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Yogi Cabinet Expansion: चौंकाने वाला होगा योगी मंत्रिमंडल का विस्तार, इन मंत्रियों की होगी छुट्टी
उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के यूपी दौरे के खत्म होने के तुरन्त बाद होने की संभावना है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल की औपचारिक मुलाकात भी हो चुकी है।
Yogi Cabinet Expansion: उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के यूपी दौरे के खत्म होने के तुरन्त बाद होने की संभावना है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल की औपचारिक मुलाकात भी हो चुकी है। आज कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद संभावनाओं को और बल मिला है। योगी सरकार के इस मंत्रिमंडल विस्तार में ब्राम्हण बनिया दलित पिछड़ा का 'काम्बिनेशन' रखा जाएगा। साथ ही क्षेत्र और जातीय संतुलन का पूरा ध्यान रखने की कवायद हो चुकी है।
इस विस्तार में विधानपरिषद के दो सदस्यों को भी स्थान दिए जाने की बात कही जा रही है। जिसमें पूर्व नौकरशाह अरविन्द कुमार शर्मा का नाम सबसे आगे है। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद यह दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार होगा जिसमें ब्राम्हण निषाद जाट गुर्जर आदि का समयोजन किया जाएगा। संजय निषाद का मंत्रिमंडल विस्तार में नाम तय माना जा रहा है। इस विस्तार में कृष्णा पासवान तेजपाल नागर आशीष पटेल तथा महेन्द्र रमाला के नाम भी चर्चा में है।
21 अगस्त 2019 को हुआ था योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
इस समय योगी सरकार में 23 कैबिनेट 9 स्वतंत्रप्रभार और 22 राज्यमंत्री हैं। कुल मिलाकर 54 मंत्री हैं। अभी 6 मंत्रियों के स्थान रिक्त है। तीन मंत्रियों के निधन के बाद उनके स्थान भी रिक्त हैं। इससे पहले 21 अगस्त 2019 को हुए योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार से पहले स्वतंत्रदेव सिंह समेत पांच मंत्रियों का इस्तीफा भी लिया गया था। जिनमें वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल तथा भूतत्व एवं खनिकर्म राज्यमंत्री अर्चना पांडेय शामिल थीं। अब जहां तक योगी मंत्रिमडल की बात है तो पहले मंत्रिमंडल विस्तार में कुल 23 विधायकों को शपथ दिलाई गयी थी। इसमें कुछ तो पहले से ही मंत्रिमंडल में शामिल थे। भाजपा हाईकमान ने कुछ ऐसे विधायकों को भी मंत्री बनाकर सबको चौका दिया था जो पहली बार विधायक बने थे।
लापरवाही और ढीलापन नेतृत्व स्वीकार नहीं
अब केन्द्र में भी उसी तरह से अपने मंत्रिमंडल को ताश के पत्तों की तरफ फेंट दिया। इस फेरबदल के बाद इस बात के संकेत भाजपा शासित राज्यों को मिल गए होगें कि काम में लापरवाही और ढीलापन नेतृत्व किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा। यही कारण है कि अब सबकी निगाहें एक बार फिर उत्तर प्रदेश पर टिक गयी हैं जहां अगले साल विधानसभ चुनाव होने हैं। यहां पर मंत्रिमंडल विस्तार का काम काफी दिनों से रुका हुआ है और अब भाजपा हाईकमान पितृपक्ष के पहले मंत्रिमंडल विस्तार करने का पूरा मन बना चुका है।
ताकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पर नकारात्मक असर न पड़े
कुछ दिनों पहले भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने अपनी पूरी रिपोर्ट हाईकमान को सौपी है। इस रिपोर्ट में कई मंत्रियों के नाम सामने आए हैं जिसमें उनके काम काज के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं। दरअसल, भाजपा हाईकमान नहीं चाहता है कि यूपी विधानसभा चुनाव के पहले सरकार की छवि पर नकारात्मक असर पडे़। इसलिए समय से पहले इसमें सुधार किया जा सकता है।