शासन द्वारा ड्रग वेयरहाउस बनाये गए, मग़र उसमें पद सृजित नहीं हुए। अन्य चिकित्सालयों के फार्मेसिस्टो को संबद्ध किया गया है, जिससे वहां का कार्य प्रभावित है।

मात्र 75 रुपये प्रतिमाह प्रभार भत्ता

ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की अनुपस्थिति में फार्मेसिस्ट चिकित्सीय कार्य करते हैं, लेकिन उन्हें प्रभार भत्ता के नाम पर मात्र 75 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। साथ ही चिकित्सीय कार्य को अभी तक विधिक मान्यता नहीं दी गई। संघ का कहना है कि उनकी सभी मांगें न्यायोचित एवं जनहित में हैं। मांगों की पूर्ति होने से जनता को अच्छी गुणवत्ता युक्त चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त होगी।

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Deepak Kumar

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