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Ayodhya Ram Mandir : इस महारानी ने मारा था, राम मंदिर तोड़ने वाले बाबर के सेनापति मीर बाकी को

Ayodhya Ram Mandir : हंसवर स्टेट के राजा रणविजय सिंह ने राम मंदिर की सुरक्षा के लिए अपनी छोटी सी सेना के साथ मुग़ल साम्राज्य के शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी के साथ एक अद्वितीय युद्ध का सामना किया था।

Aakanksha Dixit
Written By Aakanksha Dixit
Published on: 19 Jan 2024 2:06 PM IST
Ayodhya News
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Ram mandir  source : social media 

Ayodhya Ram Mandir : भगवान रामलला का इंतजार, 500 वर्षों के बाद आखिरकार समाप्त हो गया है। रामलला वनवास खत्म कर अपने गर्भगृह में विराजमान हो गए है। इस मंदिर की रक्षा के लिए न जाने कितने वीरों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी। इन्हीं में से एक किस्सा है, राजा रणविजय सिंह का। लगभग 500 वर्ष पहले, हंसवर स्टेट के राजा रणविजय सिंह ने राम मंदिर की सुरक्षा के लिए अपनी छोटी सी सेना के साथ मुग़ल साम्राज्य के शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी के साथ एक अद्वितीय युद्ध का सामना किया था, जिसमें वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे।



महारानी ने संभाली कमान

जब राजा रणविजय सिंह की पत्नी महारानी जयाकुमारी को राजा के वीरगति प्राप्त होने की सूचना मिली तो उसके पश्चात महारानी ने एक अनूठी पहल की और सभी महिलाओं को मिलाकर एक सेना का गठन किया। उन्होंने युद्ध का आगाज़ किया और कई महीनों तक उन्होंने छापामार युद्ध चलाया। इस युद्ध में, महारानी ने मुग़ल सेनापति मीर बाकी को पराजित कर दिया और राम मंदिर को फिर से स्थापित कर लिया। जैसे ही बाबर को खबर हुई की मीर बाकी रानी के हाथों मारा गया है। तभी मुग़ल शासक बाबर ने अपनी विशाल सेना के साथ महारानी पर हमला बोल दिया, जिसमें वह युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गयी।

क्या था इतिहास

सन 1527 से 1529 के बीच की बात है, बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था। उस समय, हंसवर स्टेट के राजा रणविजय सिंह ने राम मंदिर की सुरक्षा के लिए अपनी एक छोटी सी सेना के साथ युद्ध का बिगुल फूंका। हालांकि, सेना की कमी और उस समय के तकनीकी साधनों की कमी के कारण उन्हें आखिरकार बाबर की सेना से पराजित होकर वीरगति को प्राप्त हो गए। महाराजा के वीरगति प्राप्त होने के बाद उनकी पत्नी, महारानी जयाकुमारी ने एक और युद्ध लड़ा और उसके लिए अपनी महिला सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी बनाई। जब बाबरी मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ, तो हंसवर स्टेट की इस वीरांगना ने बार-बार बाबर की सेना के साथ साहसपूर्ण संघर्ष किया और कई महीनों तक छापामार युद्ध किया। इस युद्ध में, उन्होंने बाबर के सेनापति मीर बाकी को पराजित कर उसे मौत घाट उतर दिया और फिर रामलला के मंदिर को पुनः स्थापित किया। इस पर मुग़ल शासक बाबर ने बड़ी सेना के साथ महारानी पर हमला किया, जिसमें वह युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गयी।



वशंजों को मिला प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

हंसवर स्टेट के महाराज और महारानी द्वारा दिए गए बलिदान को देखते हुए उनके वंशज नरेंद्र मोहन सिंह, जिन्हें संजय सिंह कहा जाता है, को 22 जनवरी को होने वाली प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण प्राप्त हुआ है। वर्तमान में वे बसखारी ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख भी हैं। संजय सिंह ने बताया कि महारानी की एक तस्वीर अयोध्या में भी लगाई गई है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है और इस उत्सव में शामिल होकर वे धन्य हो गए हैं।



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Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

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नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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