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Ram Mandir Pujari Satyendra Das: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन, लंबे समय से थे बीमार
Ram Mandir Pujari Satyendra Das: अयोध्या रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया है।
Ram Mandir Pujari Satyendra Das: अयोध्या में भगवान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 87 साल की उम्र में निधन हो गया। लखनऊ पीजीआई में बुधवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। 3 फरवरी को ब्रेन हैमरेज के बाद उनको अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया। तब से उनका इलाज चल रहा था। आज संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक़, उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था।
एसजीपीजीआई की तरफ से रिलीज प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि आचार्य सत्येंद्र शुगर और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे। उन्हें न्यूरोलॉजी वार्ड के आईसीयू में रखा गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका और 12 फरवरी की सुबह उनका निधन हो गया। बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे और वर्षों तक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में सेवा देते रहे। उनके निधन से अयोध्या में शोक की लहर है। श्रद्धालु और संत समाज उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने भी उनके योगदान को अमूल्य बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
सीएम योगी ने आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर जताया शोक
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर सीएम योगी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने पोस्ट कर लिखा, "परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!"
बचपन से भगवान राम के प्रति थे समर्पित
अयोध्या के श्रीराम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी का जन्म 20 मई 1945 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में हुआ था। बचपन से ही भगवान राम के प्रति उनका गहरा लगाव था। अपने गुरु अभिराम दास जी से प्रभावित होकर उन्होंने 1958 में संन्यास ग्रहण कर लिया और आश्रम में रहने लगे। सत्येंद्र दास जी ने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। बाबरी विध्वंस के दौरान उन्होंने रामलला की मूर्ति की पूरी तरह से रक्षा की थी। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों के साथ मिलकर उन्होंने मंदिर आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके पिता ने भी संन्यास के फैसले में उनका समर्थन किया था।