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Ayodhya Ram Mandir: क्या आपको पता हैं कि त्रेतायुग में भगवान् राम के जन्म पर कैसे सजी थी अयोध्या नगरी? आइये जानते हैं
Ayodhya Ram Mandir: त्रेतायुग में प्रभु राम के जन्म पर अवधपुरी वासियों ने बेहद हर्ष और उल्लास के साथ खुशियां मनाईं थीं। साथ ही पूरा ब्रह्माण्ड इस दिन जश्न में डूब गया था आइये जानते हैं कैसे सजी थी इस दिन अवधपुरी।
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में श्री राम के वापस आने का जश्न पूरे धूम धाम से मनाया जाने वाला है। जहाँ इस अवसर पर पूरे उत्तर प्रदेश के सभी स्कूल कॉलेज को बंद कर दिया गया है वहीँ सरकारी दफ्तरों में और प्राइवेट ऑफिस में भी हाफ डे वर्किंग का आदेश दिया गया है। इसके साथ साथ आपको बता दें कि जब त्रेतायुग में श्री राम का जन्म हुआ था तो अवधपुरी के लोगों ने कैसे खुशियां मनाई थी आइये जानते हैं।
त्रेतायुग में प्रभु राम के जन्म पर ऐसे सजी थी अवधपुरी
रामलला ने राजा दशरथ के घर जब जन्म लिया तो उनका दिल ख़ुशी से झूम उठा था साथ ही पूरी अवध नगरी में हर्ष और उल्लास का वातावरण छा गया था। त्रेतायुग का वो समय ऐसा था जहाँ सभी ने ऐसे ख़ुशी मनाई थी और पूरी अवधपुरी यूँ सुशोभित हुई थी मानो रात्रि खुद अपने प्रभु से मिलने आई हो। वहीँ 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है। प्रत्येक हिन्दू ने इसका ख्वाब देखा था। ये ख्वाब अब सच होने जा रहा है।
रामलला के जन्म पर राजा दशरथ ने पूरी प्रजा को नेग देने का निश्चय किया था लेकिन सभी ने नेग लेने से इंकार कर दिया था। इसके पीछे की वजह ये थी कि सभी बस अपने इष्ट रामलला के दर्शन मात्र की इच्छा रखते थे। वहीँ किन्नर समाज से राजा दशरथ की भेंट को स्वीकार किया और अपना वरदान दिया।
रामचरितमानस के बालकांड में वर्णन है कि श्री राम के जन्म पर अवधपुरी को कैसे सजाया गया था। त्रेतायुग में भगवान् राम के जन्म पर हर एक व्यक्ति खुश था और सभी उनकी एक झलक पाने को उत्सुक थे। सतयुग के बाद त्रेतायुग आया जो 12 लाख 96 हजार वर्ष का था। इस युग के लिए कहा जाता है कि इस युग में एक व्यक्ति की उम्र करीब 10 हजार वर्ष साल होती थी। इस युग में भगवान विष्णु ने पांचवे अवतार वानम, छठा अवतार परशुराम और सातवां अवतार श्रीराम के रूप में जन्म लिया।
त्रेतायुग हिन्दू धर्म में काफी महत्वपूर्ण समय था क्योकि ये वही समय था जब भगवान् विष्णु के सातवें और आखिरी अवतार श्री राम ने जन्म लिया था। प्रभु राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ के घर हुआ था। वहीँ उन्होंने त्रेतायुग में भगवान् राम के सरयू नदी में समाधि ले ली थी। इसके बाद ही द्वापर युग की शुरुआत हुई।