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Kaushal kishore: कौशल किशोर के 'कौशल' को उनकी मेहनत ने निखारा, अब शहरी विकास मंत्रालय संभालेंगे
मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर को पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य मंत्री शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। कौशल किशोर का जीवन बेहद संघर्ष पूर्ण रहा है।
लखनऊ: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार बुधवार को हुआ इसमें उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 7 सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। सभी नए मंत्रियों को उनके विभाग भी सौंप दिये गए हैं। यूपी के सातों सांसदों को राज्य मंत्री का दर्ज मिला है। बता दें उत्तर प्रदेश से बीजेपी के कुल 84 सांसद हैं। जिसमें 62 लोकसभा के और 22 राज्यसभा के सदस्य हैं। जबकि अपना दल एस के दो सांसद हैं, इनको मिलाकर कुल सांसदों की संख्या 86 होती है।
यूपी के 86 सांसदों में से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 को मंत्री बनाए है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 को देखते हुए प्रधानमंत्री ने यूपी को ज्यादा तरजीह दी है। अब लखनऊ से दो केंद्रीय मंत्री हैं, पहले राजनाथ सिंह जिनके पास रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी है, दूसरे लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर जिन्हें पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी है। तो चलिए आपको बताते हैं कौशल किशोर के बारे में जिन्हें शहरी विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कौशल किशोर का जीवन
मोहनलालगंज से दूसरी बार सांसद चुने गए कौशल किशोर का जीवन बेहद संघर्ष पूर्ण रहा है। उनका जन्म काकोरी (लखनऊ) के बेगरिया गांव में वर्ष 1960 में हुआ था। उनके पिता का नाम कल्लू था उनकी माताजी का नाम श्रीमती पार्वती देवी था, जो बेहद गरीब किसान थे। कौशल किशोर के पिता सिर पर सब्जी रखकर बेचते थे और इसी से परिवार का पालन पोषण करते थे। चार भाइयों में तीसरे नंबर के कौशल परिवार सहित छोटी झोपड़ी में रहते थे। उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई चौक स्थित कालीचरण डिग्री कॉलेज से की थी। बीएससी वह शिया डिग्री कॉलेज से कर रहे थे, इस बीच विमान के कमर्शियल पायलट के लिए आवेदन किया था। परीक्षा के सभी चरणों को पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में वह सफल न हो सके। पायलट बनने के लिए उनके पास योग्यता थी, लेकिन अयोग्य लोगों का चयन हो गया। यहीं से कौशल में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने की लौ जगी।
राजनीतिक सफर
गरीब परिवार में जन्मे मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर के कौशल को उनकी मेहनत ने निखारा। संघर्षशील और आंदोलनकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले कौशल किशोर के जीवन में भी कई बड़े उतार-चढ़ाव आए। कौशल किशोर केंद्रीय मंत्री के साथ परख महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, और पार्टी के एससी विंग के राज्य अध्यक्ष हैं। वह पार्टी के प्रभावशाली नेता हैं और उन्हें सामाजिक न्याय के मुद्दों से संबंधित अपनी सक्रियता के लिए राष्ट्रव्यापी मान्यता प्राप्त है।
2001 में बनाई थी खुद की पार्टी
कौशल किशोर वर्ष 1985 में पहली बार मलिहाबाद से विधायक का चुनाव निर्दलीय लड़े और हारे गए। उसके बाद वह लगातार वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996 में चुनाव निर्दलीय लड़े लेकिन वह हर बार दूसरे नंबर रहे। कौशल किशोर का हौसला हार से डिगा नहीं बल्कि मजबूत हुआ। वर्ष 2001 में राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया और वर्ष 2002 में विधायक बन गए। इसके बाद 2002 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में श्रम मंत्री बने। वर्ष 2007 में उन्होंने सामाजिक संगठन पारख महासंघ बनाया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें मोहनलालगंज सीट से टिकट दिया वह बसपा के आरके चौधरी को हराकर 16 वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1 सितम्बर 2014 गृह मामलों पर स्थायी समिति के सदस्य के साथ श्रम और रोजगार मंत्रालय पर परामर्श समिति के सदस्य बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें दुबारा टिकट दिया और वह सांसद बने।
कौशल किशोर की पत्नी हैं विधायक
कौशल किशोर की पत्नी लखनऊ के मलिहाबाद विधानसभा से बीजेपी की विधायक हैं। उनके चार बेटे प्रभात किशोर, विकास किशोर व आयुष किशोर हैं, जबकि एक बेटे आकाश किशोर की कुछ महीने पहले मौत हो चुकी है। कौशल किशोर नशा मुक्ति के लिए भी एक अभियान चला रहे हैं। पिता कल्लू किशोर और मां पार्वती दिवंगत हो चुकी हैं। बड़े भाई महावीर व टेकचंद की भी मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक भाई मनमोहन अभी जीवित हैं।