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UP Election 2022: यूपी के सियासी समर में नहीं उतरेंगे दिनेश शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह, क्या ये है वजह

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से जुड़ी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक, यूपी के योगी सरकार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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By aman
Published on: 26 Jan 2022 9:47 AM GMT
dr. dinesh sharma and swatantra dev singh
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dr. dinesh sharma and swatantra dev singh

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) से जुड़ी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक, यूपी के योगी सरकार में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा (Dr. Dinesh Sharma) इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। दूसरी तरफ, यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) को भी पार्टी ने चुनावी समर में नहीं उतारने का फैसला लिया है। हालांकि, लंबे समय से इस बात को लेकर चर्चा थी कि बीजेपी इन दोनों ही नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है। लेकिन, ताजा खबर के अनुसार, केंद्रीय चुनाव समिति ने इन दोनों नेताओं को चुनावी मैदान में नहीं उतारने का फैसला लिया है।

इससे पहले, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के लखनऊ ईस्ट (Lucknow East) या लखनऊ कैंट (Lucknow Cantt) विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारने की चर्चा थी। वहीं, स्वतंत्र देव सिंह को भी चुनावी पिच पर उतरना था। बीजेपी की ओर से पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को गोरखपुर सदर विधानसभा सीट (Gorakhpur Sadar Vidhan Sabha Seat) और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को सिराथू विधानसभा सीट (Sirathu Assembly Constituency) से चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा की जा चुकी है।

चुनावी प्रचार में बड़े पैमाने पर होंगे शामिल

माना जा रहा है, कि डॉ. दिनेश शर्मा (Dr. Dinesh Sharma) और स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) को बीजेपी चुनावी प्रचार अभियान में बड़ी जिम्मेदारी देकर उनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने का सोच चुकी है। बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए 300 से ज्यादा सीटों का लक्ष्य निर्धारित की हुई है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन दोनों बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में न उतार कर जमीन पर काम करने के मकसद से रखा गया है। जानकार बताते हैं, कि ये दोनों नेता चुनाव न लड़कर पार्टी के लक्ष्य को पूरा करने के काम जुटेंगे। बता दें, कि बीजेपी का पहला टारगेट 300 प्लस (300 +) सीट के लक्ष्य को हासिल करना है।

चुनावी मैदान में फंसने का डर

भारतीय जनता पार्टी ने ने पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला ले चुकी है। अब उनके गोरखपुर सदर सीट से ही "आजाद समाज पार्टी" (Azad Samaj Party) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए उतरना पड़ सकता है। साथ ही, अन्य बड़े चेहरों को भी चुनावी मैदान में उतारने से प्रचार अभियान पर असर पड़ने का खतरा माना गया है। इसके बाद यह तय किया गया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान में अब उतारने की जगह चुनावी प्रचार अभियान की कमान थमायी जाए।

क्या ये भी हो सकती है वजह?

साथ ही, बीजेपी की यूपी विधानसभा चुनाव में सीटें घटने को लेकर भी ओपिनियन पोल खबरें प्रसारित कर रही है। हालांकि, तमाम टीवी चैनलों के पर प्रसारित ओपिनियन पोल में सरकार बीजेपी की ही बनती दिख रही है, मगर सीटों में कमी की बात लगातार कही जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखकर पार्टी अपने नेताओं के संबंध में इस तरह के फैसले ले रही है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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