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Ayodhya Mosque: 1857 के क्रांतिकारी के नाम पर होगा मस्जिद का नाम, जानिए कौन है मौलवी फैजाबादी

Ayodhya Mosque and the hospital after freedom fighter and revolutionary Maulvi Ahmadullah Shah Faizabadi.

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 6 Jun 2021 9:36 AM GMT
It has been decided to name the mosque freedom fighter and revolutionary Maulvi Ahmadullah Shah Faizabadi.
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अयोध्या मस्जिद(फोटो-सोशल मीडिया)

Ayodhya Mosque: अयोध्या(Ayodhya) में बनने वाली मस्जिद(Mosque) और अस्पताल के नाम को लेकर ताजा जानकारी सामने आई है। धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद(Mosque) और अस्पताल का नाम स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी(Maulvi Ahmadullah Shah Faizabadi) के नाम पर रखने का फैसला किया गया है।

इस बारे में इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के अनुसार, अहमदुल्ला शाह फैजाबादी ने सन् 1857 की क्रांति के बाद अवध को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करोने के लिए दो साल से अधिक समय तक स्‍वतंत्रता आंदोलन चलाया था।

हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक

और यही वजह है कि इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने धन्‍नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद, अस्पताल, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और सामुदायिक रसोई सहित सभी योजनाओं को उन्‍हीं के नाम से शुरू करने का फैसला किया है। बता दें, अहमदुल्ला शाह फैजाबादी की मौत 164 साल पहले हुई थी।


इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के सचिव अतहर हुसैन ने इस बारे में बताया कि उनके शहीद दिवस पर हमने उनके नाम पर ही सभी परियोजनाओं की शुरुआत करने का फैसला लिया है। जनवरी में हमने मौलवी फैजाबादी को शोध केंद्र समर्पित किया, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक थे।

आगे उन्होंने बताया कि आजादी की पहली लड़ाई के 160 साल बाद भी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी को भारतीय इतिहास में अभी तक वो हक नहीं मिला है। मस्जिद सराय, फैजाबाद, जो 1857 के विद्रोह के दौरान मौलवी का मुख्यालय थी, वही एकमात्र जीवित इमारत है जो उनके नाम को संरक्षित करती है।

सचिव अतहर हुसैन आगे बताते हैं, 'ब्रिटिश एजेंट ने जब उन्‍हें मार दिया तो उनके सिर और धड़ अलग-अलग जगह दफन किया गया, जिससे लोग उनकी कब्र को मकबरा नहीं बना सकें। मस्जिद के ट्रस्टी कैप्टन अफजाल अहमद खान ने बताया कि अंग्रेजों के बीच मौलवी फैजाबादी का डर साफ दिखाई देता था।


उन्होंने बताया कि उनकी मौत के बाद भी उन्‍हें डर था कि जिस तरह वह जिंदा रहते हुए अंग्रेजों के लिए खतरा बन गए थे, कहीं मरने के बाद भी ऐसा न हो जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जॉर्ज ब्रूस मैलेसन और थॉमस सीटन जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके साहस और वीरता के बारे में बहुत कुछ लिखा है, लेकिन लेकिन आज भी स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में उन्‍हें जगह नहीं मिल सकी है।

अहमदुल्लाह शाह(1787- 5 जून 1858)

जानते हैं कौन थे अहमदुल्लाह शाह- फैजाबाद के मौलवी के रूप में मशहूर,सन् 1857 के भारतीय विद्रोह के प्रमुख व्यक्ति थे। मौलवी अहमदुल्लाह शाह को 1857 के विद्रोह के लाइटहाउस के रूप में जाना जाता था। इसने बारे में जॉर्ज ब्रूस मॉलसन और थॉमस सीटन जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने अहमदुल्ला की साहस, बहादुरी, व्यक्तिगत और संगठनात्मक क्षमताओं के बारे में उल्लेख किया है।

वहीं जी बी मॉलसन ने भारतीय विद्रोह के इतिहास में अहमदुल्ला का बार-बार उल्लेख किया है, जो सन् 1857 के भारतीय विद्रोह को कवर करते हुए 6 खंडों में लिखी गई पुस्तक है। थॉमस सीटन अहमदुल्ला शाह का वर्णन करते हैं:महान क्षमताओं का एक आदमी, निर्विवाद साहस, कठोर दृढ़ संकल्प, और विद्रोहियों के बीच अब तक का सबसे अच्छा सैनिक।

Vidushi Mishra

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