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Ayodhya Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने पर इमाम उमर अहमद के खिलाफ फतवा, बोले- मुझसे नफरत करने वाले पाकिस्तान जाएं, मैंने कोई गुनाह नहीं किया

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की वजह से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। इसको लेकर उन्होंने कहा है कि जो लोग समारोह में शामिल होने की वजह से मुझसे नफरत करते हैं, वो पाकिस्तान चले जाएं। मैंने कोई गुनाह नहीं किया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 29 Jan 2024 10:36 PM IST
Fatwa against Imam Omar Ahmed for attending Pran Pratistha
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प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने पर इमाम उमर अहमद के खिलाफ फतवा: Photo- Social Media

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में नव निर्मित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा धुमधाम से हुई थी। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉक्टर इमाम उमेर अहमद इलियासी भी पहुंचे थे। वो वीवीआईपी मेहमानों में शामिल थे। अब उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया है। वहीं फतवा को लेकर उन्होंने दो टूक जवाब भी दिया है।

अपने खिलाफ जारी फतवा को लेकर उमेर अहमद ने कहा, मुख्य इमाम के रूप में मुझे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट से निमंत्रण मिला था। दो दिन तक विचार करने के बाद मैंने अयोध्या जाने का फैसला किया था। फतवा कल जारी किया गया था लेकिन मुझे 22 जनवरी की शाम से ही धमकी भरे कॉल आ रहे हैं।

बोले-मुझसे नफरत करने वाले पाकिस्तान चले जाएं

उन्होंने कहा, मैंने कुछ कॉल रिकॉर्ड किए हैं, जिनमें कॉल करने वालों ने मुझे जान से मारने की धमकियां दी हैं। जो लोग मुझे और देश से प्यार करते हैं, वो मेरा समर्थन करेंगे। जो लोग समारोह में शामिल होने की वजह से मुझसे नफरत करते हैं, वो पाकिस्तान चले जाएं। मैंने प्यार का पैगाम दिया है। कोई गुनाह नहीं किया। मैं माफी नहीं मांगूंगा और न ही इस्तीफा दूंगा। धमकी देने वाले जो चाहें कर सकते हैं।

Photo- Social Media

उमेर अहमद को लेकर फतवे में कही गई ये बातें

फतवे में कहा गया है, राम मंदिर जाने से पहले और अपना बयान देने से पहले क्या यह ख्याल नहीं आया कि तुम मौलाना जमील इलियासी के बेटे और मेवात के जाने-माने उपदेशक परिवार से हो? अरे नादान, तुम कब से इमामों के सरदार बन गए? हिंदुओं की नजर में अच्छा बनना था। हिंदुओं को खुश करने के लिए गए थे। ‘कोई भी इंसान तब तक सच्चा मुसलमान नहीं बन सकता जब तक उसके अंदर पूरी इंसानियत न हो। फिर यह कहना कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है, इसकी इजाजत कहां तक दी जा सकती है? सम्मान पाने के लिए मंदिर के उद्घाटन में क्यों शामिल हुए?। इतना ही नहीं इस फतवे में इमाम के खिलाफ कई और व्यक्तिगत टिप्पणियां भी की गई हैं। साथ ही उनके इमाम होने पर सवालिया निशान भी उठाया गया है।

इससे पहले 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में पहुंचे डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा था, यह बदलते भारत की तस्वीर है। आज का भारत नवीन और उत्तम है। मैं यहां पैगाम ए मोहब्तत लेकर आया हूं। इबादत के तरीके और पूजा पद्धति अलग हो सकती है। हमारी आस्थाएं जरूर अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत का है। आइए, हम सब मिलकर इंसानियत को बरकरार रखें।

बताते चलें कि मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम हैं। इलियासी को अखिल भारतीय इमाम संगठन भारत के 5 लाख इमामों और करीब 21 करोड़ भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता है। उमर अहमद इलियासी इमाम संगठन का वैश्विक चेहरा हैं। धर्म, आध्यात्मिकता और अंतरधार्मिक संवाद के सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संगठन का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाल ही में डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी को पंजाब की देश भगत यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी की उपाधि से सम्मानित किया था। यह पहली बार है कि किसी मस्जिद के इमाम को शिक्षा के सर्वोच्च पद से सम्मानित किया गया।



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Shashi kant gautam

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