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UP Politics: कहीं ऐसा न हो, ओम प्रकाश राजभर 'न घर के रहें न घाट के'
ओमप्रकाश राजभर भाजपा को जड़ से खत्म करने का संकल्प लेते हुए सात दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया। जिसमें ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी शामिल हुई थी।
UP Politics: उत्तर प्रदेश में इस समय सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे हुए हैं । इनमें मुख्य दल भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस तो प्रदेश में अपनी सरकार बनाने का सपना संजोए हैं पर छोटे राजनीतिक दल सत्ता में अपनी हिस्सेदारी का ख्वाब देख रहे हैं। ऐसे दलों में सबसे प्रमुख दल है सुहेलदेव समाज पार्टी, जो गठबन्धन को लेकर भाजपा सपा समेत कई अन्य छोटे दलों से बातचीत कर चुका है। पर अब तक यह नहीं तय कर पाया है कि उसे किस दिशा में जाना है। यही कारण है कि राजनीतिक क्षेत्र में अब कहा जाने लगा है कि कहीं ऐसा न हो कि सुहेलदेव समाज पार्टी ओमप्रकाश राजभर 'न घर के रहें न घाट के'।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबन्धन कर सुहेलदेव समाज पार्टी को पहली बार सत्ता का स्वाद मिला। गठबन्धन के तहत 8 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से पहली बार उसे 4 सीटें हासिल हुईं पर एक साल के भीतर ही ओमप्रकाश राजभर ने सरकार में अपनी उपेक्षा के चलते भाजपा पर तरह-तरह के आरोप मढ़ने शुरू कर दिए जिसके बाद उन्हे मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
भाजपा को जड़ से खत्म करने का ओमप्रकाश राजभर का संकल्प
इस बीच उन्होंने भाजपा को जड़ से खत्म करने का संकल्प लेते हुए सात दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया। जिसमें ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी शामिल हुई थी। पर पार्टी अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी के बहराइच दौरे के बाद मोर्चे में विवाद की शुरूआत हो गयी। जिसके बाद दोनो दलों से विरोधी बयान आने शुरू हो गए। वहीं दूसरी तरफ सीटों के बंटवारे को लेकर भी मोर्चे में जब सहमति नहीं बन सकी तो ओमप्रकाश राजभर ने यूटर्न लेते हुए यह फैसला लिया कि उनके लिए भाजपा का प्लेटफार्म ही उचित रहेगा। इस पर उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से मुलाकात कर कुछ शर्तों को रखने के साथ फिर से नए गठबन्धन तैयार करने की नींव रखी।
राजभर और स्वतंत्रदेव सिंह की मुलाकात से एआईएआईएम नाराज
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी खेमे की तरफ से यह कहा जा रहा है कि उनके दल ने भाजपा के सामने पिछडों के हक के लिए कुछ शर्ते रखी हैं अगर वो इसे पूरा करती है तो हम भाजपा के साथ आने को तैयार है। वहीं दूसरी तरफ राजभर और स्वतंत्रदेव सिंह की मुलाकात के बाद एआईएआईएम बेहद नाराज है।
जिसके बाद अब ओमप्रकाश राजभर फिर यह कहने लगे है कि यदि अखिलेश यादव उनके साथ आ जाए तो वह भाजपा को पूरी तरह से साफ कर देंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से मुलाकात के एक सप्ताह बाद ही ओमप्रकाश राजभर कहने लगे हैं कि प्रदेश में भाजपा से अगर कोई मजबूती से पार्टी लड़ सकती है तो वह केवल समाजवादी पार्टी ही है। हांलाकि पिछले करीब दो साल से समाजवादी पार्टी से गठबन्धन को लेकर कोई बात नहीं हुई है। पर ओमप्रकाश राजभर कह रहे हैं कि अगर अखिलेश यादव की तरफ से बातचीत को कोई न्यौता नहीं मिलता है तो फिर वह स्वंय 27 अक्टूबर के अपनी तरफ से गठबन्धन का प्रस्ताव रखने का काम करेंगे।
ओमप्रकाश राजभर चाहते क्या हैं
दरअसल, ओमप्रकाश राजभर चाहते हैं कि भाजपा के लोग जातिवार मतगणना, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने, पिछड़ों को मिल रहे 27 प्रतिशत आरक्षण का बंटवारा करने, एक समान अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा, मुफ्त घरेलू बिजली देने और प्रदेश पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के साथ ही पूर्वांचल गठन की मांग के अलावा सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, प्राथमिक विद्यालय में तकनीकी शिक्षा, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने तथा आर्थिक आधार पर आरक्ष्ण को लागू किया जाना चाहिए।
राजभर ने अभी तक साफ कुछ भी नहीं कहा है कि वह अगला रास्ता अपना क्या चुनेंगे पर इतना साफ हो गया कि उन्होंने बडे दलो के सामने अपने विकल्प रख दिए हैं और जहां भी उन्हे पार्टी का लाभ दिखेगा वह उसी के हमराह बनकर चल देंगे।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि पूर्वांचल में राजभर वोटों की बड़ी झोली ओमप्रकाश राजभर के पास है। करीब तीन दर्जन सीटों पर राजभर किसी भी प्रत्याशी की किस्मत पलटने की ताकत रखते हैं।