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Ayodhya News: सिर्फ हिंदू धर्म का मार्गदर्शन ही नहीं करती, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को ज्ञान देती है गीता

Ayodhya News: महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने गीता जयंती के अवसर पर कहा कि गीता सिर्फ हिंदू धर्म का मार्गदर्शन ही नहीं करती है बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को गीता ज्ञान देती है।

NathBux Singh
Published on: 4 Dec 2022 3:59 PM IST
Ayodhya News
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गीता जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन

Ayodhya News: अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने आज यहां वाल्मीकि रामायण भवन में आयोजित गीता जयंती के अवसर पर कहा कि गीता सिर्फ हिंदू धर्म का मार्गदर्शन ही नहीं करती है, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को ज्ञान देती है। गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है।

वाल्मीकि रामायण भवन मेंश्रीमद् भगवद्गीता का किया सस्वर पाठ

वाल्मीकि रामायण भवन में हजारों की संख्या में उपस्थित वैदिक विद्वानों, बटुकों और संत धर्माचार्यो ने श्रीमद् भगवद्गीता का सस्वर पाठ किया। अपने आशीर्वाद में तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष ने कहा भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया ज्ञान गीता में लिखा गया, ये मनुष्य जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता का आरंभ धर्म से तथा अंत कर्म से होता है। उन्होंने कहा गीता मनुष्य को प्रेरणा देती है। मनुष्य का कर्तव्य क्या है? इसी का बोध करवाना गीता का लक्ष्य है।


तत्कालीन समाज में मानवीय व्यवहार के अधिकांश मानक ध्वस्त हो चले थे: महंत कमलनयन

उत्तराधिकारी महंत कमलनयन ने कहा महाभारत युग में जो कुछ घटित होता है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि तत्कालीन समाज में मानवीय व्यवहार के अधिकांश मानक ध्वस्त हो चले थे। पाण्डवों के साथ अन्याय हुआ, यह बात जानते तो बहुत लोग थे, पर उनके समर्थन में आने का साहस मुट्ठी भर लोगों ने किया और यही से असत्य, कदाचार, पापाचार, अनाचार को जड़ मूल से समाप्त करने का पांचजन्य फूंककर श्रीमदभगवदगीता का जन्म हुआ।


कथावाचक पं राधेश्याम शास्त्री ने ये कहा

कथावाचक पं राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने मात्र 45 मिनट में मोहग्रस्त अर्जुन में 701 श्लोकों द्वारा लोकहित में ज्ञान का संचार कर समाज को भयमुक्त करने वाला जो मंत्र दिया। उस महामंत्र रूपी गीता में कहा "एतातन्न हन्तुमिच्छामि ध्नतो$पि मधुसूदन /अपि त्रैलोक्य राज्यस्य हेतो:किन्तु महीकृते। मोहग्रस्त अर्जुन को योगेश्वर कृष्ण समझाते हैं "अर्जुन तुम कहते हो युद्ध से हानि होगी, कुल -धर्म, जाति -धर्म सब नष्ट होगा जायेगा। तुम कहते हो मै भीख मांगकर जीवन-यापन कर सकता हूँ, पर तुम यह क्यों नही सोचते कि "लोक -हित का क्षेत्र कुल और जाति-हित से बड़ा होता है। तुम यदि कुल -हित और जाति -हित के मोह में युद्ध से विरत होने का निर्णय लेते हो तो इससे लोक -हित की अपूर्णीय क्षति होगी। तुम तो अन्याय से प्रताड़ित होगे ही तुम्हारे साथ सम्पूर्ण लोक भी वर्तमान अन्याय व्वस्था मे पिसने लगेगा। क्या लोक को अन्याय मुक्त करना तुम्हारा धर्म नहीं है? उन्होंने कहा आज का युग परमाणु युद्ध की विभीषिका से भयभीत है। ऐसे में गीता का उपदेश ही हमारा मार्गदर्शन कर सकता है। आज का मनुष्य प्रगतिशील होने पर भी किंकर्त्तव्य- विमूढ़ है। अत: वह गीता से मार्गदर्शन प्राप्त कर अपने जीवन को सुखमय और आनन्दमय बना सकता है।


गीता जयंती का दिन अयोध्या के लिए अति महत्वपूर्ण है: विहिप नेता

विहिप नेता शरद शर्मा ने कहा भगवान श्रीकृष्ण की वाणी से प्रकट हुई श्रीमदभगवदगीता का हम पठन पाठन करे तो हमारा जीवन लोकहितकारी राष्ट्र को गौरवशाली बनाने में सहयोगी बन जायेगा। लेकिन दुर्भाग्य है इस राष्ट्र का कि जिस धरती पर श्रीमद्भागवत गीता का जन्म हुआ। वहीं, इस महाग्रंथ को सर्वसुलभ और लोक कल्याणकारी नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने स्मरण कराते हुए कहा गीता जयंती का यह दिन इस "अयोध्या के लिए अति महत्वपूर्ण है। छः दिसंबर 1992 को हिन्दी तिथिनुसार "गीता जयंती" थी। जिस दिन गुलामी का प्रतीक ढांचा समाप्त हुआ।


कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

कार्यक्रम के दौरान वैदिक वटुकों, विद्वानों तथा संतधर्माचार्यो को अंगवस्त्र दक्षिणा देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्रीमणिराम दास छावनी ट्रस्ट के सचिव कृपालु राम दास " पंजाबी बाबा " राम नाम बैंक के मैनेजर पुनीत राम दास,संत जानकी दास, रामरक्षा दास, आनन्दशास्त्री संत बलराम दास, संत राम दास, देवेंद्रपति त्रिपाठी,डॉ. रामतेज पांडेय, डा तालुकदार, पंडित अनिरुद्ध शुक्ल, पंडित राम शंकर द्विवेदी, राजेंद्र पांडे, पं विश्वनायक, प्रधानाचार्य इंद्रदेव मिश्रा, नारद भट्टाराई, दुर्गा प्रसाद गौतम, आचार्य ऋषभ शर्मा, पंडित उमेश पांडे, श्रुतिधर दिवेदी, दीपक शास्त्री अनिरुद्ध शुक्ल, महंत रामकृष्ण दास, विमलकृष्ण दास, संत रामशंकर दास आदि उपस्थित हुए।



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Deepak Kumar

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