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Pratapgarh news: गांव में दिखी भालू की फैमिली, वन विभाग ने ‘डैडी भालू’ को पकड़ा, मम्मी और बच्चे की तलाश
होली की पूर्व संध्या पर सतेवर गांव में भालू का पूरा कुनबा चहलकदमी करता नजर आया। जिसमें नर, मादा और बच्चे शामिल थे। यह देख गांव वालों में अफरातफरी मच गई और वन विभाग की टीम को मौके पर बुलाया गया।
Pratapgarh news: प्रतापगढ़ के सतेवर गांव में कई भालुओं को देखकर हड़कंप मच गया। ध्यान से देखने पर इसमें दो बड़े भालू और उनका बच्चा छोटा भालू नजर आए। पूरे कुनबे, नर, मादा और बच्चे को देख गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों का हुजूम भालू को भगाने में जुट गया। मोछहा नदी किनारे झुरमुटों के सहारे मां और बच्चा तो गायब हो गए लेकिन नर भालू को भीड़ ने घेर लिया। घबराए ग्रामीण पत्थरबाजी करने लगे। जबकि कुछ ग्रामीण पत्थर मारने वालों को रोकने में भी जुटे रहे। इस बीच ग्रामीणों ने वन विभाग के आलाअफसरों को भी सूचना दी, जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच कर भालू को सुरक्षित बचाने के प्रयास में जुट गई। देर शाम तक जाल और पिंजरा भी मंगा लिया गया।
ऐसे गिरफ्त में आया भालू
वन विभाग की टीम पिंजरा लगाने के बाद ग्रामीणों की मदद से हांका लगाकर भालू को लगाए गए जाल की ओर ले गई और उसे फंसाने में कामयाब हो गई। इसके बाद भालू को पिंजरे में बंदकर गाड़ी पर लादकर जिला मुख्यालय स्थित वन विभाग कार्यालय लाया गया। पकड़े गए भालू के मेडिकल परीक्षण के लिए आगरा से स्पेश्लिस्ट डॉक्टरों को टीम को भी बुला लिया गया। जिसके देर रात तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। डाक्टरों द्वारा मेडिकल जांच के बाद भालू को सुरक्षित ठिकाने पर ले जाकर छोड़ने बात डीएफओ बता रहे हैं। उधर वन विभाग की टीम अब मादा भालू और बच्चे की काम्बिंग में लगी हुई है।
पूर्व में दो तेंदुओं की हुई थी निर्मम हत्या
अक्सर जंगली जानवर जिले में अलग-अलग स्थानों पर रिहायशी इलाकों में घुस चुके हैं। अलग-अलग जगहों पर पिछले कुछ महीनों में करीब आधा दर्जन तेंदुए घूमते हुए पाए गए थे। जिसमें से कुछ तो सुरक्षित पकड़े गए। जबकि एक घटना में बाघराय इलाके में तेंदुए को ग्रामीणों ने पुलिस और वन विभाग की टीम के सामने ही खदेड़ कर कुएं में गिरा दिया था, जिसके बाद ऊपर से पुआल डालकर उसे जिंदा जला दिया गया था। इसी तरह शनिदेव मन्दिर के पास तत्कालीन डीएफओ वीके अहिरवार के सामने ही जाल में फंसे तेंदुए को पीटपीट कर मौत के घाट उतार दिया गया था। दोनों ही मामलों में वन विभाग ने मुकदमा दर्ज कराकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी।