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Mission 2022: अपने गढ़ को बचाने निकलीं प्रिंयका गांधी, बागियों के बीच विरासत बचाने की चुनौती

Priyanka Gandhi Ka Raebareli Daura: कभी अमेठी, रायबरेली मतलब कांग्रेस होता था। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। ऐसे में प्रियंका के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने मजबूत किले को फिर से ठीक करने की है।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shreya
Published on: 12 Sept 2021 12:53 PM IST (Updated on: 12 Sept 2021 1:07 PM IST)
Mission 2022: अपने गढ़ को बचाने निकलीं प्रिंयका गांधी, बागियों के बीच विरासत बचाने की चुनौती
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Priyanka Gandhi Ka Raebareli Daura: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में तीन दिन संगठन की नब्ज टटोलने के बाद आज अपने गढ़ रायबरेली (Raebareli) का रुख किया है। प्रियंका गांधी दो दिन रायबरेली (Priyanka Gandhi Raebareli Visit) में रहेंगी। चुनाव तैयारियों के साथ अमेठी (Amethi), रायबरेली के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी करेंगी। इस दौरान प्रियंका अपने गढ़ में पार्टी के घटते जनाधार और नेताओं की बगावत का भी हल निकालने का काम करेंगी। कभी अमेठी, रायबरेली मतलब कांग्रेस (Congress) होता था। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।

रायबरेली में प्रियंका गांधी

पहले दिन कांग्रेस महासचिव संगठन कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों के अलावा जिला पंचायत (Zila Panchayat) के जीते हुए सदस्यों से संवाद करेंगी। दूसरे दिन वह रायबरेली की जनता से भी मिलेंगी। इस दौरान वह रायबरेली और अमेठी विधानसभा के लिए मजबूत प्रत्याशियों (Election Candidatess) की तलाश भी करेंगी। क्योंकि रायबरेली में कांग्रेस अपने दिग्गजों से ही बगावत का सामना कर रही है।

यहां के दो बड़े नेता एमएलसी दिनेश सिंह (MLC Dinesh Singh) और सदर विधायक अदिति सिंह (Aditi Singh) पार्टी से नाराज होकर बीजेपी (BJP) की ओर रुख कर चुके हैं। दिनेश सिंह तो पूरी तरह से भाजपाई हो गए हैं लेकिन अदिति ने अभी तक बीजेपी (BJP) की सदस्यता ग्रहण नहीं की है, वह खुले तौर पर बीजेपी और सरकार का समर्थन करती रहती हैं।

गांधी परिवार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रायबरेली- अमेठी कांग्रेस के हाथ से फिसला

कांग्रेस के लिए एक समय रायबरेली और अमेठी लोकसभा की सीटों के साथ विधानसभा में जिस पर हाथ रख दें, वह सांसद और विधायक बन जाता था। लोकसभा की बात करें तो यहां से ज्यादातर गांधी खानदान के ही लोग सांसद रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) रायबरेली तो राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इस विरासत को आगे लेकर बढ़े। लेकिन 2014 के बाद यहां उनका लगातार जनाधार घटता गया। रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha seat) को छोड़ दें तो इस वक्त कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है।

पुराने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कोशिश

रायबरेली में अपनी जमीन खोती जा रही कांग्रेस अपने कुछ पुराने कार्यकर्ताओं में ही भविष्य निहार रही है, हालांकि अमेठी के बाद रायबरेली में भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) के बढ़ते प्रभाव पर कांग्रेसी ख्याली पुलाव ही पका रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी अमेठी के बाद अब रायबरेली में भी कमल खिलाने की पूरी कोशिशों में लगी हुई हैं। वह जब भी अमेठी के दौरे पर आती हैं तो रायबरेली के विकास कार्यों और यहां के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर कामकाज की समीक्षा जरुर करती हैं। स्मृति ईरानी ने 2019 में राहुल गांधी को हराकर एक इतिहास रचा था और अब वह इसे रायबरेली में दोहराना चाहती हैं।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

लगातार गिरता गया कांग्रेस का ग्राफ

अमेठी और रायबरेली कभी गांधी परिवार के सांसद वाले जिले हुआ करते थे। जिले के विधानसभा सीटों पर ही कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था, लेकिन 2014 में मोदी लहर की सुनामी के बाद देश, प्रदेश के साथ कांग्रेस का सबसे मजूबत किला भी ढहता चला गया। हाल ही में सम्पन्न पंचायत चुनावों (Zila Panchayat Election) में भी सदस्य तो कई जीते लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस का न बन सका।

रायबरेली-अमेठी में मजबूत चेहरों की तलाश

विधानसभा चुनाव 2017 की बात करें तो कांग्रेस के पास इन दोनों जिलों में कई मजबूत चेहरे थे जो चुनावी मैदान में उतरे थे। हालांकि अमेठी में एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली थी। लेकिन रायबरेली में दो विधायक जीतकर आये थे। उनमें सदर विधायक अदिति सिंह और हरचंदपुर से राकेश प्रताप सिंह शामिल थे। लेकिन अब इन दोनों नेताओं ने अपना हृदय परिवर्तन कर लिया है। ये दोनों विधायक खुले तौर पर बीजेपी के साथ खड़े दिखाई देते हैं। ये बागी विधायक रायबरेली में पार्टी के लिए चुनौती बढ़ाएंगे। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए छह सीटों के लिए कांग्रेस को मजबूत चेहरों की तलाश करना एक बड़ी चुनौती है।

कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते मनीष सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्रियंका ने अदिति के घर में लगाई सेंध

अदिति सिंह भले ही कांग्रेस से बगावत कर चुकी हैं । लेकिन उनके चचेरे भाई मनीष सिंह (Manish Singh) को प्रियंका गांधी ने उनकी काट के तौर पर पार्टी में शामिल कर लिया है। मनीष सिंह 2017 का विधानसभा चुनाव (Assembly Election) बीएसपी (BSP) से लड़े थे। वह चुनाव हार गए थे। उस वक्त अदिति के पिता और पूर्व विधायक अखिलेश सिंह जिंदा थे उनके सामने किसी की नहीं चलती थी लिहाजा मनीष भी उनका अदब करते थे। अखिलेश सिंह के निधन के बाद मनीष ने बगावत कर लिया है। इसका फायदा प्रियंका गांधी ने उठाया है। वह मनीष को कांग्रेस पार्टी में शामिल कर अदिति सिंह को कमजोर करने की एक बड़ी चाल चली हैं।

अमेठी के राजा संजय सिंह भी भाजपाई हुए

अमेठी की बात करें तो यहां 2014 के बाद से बीजेपी का संगठन काफी मजबूत हो चुका है।.राहुल गांधी चुनाव हारने के बाद अब अमेठी का रुख करना छोड़ दिए हैं। इसका फायदा बीजेपी को मिला है। स्मृति ईरानी की बढ़ी सक्रियता से यहां उनकी पार्टी सबसे मजबूत दौर में है। यहां विधायक, मंत्री लेकर पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर भी भाजपाई को उन्होंने बैठा दिया है।

अमेठी के राजा संजय सिंह 2019 में सुल्तानपुर से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। उनकी पत्नी और अमेठी की पूर्व विधायक रानी अमिता सिंह ने भी उनके साथ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी। अमेठी विधानसभा सीट से संजय सिंह की पहली पत्नी रानी गरिमा सिंह बीजेपी की विधायक हैं।

मतदाता (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रायबरेली में कुल मतदाता

कुल मतदाता- 19 लाख 85 हजार 526

पुरुष मतदाता- 10 लाख 56 हजार 561

महिला मतदाता- 9 लाख 28 हजार 923

रायबरेली का जातीय समीकरण

ब्राह्मण - 11 फीसदी

ठाकुर - 9 फीसदी

यादव - 7 फीसदी

एससी - 34 फीसदी

मुस्लिम - 6 फीसदी

लोध - 6 फीसदी

कुर्मी - 4 फीसदी

अन्य - 23 फीसदी

रायबरेली विधानसभा क्षेत्र-6

रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र : विधायक अदिति सिंह, कांग्रेस (बागी)

हरचन्दपुर विधानसभा क्षेत्र : विधायक राकेश प्रताप सिंह, कांग्रेस (बागी)

बछरावां विधानसभा क्षेत्र : रामनरेश रावत, भाजपा

सलोन विधानसभा क्षेत्र : दल बहादुर कोरी, भाजपा

सरेनी विधानसभा क्षेत्र : धीरेंद्र बहादुर सिंह- भाजपा

ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र : डॉ. मनोज पांडेय- सपा

सलोन विधानसभा क्षेत्र रायबरेली जिले में आता है, लेकिन यहां का संसदीय क्षेत्र अमेठी है।

अमेठी का प्रमुख जातीय समीकरण

ओबीसी- करीब 22 फीसदी

मुसलमान- करीब 20 फीसदी

अनुसूचित जाति- 15 फीसदी

ब्राह्मण- करीब 12 फीसदी

क्षत्रिय- करीब 11 फीसदी

अन्य जातियां- करीब 20 फीसदी

अमेठी में कुल विधानसभा क्षेत्र-4

अमेठी सदर- विधायक गरिमा सिंह, भाजपा

गौरीगंज- राकेश प्रताप सिंह, सपा

जगदीशपुर- सुरेश पासी, भाजपा

तिलोई- मयंकेश्वर शरण सिंह, भाजपा

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्रियंका गांधी भले ही पूरे प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने में लगी हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने मजबूत किले को फिर से ठीक करने की है। क्योंकि रायबरेली और अमेठी गांधी खानदान (Gandhi Family) की विरासत रहा है। यहां के लोग गांधी परिवार को सराखों पर बिठाते आए हैं। लेकिन कुछ साल में जैसे यहां उनका जनाधार घटा है, नेताओं का मोह भंग हुआ है। उसे दुबारा हासिल करने के लिए ठोस रणनीति और जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करनी होगी। तभी 2022 में जीत का सपना साकार होगा।

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Shreya

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