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UP Politics News: महागठबंधन राजनीति से यूपी में मजबूत विपक्ष की धुरी बनेगी सपा
यूपी में महागठबंधन का अगर समीकरण बनता है तो सपा मजबूत विपक्ष
UP Politics News: प्रदेश में विजय यात्रा (Samajwadi Party Vijay Yatra) से राजनीतिक ऊर्जा जुटाने के साथ ही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की कोशिश यूपी में भाजपा के विकल्प की राजनीति तैयार करना भी है। जिस कांग्रेस के लिए माना जा रहा था कि भाजपा हराओ राजनीति के तहत वह सपा के लिए मददगार बनेगी, उसके तेवर देखते हुए अब सपा ने छोटे दलों को मुख्य धारा में लाने का फैसला किया है। महान दल को साथ लाने के साथ ही अब सपा की कोशिश बिहार की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने वाले वीआईपी के मुकेश सहनी को साथी बनाने की है।
समाजवादी पार्टी की चुनाव में तैयारी (Samajwadi Party Election Preparation)
प्रदेश की राजनीति में अकेले भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे रही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अब अपने साथ छोटे दलों को भी जोड़ने की रणनीति बना रही है। इस दिशा में हालांकि पार्टी ने लंबे समय से काम शुरू कर रखा है, लेकिन सुहेलदेव भारतीय जनता पार्टी के ओम प्रकाश राजभर, एआईएआईएम के असद्दुदीन ओवैसी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के शिवपाल सिंह यादव ने जिस तरह की शर्तें रखीं उससे पार्टी नेतृत्व के लिए गठबंधन करना संभव नहीं हो पाया।
सपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी नेतृत्व का रुख चाचा शिवपाल सिंह यादव को लेकर नरम बना हुआ है। पार्टी उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में अपने साथ लाना चाहती है। इसके लिए कुछ सीटों को छोड़ने की पेशकश की भी गई है। उनके साथ समझौते में सबसे बड़ा पेंच सीटों की संख्या को लेकर बना हुआ है।
पार्टी सूत्रों का दावा है कि चाचा ने कुछ ऐसी सीटों पर भी अपना दावा किया है जो परंपरा से सपा की हैं और उन पर समाजवादी पार्टी के दमदार नेता चुनाव लड़ते रहे हैं। अपने मजबूत नेताओं को हटाकर प्रसपा के कमजोर चेहरों को चुनाव लड़ाने का फैसला आत्मघाती हो सकता है। ऐसे में नेतृत्व को उम्मीद है कि इस मामले का हल समय रहते हो जाएगा और चाचा शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाएगा।
मुकेश सहनी पर पार्टी की नजर (Mukesh Sahani Party)
विकासशील इंसान पार्टी के नेता सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी पर समाजवादी पार्टी ने अपने नजर गड़ा रखी है। पिछले महीनों में वाराणसी में जिस तरह मुकेश सहनी को प्रशासनिक अधिकारियों की बेरुखाई का सामना करना पड़ा है उसे देखते हुए पार्टी ने वीआईपी नेता से उम्मीदें पाल रखी हैं। पार्टी के कुछ नेताओं की मुकेश सहनी से बातचीत भी हुई है। उन्हें यूपी में समाजवादी पार्टी की ओर से निषाद समुदाय के लिए किए जाने वाले कार्यों और पूर्व दस्यु सुंदरी फूलनदेवी को लोकसभा सदस्य बनाने की याद दिलाई गई है। बताया जाता है कि शुरुआती बातचीत बेहद सकारात्मक माहौल में हुई है। ऐसे में जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद बनी हुई है।
छोटे दलों के साथ गठबंधन से बनेगा महागठबंधन का विजय पथ
समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जब समाजवादी पार्टी का छोटे—छोटे राजनीतिक दलों से गठबंधन हो जाएगा तो राजभर और ओवैसी की पार्टी के साथ भी महागठबंधन बनना आसान हो जाएगा। महागठबंधन की तस्वीर सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा को पटखनी देना भी आसान हो जाएगा। सपा का मानना है कि पिछला चुनाव भी भाजपा ने छोटी —छोटी जातियों के नेताओं, छोटे दलों की मदद से जीता है। इस बार अगर ऐसे दलों की ताकत उनके साथ होगी तो भाजपा की हार तय होने के साथ ही कम जनाधार वाले छोटे राजनीतिक दलों के साथ बनने वाले महागठबंधन की जीत सुनिश्चित हो जाएगी।
कांग्रेस के उभार ने बढ़ाई चिंता
समाजवादी पार्टी के लिए फिलहाल लखीमपुर खीरी कांड में कांग्रेस की अति सक्रियता जरूर चौंकाने वाली है। इससे प्रदेश में भाजपा हराओ अभियान कमजोर हो सकता है। कांग्रेस के बारे में माना जा रहा था कि जिस तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को जिताने के लिए कांग्रेस ने परोक्ष मदद की, उसी तरह का फार्मूला यूपी में भी काम आएगा लेकिन प्रियंका के मौजूदा तेवर ने पार्टी को चौकन्ना कर दिया है। ऐसे में छोटे दलों के साथ गठबंधन का फार्मूला ही विजय का मंत्र है। पार्टी ने 12 अक्टूबर से विजय यात्रा का एलान कर दिया है। इस दौरान ही विभिन्न इलाकों में छोटे राजनीतिक दलों को जोड़ने का विशेष प्रयास किया जाएगा और जल्द ही प्रदेश में भाजपा का मजबूत विकल्प पेश किया जाएगा।