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CM Yogi in Pran Pratishtha: मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया थाः सीएम योगी

CM Yogi in Pran Pratishtha: श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण होने के उपरांत सीएम ने प्रकट किए अपने मनोभाव, बोले- जिस अयोध्या को ‘‘अवनि की अमरावती‘‘ और ‘‘धरती का वैकुंठ‘‘ कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त रही। हर मन में राम नाम है, हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है, रोम रोम में राम रमे हैं, पूरा राष्ट्र राममय है। कहा-भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 22 Jan 2024 2:39 PM IST (Updated on: 22 Jan 2024 7:05 PM IST)
CM Yogi in Pran Pratishtha
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CM Yogi in Pran Pratishtha (Photo: Social Media)

CM Yogi in Pran Pratishtha: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री अयोध्याधाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण होने के उपरांत अपने मनोभाव प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।

-रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥

-प्रभु श्रीरामलला की जय! सरयू मइया की जय! भारत माता की जय! जय जय श्रीसीता राम! प्रभु श्रीरामलला के भव्य- दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई। 500 वर्षों के लबे अंतराल के उपरांत आज के इस चिरप्रतीक्षित मौके पर अंतर्मन में भावनाएं कुछ ऐसी हैं कि उन्हें व्यक्त करने को शब्द नहीं मिल रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि मन भावुक है, भाव विभोर है, भाव विह्वल है। निश्चित रूप से आप सब भी ऐसा ही अनुभव कर रहे होंगे।

ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं

आज इस ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर भारत का हर नगर- हर ग्राम अयोध्याधाम है। हर मार्ग श्रीरामजन्मभूमि की ओर आ रहा है। हर मन में राम नाम है। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है। हर जिह्वा राम-राम जप रही है। रोम रोम में राम रमे हैं। पूरा राष्ट्र राममय है। ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं।

पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं

सीएम योगी ने कहा कि आज रघुनन्दन राघव रामलला, हमारे हृदय के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर विराज रहे हैं। आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है और संतोष के भाव हैं। आखिर भारत को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। भाव-विभोर कर देने वाली इस दिन की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं, दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए इस धराधाम से साकेतधाम में लीन हो गईं, किन्तु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा।

उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि, संभवतः विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य के जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो।

संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पाति, विचार-दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया। अंततः आज वह शुभ अवसर आ ही गया कि जब कोटि-कोटि सनातनी आस्थावानों के त्याग और तप को पूर्णता प्राप्त हो रही है। आज संतोष इस बात का भी है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।

संकल्प और साधना की सिद्धि के लिए, हमारी प्रतीक्षा की समाप्ति के लिए, हमारे संकल्प पूर्णता के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का हृदय से आभार और अभिनंदन।

प्रधानमंत्री जी! 2014 में आपके ‘आगमन‘ के साथ ही भारतीय जनमानस कह उठा था...

मोरे जिय भरोस दृढ़ सोई।

मिलिहहिं राम सगुन सुभ होई॥

अभी गर्भगृह में वैदिक विधि-विधान से रामलला के बाल विग्रह के प्राण-प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बने। अलौकिक छवि है हमारे प्रभु की। बिल्कुल वैसे, जैसा संत तुलसीदास जी ने वर्णन किया है...

नवकंज लोचन। कंज मुख। कर कंज। पद कन्जारुणम्।

धन्य है वह शिल्पी, जिसने हमारे मन में बसे राम की छवि को मूर्त रूप प्रदान किया। विचारों और भावनाओं की विह्वलता के बीच मुझे पूज्य संतों और अपनी गुरु परम्परा का पुण्य स्मरण हो रहा है। आज उनकी आत्मा को असीम संतोष और आनन्द की अनुभूति हो रही होगी, जिन परम्पराओं की पीढ़ियां श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ में अपनी आहुति दे चुकी हैं, उनकी पावन स्मृति को यहां पर कोटि-कोटि नमन करता हूँ। श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न केवल सनातन आस्था व विश्वास की परीक्षा का काल रहा, बल्कि, संपूर्ण भारत को एकात्मकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ। सदियों के बाद भारत में हो रहे इस चिरप्रतिक्षित नवविहान को देख अयोध्या समेत भारत का वर्तमान आनन्दित हो उठा है।

राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है

भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं और उससे भी बड़भागी हैं वो जिन्होंने सर्वस्व इस राम-काज के लिए समर्पित किया है और करते चले जा रहे हैं। जिस अयोध्या को ‘‘अवनि की अमरावती‘‘ और ‘‘धरती का वैकुंठ‘‘ कहा गया, वह सदियों तक अभिशिप्त रही। उपेक्षित रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था पददलित होती रही, चोटिल होती रही। राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाये रखा, लेकिन हर एक नए दिन के साथ हमारा संकल्प और दृढ़ होता गया। और आज देखिए... पूरी दुनिया अयोध्या जी के वैभव को निहार रही है। हर कोई अयोध्या आने को आतुर है। आज अयोध्या में त्रेतायुगीन वैभव उतर आया है। दिख रहा है।

पूरा विश्व दिव्य और भव्य अयोध्या का साक्षात्कार कर रहा है

यह धर्म नगरी ‘विश्व की सांस्कृतिक राजधानी‘ के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है। पूरा विश्व दिव्य और भव्य अयोध्या का साक्षात्कार कर रहा है। आज जिस सुनियोजित एवं तीव्र गति से अयोध्यापुरी का विकास हो रहा है, वह प्रधानमंत्री जी के दृढ़संकल्प, इच्छाशक्ति एवं दूरदर्शिता के बिना संभव नहीं था। कुछ वर्षों पहले तक यह कल्पना से परे था कि अयोध्या में एयरपोर्ट होगा। यहां नगर के भीतर 04 लेन सड़क होगी। सरयू जी में क्रूज चलेंगे। अयोध्या की खोई गरिमा वापस आएगी, लेकिन मित्रों! डबल इंजन सरकार के प्रयासों से यह सब सपना साकार हो रहा है। ‘‘सांस्कृतिक अयोध्या, आयुष्मान अयोध्या, स्वच्छ अयोध्या, सक्षम अयोध्या, सुरम्य अयोध्या, सुगम्य अयोध्या, दिव्य अयोध्या और भव्य अयोध्या‘‘ के रूप में पुनरोद्धार के लिए हजारों करोड़ रुपये लग रहे हैं।

सभी नगरीय सुविधाएं भी विकसित हो रहीं हैं

आज यहां राम जी की पैड़ी, नया घाट, गुप्तार घाट, ब्रह्मकुंड आदि विभिन्न कुंडों के कायाकल्प, संरक्षण, संचालन और रखरखाव का कार्य हो रहा है। रामायण परंपरा की ‘कल्चरल मैपिंग‘ कराई जा रही है, राम वन गमन पथ पर रामायण वीथिकाओं का निर्माण हो रहा है। इस नई अयोध्या में पुरातन संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण तो हो ही रहा है, भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आधुनिक पैमाने के अनुसार सभी नगरीय सुविधाएं भी विकसित हो रहीं हैं। इस मोक्षदायिनी नगरी को आदरणीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से ‘सोलर सिटी‘ के रूप में विकसित किया जा रहा। नई अयोध्या पूरे विश्व के सनातन आस्थावानों, संतों, पर्यटकों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के लिए प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। यह एक नगर या तीर्थ भर का विकास नहीं है, यह उस विश्वास की विजय है, जिसे ‘सत्यमेव जयते‘ के रूप में भारत के राजचिह्न में अंगीकार किया गया है। यह लोकआस्था- जन विश्वास की विजय है। भारत के गौरव की पुनरप्रतिष्ठा है।

अयोध्या का दिव्य दीपोत्सव नए भारत की सांस्कृतिक पहचान बन रहा है और श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह भारत की सांस्कृतिक अन्तरात्मा की समरस अभिव्यक्ति सिद्ध हो रहा। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह राष्ट्र मंदिर है। निःसन्देह! श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है। निश्चिंत रहिए! रामकृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की परिक्रमा में बाधक नहीं बन पाएगा। अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा। अपितु राम नाम संकीर्तन से गुंजायमान होगी। अवधपुरी में रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है।

रामराज बैठे त्रैलोका। हर्षित भये गए सब सोका।।

रामराज्य, भेदभाव रहित समरस समाज का द्योतक है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी की नीतियों-विचारों और योजनाओं का आधार है। भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के स्वप्न को साकार रूप देने में योगदान करने वाले सभी वास्तुविदों, अभियंताओं, शिल्पियों और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सभी पदाधिकारियों को हृदय से धन्यवाद। पुनः आप सभी को श्रीरामलला के विराजने की ऐतिहासिक पुण्य घड़ी की बधाई। जो संकल्प हमारे पूर्वजों ने लिया था, उसकी सिद्धि की सभी को बधाई। प्रभु के चरणों मे नमन। सभी को कोटि-कोटि बधाई।

योगी ने प्रधानमंत्री व सर संघचालक को भेंट किया चांदी के राम मंदिर का मॉडल

समारोह के पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का स्वागत किया। सीएम ने दोनों अभ्यागतों को श्रीराम मंदिर का चांदी का मॉडल भेंट कर अयोध्या धाम की पावन धरा पर अभिनंदन किया।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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