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Ayodhya Ram Mandir: राजस्थान से स्केटिंग कर अयोध्या पहुंचा लड़का, पैदल अयोध्या आ रहे लोगों से ली प्रेरणा
Ayodhya Ram Mandir: रामचंद्र जी के दर्शन के लिए देश के अलग-अलग प्रदेशों से लोग पैदल चले आ रहे हैं। राजस्थान के हिमांशु भी श्री रामचंद्र का दर्शन करने अयोध्या जा रहे हैं।
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना 22 जनवरी को होनी है। रामचंद्र जी के दर्शन के लिए देश के अलग-अलग प्रदेशों से लोग पैदल चले आ रहे हैं। राजस्थान के हिमांशु भी श्री रामचंद्र का दर्शन करने अयोध्या जा रहे हैं। राजस्थान के कोटपूतली के रहने वाले हिमांशु सैनी ने बताया कि वे आठ जनवरी को घर से चले थे। वे सात दिनों में 700 किलोमीटर स्केटिंग कर अयोध्या पहुंचे हैं। हिमांशु की उम्र अभी मात्र दस वर्ष ही है। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य था कि उन्हें राम मंदिर के अनुष्ठान से पहले अयोध्या पहुंचना था। लेकिन ज्यादा दूरी के कारण एक दिन विलंब हो गया। उन्हें आठ जनवरी को कोटपुतली शहर के लोगों ने यात्रा की शुभकामनाओं सहित विदाई दी।
पैदल अयोध्या आ रहे लोगों से ली प्रेरणा
हिमांशु ने बताया कि उन्हें जब पता चला कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना होने जा रही है। तब से ही उन्होंने रामचंद्र जी के दर्शन करने का संकल्प ले लिया था। जबरदस्त सर्दी के बावजूद उन्होंने इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में स्केटिंग कर आने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि जब पूरे देश से भगवान राम के दर्शन के लिए लोग पैदल अयोध्या आ सकते हैं तो मैं स्केटिंग कर क्यों नहीं आ सकता। राजस्थान के कोटपूतली से चलकर अयोध्या आ रहे हिमांशु 17 जनवरी को होने वाली शोभायात्रा में शामिल हो सकते हैं। हिमांशु ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा वे अनुष्ठान के दूसरे दिन होने जा रही भव्य शोभायात्रा में शामिल होना चाहते हैं।
सातवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं हिमांशु
कोटपूतली के रहने वाले हिमांशु कक्षा सात में पढ़ते हैं। हिमांशु ने जय श्री राम और बजरंगबली की जय के नारे लगाते हुए अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर देशभर के लोग अपनी श्रद्धा के साथ दर्शन पाना चाहते हैं। अब वह भी भगवान रामचंद्र जी की प्राण प्रतिष्ठा का गवाह बनने जा रहे हैं।
रोज़ 100 किमी चलने का था लक्ष्य
हिमांशु ने आठ जनवरी को राजस्थान के कोटपूतली से अपनी यात्रा की शुरू की थी। इस दौरान उनके पिता अशोक सैनी और भाई भी उनके साथ-साथ रहे हैं। वे अपने साथ गाड़ी में हर प्रकार की इमरजेंसी के सामान लेकर चल रहे थे। उन्होंने दवाइयां और सर्दी के कपड़े भी अपने साथ रख लिए थे। हिमांशु ने एक साल के अंदर ही स्केटिंग करना सीखा था। उसने स्केटिंग की ट्रेनिंग ली है। पूरी यात्रा में हिमांशु ने एक दिन में सौ किलोमीटर स्केटिंग करने का निश्चय किया था। वे एक हाथ में भगवा रंग का झंडा भी लेकर चल रहे हैं।