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स्वामी नरेंद्र गिरि की मौत के तार हरिद्वार से जुड़े, बाबा रामदेव के गायब गुरु का अब तक पता नहीं लगा पायी CBI

प्रयागराज में संदिग्ध आत्महत्या का शिकार हुए बाघंबरी पीठ के महन्त नरेद्र गिरि की रहस्यमयी मौत के बाद से उत्तराखंड की देवभूमि हरिद्वार के हर आखड़े व मठ के संत बेहद दहशतजदा हैं।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Monika
Published on: 24 Sept 2021 6:12 PM IST
Swami Narendra Giri-Baba Ramdev
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स्वामी नरेंद्र गिरि की सन्दिग्ध मौत के तार हरिद्वार से जुड़े ( मर्ज फोटो : Newstrack)

Narendra giri death case: उत्तर प्रदेश में संदिग्ध मौत के शिकार साधु-सन्तों का हरिद्वार कनेक्शन (Haridwar Connection) भी काफी संस्पेंसपूर्ण है। प्रयागराज (Prayagraj) में सन्दिग्ध आत्महत्या के शिकार हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेद्र गिरि की सन्दिग्ध मौत के तार भी कहीं न कहीं बहुत मजबूती से हरिद्वार से जुड़े नजर आने लगे हैं।इनकी रहस्यमयी मौत के तार योग गुरु बाबा आनंद गिरि से तो जुड़े ही थे। लेकिन स्वामी जी की सन्दिग्ध आत्महत्या के तार भगवान शिव की नगरी हरिद्वार से जुड़े हैं, इसका भी खुलासा हो गया है। एसआईटी ने स्वामी नरेद्र गिरि के मोबाइल कॉल की जब डिटेल खंगाली तब यह पता चला कि स्वामी जी ने अपनी सन्दिग्ध आत्महत्या से पूर्व जिन जिन लोगों से भी बात की थी, उसमें हरिद्वार के रहने वाले दो बिल्डर यानि प्रॉपर्टी डीलर भी हैं।जिनसे अब आगे की पूछताछ सीबीआई कुछ अपने ढंग से करेगी।

अब तक क्यों गायब हैं ये विल्डर?

अगर एसआईटी स्वामी नरेंद्र गिरि के मोबाइल कॉल डिटेल न खंगालती तो ये दोनों विल्डर स्वामी जी के इस रहस्यमयी मौत की पिक्चर से गायब ही रहते। सूत्र बताते हैं कि ये दोनों हरिद्वार निवासी बिल्डर स्वामी जी को श्रद्धांजलि देने प्रयागराज नहीं पहुंचे हैं। इतना बड़ा संत जिसके दरबार मे देश का हर दल का बड़ा राजनेता प्रयागराज पहुंचने पर हाज़िरी लगाता था। कहते हैं कि चोर की दाढ़ी में तिनका। हालाँकि अब दोनों बिल्डर सीबीआई की रडार पर आ चुके हैं।अब इन्हें पूछताछ के लिए कभी भी सीबीआई प्रयागराज बुलाने वाली है। अगर ये दोनों विल्डर बुलावे पर प्रयागराज नहीं आये तो सीबीआई खुद इनसे पूछताछ करने पहुंचेगी।

बाबा रामदेव के गायब गुरु का अब तक पता नहीं लगा सकी सीबीआई

प्रयागराज में संदिग्ध आत्महत्या (Suspected suicide in Prayagraj) का शिकार हुए बाघंबरी पीठ के महन्त नरेद्र गिरि (Mahant Narendra Giri ) की रहस्यमयी मौत (mysterious death) के बाद से उत्तराखंड की देवभूमि हरिद्वार (Haridwar)के हर आखड़े व मठ के संत बेहद दहशतजड़ा हैं। देवभूमि के एक अधिवक्ता ने तो यहाँ तक कह दिया है कि गत 2007 से योग गुरु बाबा रामदेव के गुरु स्वामी शंकर देव लापता हैं, सीबीआई अब तक उनका पता नहीं लगा सकी है। कई संत तो अब यह भी सरकार से माँग कर रहे हैं कि स्वामी नरेंद्र गिरि की मौत का रहस्य खोलने में साथ साथ हरिद्वार से तीन दशक से गायब सन्तो और जिनकी हत्याएं हुईं है, इसका भी अब खुलासा होना चाहिए।

देवभूमि हरिद्वार में संतो के साथ घटी ये आपराधिक घटनाएं (incidents happened with saints in haridwar)

- हरिद्वार में इस समय मौजूद विभिन्न अखाड़ों व मठों के साधु संतों ने पिछले तीन दशक में गायब हुए संतों व विभिन्न कारणों से हत्या के शिकार हो गए महात्माओं के आंकड़े न्यूज ट्रेक को उपलब्ध कराए हैं-

गत 25 अक्तूबर, 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य की स्कूटर सवार लोगों ने गोलियों से भूनकर वीभत्स हत्या कर दी थी।

9 दिसंबर , 1993 को रामायण सत्संग भवन के दूसरे संत रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गयी थी।

1 फ़रवरी, 2000 में मोक्षधाम ट्रस्ट से जुड़े रमेश की जीप से टक्कर मार दी थी बाद में उनकी मौत हो गयी।

दिसम्बर, 2000 में चेतनदास कुटिया में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की हत्या कर दी गयी थी।

5अप्रैल, 2001 में बाबा सतेंद्र बंगाली की हत्या कर दी गयी थी।

6 जून, 2001 में हर की पौड़ी के पास बाबा विष्णु गिरि समेत चार साधुओं की हत्या कर दी गयी।

26 जून,2001में बाबा ब्रह्मानन्द की हत्या कर दी गयी थी।

2001 में पानपदेव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।

17 अगस्त, 2002 में बाबा हरियानन्द और उनके शिष्य की हत्या कर दी गई थी।

2002 में संत नरेंद्र दास की हत्या कर दी गयी थी।

6 अगस्त, 2003 में सँगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानन्द अचानक लापता हो गए, जिनका अब तक पता नहीं चल सका है।

28 दिसम्बर, 2004 में संत योगानन्द की हत्या कर दी गयी थी।

15मई , 2006 में पीली कोठी के स्वामी अमृतानन्द की हत्या कर दी गयी।

25 नवम्बर, 2006 में बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी।

जुलाई, 2007 में योग गुरु बाबा रामदेव के गुरु स्वामी शंकर देव लापता हो गए , जिनका अब तक कोई पता नहीं है।

8 फ़रवरी, 2008 में निरंजनी अखाड़े न सात साधुओं को जहर देकर मार दिया गया था।

14 अप्रैल, 2012 में निर्वाणी अखाड़े के महंत सुधीर गिरि की हत्या रुड़की के पास गोली मारकर कर दी गयी थी।

26 जून, 2012 में लक्सर में हनुमान मंदिर में तीन सन्तो की एक साथ हत्या कर दी गयी थी।

सितम्बर, 2017 में बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी महन्त और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महन्त मोहन दास सन्दिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गए हैं, जिनका अब तक कोई सुराग पुलिस नही लगा सकी है।

ये आकंड़े संत समाज को दहलाने वाले हैं

देवभूमि में सन्तो की हुई पूर्व में हत्याएं व उनके लापता होने के ये आकंडे एक बार फिर देश के संत समाज के लिये बेहद चिन्ता का विषय बन गए हैं।इन मामलों में समझने की बात तो यह है कि इन सभी मामलें, देवभूमि के सम्बधित थानों में दर्ज भी हैं फिर जिन साधुओं की हत्याएं हुईं उनके आरोपी अब तक कानून के शिकंजे से दूर क्यो है? साथ ही गायब साधुओं का पुलिस अब तक पता क्यो नहीं लगा सकी है?अब एक बार फिर किसी न किसी रूप में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई अखड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की सन्दिग्ध आत्महत्या के तार भी हरिद्वार से जुड़े है, इसके भी प्रमाण एसआईटी को मिल चुके हैं।

अब इस ताजे मामले में मीडिया, स्वामी नरेंद्र गिरि के अनुयायियों,अन्य साधु समाज की नजर एक बार फिर सीबीआई की जांच पर लग गयी है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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