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Ram Mandir Ayodhya: आखिर क्या है नागर शैली, जिस पर बना है अयोध्या का राम मंदिर; समझिये पूरा स्ट्रक्चर

अयोध्या में श्री रामजी का भव्य मंदिर तैयार हो चूका है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताया है।

Aakanksha Dixit
Written By Aakanksha Dixit
Published on: 4 Jan 2024 3:01 PM IST
Ayodhya News
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Ram Mandir Ayodhya Stucture source: social media 

Ram Mandir Ayodhya: नागर शैली भारतीय स्थापत्यकला में एक प्रमुख शैली है जो मुख्यत: उत्तर भारत के हिन्दू मंदिरों में दी जाती है। यह एक प्राचीन और सुंदर शैली है जो श्रीरंगम, बद्रीनाथ, और केदारनाथ जैसे प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में देखी जा सकती है। नागर शैली के मंदिरों की पहचान मुख्यत: शिखरों, मंदपों, और अंगुरियों की विशेष बनावट से होती है। राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार, राम मंदिर का निर्माण तीन मंजिला हो रहा है, जो आयोध्या में बनाया जा रहा है। जो नागर शैली में होने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता भगवान राम के उपास्य स्थल के रूप में किया जा रहा है।

नागर शैली की विशेषता

नागर शैली का चयन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यह भारतीय स्थापत्यकला में एक प्रमुख शैली है जो मुख्यत: उत्तर भारत के हिन्दू मंदिरों में दी जाती है। यह एक प्राचीन और सुंदर शैली है जो श्रीरंगम, बद्रीनाथ, और केदारनाथ जैसे प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में देखी जा सकती है। नागर शैली के मंदिरों की पहचान मुख्यत: शिखरों, मंदपों, और अंगुरियों की विशेष बनावट से होती है। यह शैली हिन्दू मंदिरों को विशेष रूप से सजीव और आकर्षक बनाती है, और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के साथ जोड़ती है। राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण धर्मिक और सामाजिक घटना है जो भारतीय समाज में बड़े रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है, और नागर शैली इस मंदिर को एक श्रेष्ठ और समृद्धि भरे स्थल के रूप में उजागर करने में मदद कर रही है। 392 स्तंभ, 44 दरवाजे और 161 फीट ऊंचाई के साथ, राम मंदिर नागर शैली की एक अद्वितीय नमूना है। इसमें बने स्तंभ, दरवाजे, और ऊंचाई का संयोजन मंदिर को एक अद्वितीय और प्रभावशाली दृष्टि से आभूषित करता है।

रामलला मंदिर की प्रमुख बातों को क्रमानुसार जाने

  • 392 स्तंभों की संख्या दर्शाता है कि मंदिर का निर्माण स्वर्ण युग में किया गया है, जो कि बौद्धिक और धार्मिक समृद्धि को दर्शाते है। ये स्तंभ मंदिर के संरचना में स्थायिता और समर्पण की भावना को दर्शाते हैं।
  • 44 दरवाजे भी मंदिर की विशेषता को बढ़ाते हैं, जिनसे प्रत्येक भक्त आसानी से मंदिर के भीतर पहुंच सकता है। इन दरवाजों का निर्माण भक्तों के लिए सामूहिक अभिवादन की स्थल के रूप में किया गया है।
  • 161 फीट की ऊंचाई विशेषत: मंदिर के शिखर की अनूठाईता को दर्शाती है, जो नागर शैली की पहचान है। यह मंदिर को दूर से भी पहचानने में मदद करता है और भक्तों को धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव में भागीदार बनाता है।
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
  • मंदिर में होंगे 5 मंडप: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
  • मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
  • पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा मंदिर में प्रवेश होगा।
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धजनों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
  • मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, माता भगवती, गणेश जी व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
  • मंदिर के निकट पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है तथा वहाँ जटायु प्रतिमा की स्थापना भी की गई है।
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊँचा प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाया गया है।
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर निर्भरता कम रहे।
  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण भी किया जा रहा है।


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Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

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नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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