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UP News : अब शादीशुदा होते हुए लिव-इन-रिलेशन में रहने पर नहीं जाएगी नौकरी, हाईकोर्ट का है ये आदेश
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा के बाद भी लिव इन रिलेशन में रहने वाले को सरकारी कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्तगी को सरासर गलत ठहराया है।
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने लिव इन रिलेशन(Live in Relation) में रहने वालों के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शादीशुदा के बाद भी लिव इन रिलेशन में रहने वाले को सरकारी कर्मचारी (Government Employee) की नौकरी से बर्खास्तगी को सरासर गलत ठहराया है। इस बारे में हाईकोर्ट ने माना है कि नौकरी से बर्खास्तगी एक कठोर दंड है।
ऐसे में सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि याची को नौकरी में फिर से बहाल किया जाए। इसके साथ ही यदि विभाग चाहे तो इूसरा कोई मामूली दंड दे सकता है। इस पर गोरेलाल वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने यह आदेश दिया है।
बर्खास्ती का आदेश रद्द
बता दें, इस याचिका में कहा गया कि गोरेलाल की शादी लक्ष्मीदेवी से हुई। उनकी पत्नी लक्ष्मीदेवी अभी जीवित हैं इसके बाद भी वह हेमलता वर्मा के साथ लिव इन रिलेशन में रहता है और इन दोनों को तीन बच्चे भी हैं।
तो इस तहरीर के आधार पर 31 अगस्त 2020 को गोरेलाल को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन इस आदेश के खिलाफ गोरेलाल ने विभागीय अपील दायर की थी। इस अपील को भी खारिज कर दिया गया।
क्योंकि विभाग का मानना है कि उसका यह कार्य सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 और हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।
असल में याची के अधिवक्ता की दलील दी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनीता यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस में इस प्रकार के मामले में बर्खास्ती का आदेश रद्द कर दिया था।
साथ ही हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट ने एसएलपी खारिज कर दी थी। मतलब कि याची भी इसका फायदा उठाने का पूरा का पूरा हकदार है।
इस पर हाईकोर्ट ने याची की दलील को स्वीकार करते हुए याची की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया और उसे दोबारा नौकरी में बहाल करने का निर्देश दिया है। लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि याची बर्खास्तगी अवधि का वेतन पाने का हकदार नहीं होगा। उसे वेतन तभी से मिलेगा, जब से याची नौकरी शुरु करेगा।