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अयोध्या 84 कोसी परिक्रमाः 17 से हो रही शुरू, जानें किसने की थी शुरुआत
Ayodhya News: अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने बहुत ही विशाल कार्यक्रम तैयार किया है ।
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा (फोटो: सोशल मीडिया
Ayodhya News: अयोध्या (Ayodhya) की 84 कोसी परिक्रमा एक बार फिर शुरू होने जा रही है और यह बहुत बड़ी खुशखबरी है कि पिछले 2 साल से कोरोना महामारी के चलते स्थगित चल रही ये परिक्रमा यात्रा इस बार श्रद्धालुओं के लिए फिर से शुरू हो रही है। इसकी तारीख भी निश्चित हो गई है यह यात्रा 17 अप्रैल से शुरू होने जा रही है जो कि 8 मई तक चलेगी। आठ मई को इस यात्रा का समापन होगा।
आपको बता दें अयोध्या की 84 कोसी (84 Kosi Parikrama) परिक्रमा मार्ग के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने बहुत ही विशाल कार्यक्रम तैयार किया है जिसमें पीडब्ल्यूडी की नेशनल हाईवे विंग ने सर्वे का काम भी शुरू कर दिया है और इस मार्ग से तकरीबन 51 तीर्थ स्थल जो कि पौराणिक महत्व के हैं जोड़े जाएंगे। यह योजना करीब 35 सौ करोड़ रुपए की है।
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा वर्तमान में अयोध्या, अंबेडकर नगर, गोंडा, बाराबंकी और बस्ती से होकर गुजरती है और यह परिक्रमा मार्ग जो अभी बस 235 किलोमीटर लंबा है। श्रद्धालु इस परिक्रमा को तकरीबन एक माह में पूरा करते हैं। अब यह थोड़ा लंबा होने जा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार इस परिक्रमा मार्ग को जो नया रूप देने जा रही है उसमें यह परिक्रमा मार्ग करीब 275 किलोमीटर लंबा हो जाएगा लेकिन इस नए मार्ग से पुराने परिक्रमा मार्ग पर स्थित सभी तीर्थ स्थल जोड़ दिए जाएंगे और पुराने परिक्रमा मार्ग को दुरुस्त भी किया जा रहा है।
84 कोसी परिक्रमा मार्ग को नेशनल हाईवे घोषित किया गया
हाल ही में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को नेशनल हाईवे भी घोषित किया जा चुका है और इसकी घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की थी। इसका मतलब यह हुआ कि अब रामलला के दर्शन और 84 कोसी परिक्रमा को जाने वाले श्रद्धालु नेशनल हाईवे से होकर गुजरेंगे।
आपको बता दें अयोध्या में तीन परिक्रमा होती हैं पहली 5 कोसी परिक्रमा जो 15 किलोमीटर की है, दूसरी 14 कोसी परिक्रमा जो तकरीबन 42 किलोमीटर लंबी है और तीसरी 84 कोसी परिक्रमा जो 275 किलोमीटर की है। यह सभी परिक्रमाएं भगवान राम से जुड़ी हुई हैं। इसलिए हिंदुओं में इन परिक्रमा ओं का विशेष महत्व है। पांच कोसी परिक्रमा केवल राम जन्मभूमि के चारों तरफ की होती है, जब हम 14 कोसी परिक्रमा की बात करते हैं तो यह पूरे अयोध्या शहर को घेरती है जो कि पौराणिक अयोध्या की परिक्रमा मानी जाती है और जब 84 कोसी परिक्रमा की बात आती है तो यह परिक्रमा भगवान राम के राज्य से जुड़े सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है इसको आप अवध क्षेत्र की परिक्रमा भी कह सकते हैं। यह 24 दिन चलती है।
आपको बता दें कि यह परिक्रमा जो कि 5 जिलों से होकर गुजरती है जिसमें अयोध्या, अंबेडकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा सहित 5 जिले शामिल हैं। इसमें रायबरेली, सुल्तानपुर के लोग भी सीधे जुड़ जाते हैं। कहते हैं कि राजा दशरथ के समय अयोध्या चौरासी कोस में फैली थी और इसीलिए पौराणिक रूप से इस 84 कोसी परिक्रमा का महत्व है।
हिंदू परंपराओं में 84 का बहुत महत्व ह
वैसे भी सनातन धर्मी हिंदुओं की परंपरा में कहा जाता है कि मनुष्य का जन्म 84 लाख योनियों के बाद होता है। हिंदू परंपराओं में 84 का बहुत महत्व है। अगर इसमें 8 और 4 को जोड़ते हैं तो 12 आता है और एक और दो को जोड़ते हैं तो तीन जोकि त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश, 3 गुण सत्व रज और तम और तीन ऋण पित्र ऋण गुरु ऋण और देव ऋण का भी प्रतीक है। 84 कोसी परिक्रमा मनुष्य को 84लाख योनियों के जंजाल से मुक्ति दिलाती है और त्रिदेवों से मनुष्य का, श्रद्धालुओं का आस्थावान जनों का आध्यात्मिक संबंध भी जोड़ती है। इसके अलावा सत रज और तम तीन गुणों के विकारों को भी दूर करती है। देव ऋण, पित्र ऋण और गुरु ऋण से भी मुक्ति दिलाती है।
कहते हैं कि राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर स्थित मनोरमा नदी के तट पर पुत्रेष्टी यज्ञ किया और इस यज्ञ में ही उनको चार पुत्रों का वरदान मिला था। कहा यह भी जाता है कि दशरथ वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 84 कोसी परिक्रमा की थी और मनोकामना पूरी की थी। उसके बाद से 84 कोसी परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है जहां दशरथ ने यज्ञ किया था।