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UP Block Pramukh Election: बीजेपी को झटका, धनपतगंज से यशभद्र सिंह निर्विरोध चुने गए ब्लॉक प्रमुख

निर्विरोध जीतकर मोनू ने न सिर्फ पूर्वजों की प्रतिष्ठा को बचाया बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बहन अर्चना सिंह की हार का बदला भी बीजेपी से ले लिया।

Fareed Ahmed
Report Fareed AhmedPublished By Shashi kant gautam
Published on: 9 July 2021 6:22 AM GMT (Updated on: 9 July 2021 6:53 AM GMT)
Yashbhadra Singh elected unopposed as block chief from Dhanpatganj
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धनपतगंज से यशभद्र सिंह निर्विरोध चुने गए ब्लॉक प्रमुख: फोटो- सोशल मीडिया

UP Block Pramukh Election: उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में 14 में से 5 ब्लॉक प्रमुख निर्विरोध जीतकर बीजेपी जहां खुशी मना रही वहीं पार्टी में धनपतगंज ब्लॉक में शर्मनाक हार पर जबरदस्त मलाल है। शासन-प्रशासन की सारी ताकत झोंकने के बाद धनपतगंज सीट पर भद्र परिवार के दबदबे को बीजेपी ध्वस्त नही कर सकी। यहां से बाहुबली यशभद्र ने एकतरफा जीत दर्ज कराकर बीजेपी को न सिर्फ धूल चटाई बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में हुई अपनी बहन अर्चना सिंह की हार का बदला भी ले लिया है।

गुरुवार को अपना नामांकन दाखिल करने के लिए यशभद्र सिंह मोनू अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ धनपतगंज ब्लॉक परिसर पहुंचे। यहां पहले से सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस कर्मियों ने ब्लॉक गेट पर ही मोनू समर्थकों को रोक दिया। प्रस्तावक के साथ ब्लॉक ऑफिस में मोनू ने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में पर्चा भरा। उधर मोनू के मुकाबले पर बुधवार को बीजेपी ने अमित मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन अंतिम समय तक उन्होंने पर्चा नही खरीदा। बताया कि अमित को कोई प्रस्तावक ही नही मिला। वहीं मोनू ने अपने साथ 80 क्षेत्र पंचायत सदस्यों के समर्थन का प्रमाण दिया। इस तरह पल भर में भाजपा के अरमानों पर पानी फिर गया।

पूर्वजों के समय से ही है सीट पर कब्जा

गौरतलब रहे कि धनपतगंज ब्लॉक प्रमुख की सीट ऐसी सीट है जिस पर आजादी के बाद से भद्र परिवार का नुमाइंदा ही चुनकर आता रहा है। पहले यशभद्र सिंह मोनू के बाबा, फिर उनके पिता, लेकर चाचा और भाई इस कुर्सी पर जीतकर आते रहे। भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर सीट जीतने की हर संभव कोशिश की, प्रत्याशी के नाम की घोषणा तक किया लेकिन भाग्य ने बीजेपी को पराजित कर।

बहन अर्चना सिंह की हार का बदला

इधर निर्विरोध जीतकर मोनू ने न सिर्फ पूर्वजों की प्रतिष्ठा को बचाया बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बहन अर्चना सिंह की हार का बदला भी बीजेपी से ले लिया। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी से ऊषा सिंह जहां 25 मत पाकर जीती थीं वहीं अर्चना सिंह 17 मत पाकर हार गई थीं।

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