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यहाँ कौन पूछता है गांधी जी को !

कुछ बरस पहले तक गाँधी जी की याद में बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे। बच्चों में गांधी जयंती पर जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता था लेकिन अब ऐसा नही है।

Fareed Ahmed
Written By Fareed AhmedPublished By Vidushi Mishra
Published on: 15 Sept 2021 2:52 PM IST (Updated on: 16 Sept 2021 6:43 AM IST)
Mahatma Gandhi
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महात्मा गाँधी

सुल्तानपुर : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को यूं तो हर दो अक्टूबर व तीस जनवरी को याद किया जाता है ।लेकिन सिर्फ कुछ कार्यक्रमों या फिर पुष्पार्पण के जरिये । कठोर सच्चाई यह है कि गाँधी की यादें धीरे धीरे सिर्फ मूर्तियों तक और तारीखों तक सिमट कर रह गई हैं।

सुपर मार्केट में लगी मूर्ति के पास कूड़े का ढेर

कुछ बरस पहले तक यगाँधी जी की याद में बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे। बच्चों में गांधी जयंती पर जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता था लेकिन अब ऐसा नही है।अब जिले का भी हाल ऐसा है कि नगर पालिक की बनाई हुई सुपर मार्केट के बीचोबीच गांधी जी की प्रतिमा लगी हुई है । लेकिन विशेष अवसरों के अलावा शायद ही कभी यहां साफ सफाई होती हो ।

कोई नेता जब किसी पद से सुशोभित होता है, तो वो गाँधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने ज़रूर पहुँच जाता है। नगर पालिका कार्यालय से बिल्कुल सटी मार्किट में लगी प्रतिमा पर नगर पालिका के चुने हुए प्रतिनिधि भी ध्यान नही देते हैं।

गांधी जी के नाम पर खुले कॉलेज में भी गांधी जी की प्रतिमा है उपेक्षित

महात्मा गाँधी स्मारक इंटर कॉलेज

शहर के बीचों बीच महात्मा गाँधी स्मारक इंटर कॉलेज बना हुआ है ।यहाँ कॉलेज के प्रांगण में महात्मा गाँधी की प्रतिमा लगी हुई है ।लेकिन यहाँ भी कमोबेश ऐसा ही हाल है विशेष अवसरों पर ही गाँधी जी की प्रतिमा का रंग रोगन और सफाई का काम होता है। बहरहाल,गांधी जी की बातें सिर्फ किताबों में ही शायद सिमट कर राह गई हैं।

शहर में चल रहे खादी ग्रामोद्योग भंडार की हालत भी है दयनीय

शहर में चार खादी ग्रामोद्योग भंडार संचालित थे ।लेकिन समय की मार और अन्य कई कारणों से एक तो बंद हो गया ,बाकी तीन अभी भी चल रहे हैं। हालांकि इन तीनों की आय भी वैसी नही है कि ज़्यादा दिन संचालित हो सकें।

कुछ भंडार के कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तनख्वाह तक नही निकल पा रही है । अब प्रोडक्ट की बिक्री भी वैसी नही है जैसी पहले होती थी। कुछ पुराने लोग या फिर नेता जो खाड़ी के शौकीन हैं ,वही इन भंडार से खरीदारी करते हैं।

छोटे जिलों में खादी के सामानों की आपूर्ति नही

कुछ कर्मचारियों ने बताया कि महानगरों की अपेक्षा जिलों में अन्य खादी के प्रोडक्ट्स की सप्लाई नही है । इसलिए भी सेल पर असर दिखता है। खादी के कपड़ो में महंगाई का असर भी दिखता है।

Vidushi Mishra

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