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UP ELECTION 2022: कुंडा सीट पर चर्चित मामले के दो आरोपी आमने-सामने, जानिए सपा ने क्यों की है राजा भैया की घेराबंदी
Up Election 2022 : समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) ने पूर्व मंत्री और कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को घेरने के लिए कुंडा विधानसभा से गुलशन यादव (Gulshan Yadav) को चुनाव मैदान में उतारा है।
Up Election 2022 : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh election) में प्रतापगढ़ (Pratapgadh) की कुंडा सीट (Kunda assembly seat) पर दिलचस्प सियासी जंग की बिसात बिछ गई है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) ने पूर्व मंत्री और कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh alias Raja Bhaiya, former minister and MLA of Kunda) को घेरने के लिए इस विधानसभा क्षेत्र में गुलशन यादव (Gulshan Yadav) को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
मजे की बात यह है कि प्रतापगढ़ के बहुचर्चित डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड (Pratapgarh's famous DSP Jiaul Haq murder case) में गुलशन यादव के साथ राजा भैया भी आरोपी रहे हैं। समय के साथ दोनों की राहें जुदा हो गईं और अब वे सियासी अखाड़े में एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए उतरे हैं।
उनके खिलाफ कभी प्रत्याशी नहीं उतारा
राजा भैया की कुंडा पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसी कारण वे 1993 से निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे हैं। उन्हें समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का भी आशीर्वाद हासिल रहा है और इसी कारण सपा ने करीब ढाई दशक से उनके खिलाफ कभी प्रत्याशी नहीं उतारा। इस कारण वे आसानी से चुनाव जीतने में कामयाब होते रहे हैं मगर अब उनके सपा मुखिया अखिलेश यादव से समीकरण बिगड़ चुके हैं। इसी कारण सपा की ओर से गुलशन यादव को उतारकर राजा भैया की घेराबंदी करने की कोशिश की गई है।
जियाउल हक हत्याकांड में उछला था नाम
कुंडा में 2013 में सीओ जियाउल हक हत्याकांड की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई पड़ी थी। इस हत्याकांड में गुलशन यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया था। इस चर्चित मामले में प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा भैया का नाम भी सामने आया था। हालांकि बाद में सीबीआई की जांच में उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी। बाद में जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस फैसले को चुनौती दी गई थी। परवीन आजाद की तहरीर पर ही इस मामले में गुलशन यादव और राजा भैया के साथ ही राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव और गुड्डू सिंह के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच पड़ताल के बाद गुलशन यादव ने राजा भैया से दूरी बना ली थी।
राजा भैया का प्रभुत्व खत्म करने की कोशिश
गुलशन यादव की गिनती पहले राजा भैया के करीबियों में हुआ करती थी और वे कुंडा नगर पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। गिरफ्तारी के बाद गुलशन के जेल जाने पर उनकी पत्नी सीमा यादव ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। कुंडा में राजा भैया के करीबी पुष्पेंद्र सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में भी गुलशन यादव का नाम सामने आया था और उन्हें चार साल तक जेल में रहना पड़ा। जेल से बाहर आने के बाद गुलशन यादव ने सियासी सक्रियता काफी बढ़ा दी। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुलशन यादव कुंडा में राजा भैया का सियासी प्रभुत्व खत्म करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनके छोटे भाई छविनाथ यादव प्रतापगढ़ समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष हैं और उनकी पत्नी भी सियासी मैदान में सक्रिय हैं। उनकी मां भी मऊधारा गांव की प्रधान हैं।
सपा ने इसलिए उतारा अपना प्रत्याशी
दूसरी ओर कुंडा विधानसभा क्षेत्र में राजा भैया का सियासी प्रभुत्व रहा है और वे 1993 से ही निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे हैं। उन्होंने कल्याण सिंह के साथ ही रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ भी उनके समीकरण अच्छे थे और दोनों की सरकारों में वे मंत्री पद पर बने रहने में कामयाब रहे। पिछले ढाई दशक के दौरान समाजवादी पार्टी की ओर से कुंडा में उनके खिलाफ कभी प्रत्याशी नहीं उतारा गया। इसका नतीजा यह हुआ कि राजा भैया आसानी से अपनी सीट निकालने में हमेशा कामयाब होते रहे।
अखिलेश यादव से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ गुलशन यादव के रूप में अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिया है। पिछले दिनों प्रतापगढ़ दौरे के समय सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राजा भैया का सियासी वजूद मानने से ही इनकार कर दिया था। अखिलेश के बयान से ही साफ हो गया था कि सपा इस बार उनके खिलाफ मैदान खाली नहीं छोड़ेगी।
जातीय समीकरण ने बढ़ाईं मुश्किलें
कुंडा का जातीय समीकरण ऐसा है कि सपा की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने के बाद राजा भैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कुंडा में करीब 75,000 यादव और 55,000 मुस्लिम मतदाता हैं। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 90,000 है जबकि 50,000 ब्राह्मण और 30,000 कुर्मी भी चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। दलितों में सबसे ज्यादा संख्या पासी मतदाताओं की है।
सपा की ओर से गुलशन यादव को चुनाव मैदान में उतारे जाने के बाद यादव और मुस्लिम मतदाता राजा भैया के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकते हैं। सपा की ओर से घेराबंदी किए जाने के बाद राजा भैया ने गांवों में जनसंपर्क बढ़ा दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे अपना किला सुरक्षित रखने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।
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