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Pujari Laxmikant Dixit: मुख्य पुजारी के निधन पर सोशल मीडिया में कई तरह की चर्चाएं, क्या है हकीकत?
Pujari Laxmikant Dixit: मुख्य पुजारी स्व लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है।
Pujari Laxmikant Dixit: श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन के बाद सोशल मीडिया पर लोग तरह तरह की टिप्पणियां करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इनमें कहा गया है कि प्राण प्रतिष्ठा का गलत मुहुर्त निकालने के कारण ही उनकी अचानक मौत हो गयी ।मुख्य पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन के बाद लगातार सोशल मीडिया पर आ रहे कमेंटस के बाद प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने कहा कि मुहूर्त दोष के चलते दीक्षित का निधन नहीं हुआ है। उनका निधन भरणी के भौम के चलते हुआ है। भरणी एक नक्षत्र है जो जीवन और मृत्यु के रहस्यों से संबंधित है।
आचार्य दीक्षित की गिनती काशी के वरिष्ठ विद्वानों में होती है. आचार्य दीक्षित के द्वारा काशी के 121 ब्राह्मणों ने अयोध्या के भव्य मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। शुक्ल यजुर्वेद के प्रकांड विद्वान के रूप में भारत में एक अलग पहचान रखने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का चयन अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पूजा अनुष्ठान के लिए खुद कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य ने किया था. शंकराचार्य की तरफ से इनके चयन के बाद राम मंदिर के अनुष्ठान में तैयारी से लेकर अंतिम दिन के अनुष्ठान तक में उनकी मौजूदगी अयोध्या में रही।अयोध्या के भव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी के प्रकांड वैदिक विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री ने शुभ मुहूर्त निकाला था। जिस मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, उसे महाकवि कालीदास ने अपनी कृति पूर्व कालामृत में संजीवनी मुहूर्त कहा गया था।
काशी के ज्योतिष आचार्य ने प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त का समय बताकर दोपहर 12.15 से 12.45 बजे के बीच मुख्य यजमान पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, मेष लग्न और अभिजीत मुहूर्त में करवाई थी। काशी के सांग्वेद विद्यालय के प्राचार्य गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ये अद्भुत मुहूर्त निकाला था। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड के बीच था और कुल मिलाकर 84 सेकेंड का ही शुभ मुहूर्त है. इसी में रामलला प्रतिष्ठित किए गये थें। पूजन मुख्य पुरोहित पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने संपन्न कराया था।बतातें चलें कि इसी साल लोकसभा चुनाव घोषित होने के पहले 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। तब कुछ पुजारियों एवं संतो ने आपत्ति जताई थी कि प्राण प्रतिष्ठा का अभी उचित मुहुर्त नहीं है। इसके बावजूद यह कार्यक्रम कराया जा रहा है।
मुख्य पुजारी स्व लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है। वे सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य भी रहे थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित के पूर्वजों ने ही नागपुर और नासिक रियासतों में धार्मिक अनुष्ठानों को भी संपन्न करवाया था. शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक में भी इनके परिवार की लोगों की ही मौजूदगी रही।पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का जन्म मुरादाबाद में जन्म हुआ था। काशी में रहकर माता रुक्मणी और पिता वेद मूर्ति मथुरानाथ दीक्षित के साथ अपना अध्ययन अध्यापन शुरू किया. पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के पिता का निधन कम उम्र में हो गया था. जिसके बाद उन्होंने अपने चाचा से ही वेद और कर्मकांड की शिक्षा ली. उनके चाचा गणेश दीक्षित (जावजी भट्ट) के द्वारा उन्हें यज्ञ कर्मकांड की संपूर्ण शिक्षा दी गई।
1998 में पंडित लक्ष्मीकांत ने विशिष्ट श्रौतयाग (सोमयाग) नेपाल में अनुष्ठित किया। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में श्रौतयज्ञशाला का निर्माण करवाया। उन्हें करपात्री जी एवं निरंजनदेव तीर्थस्वामी जी का विशेष अनुग्रह प्राप्त था।चारों पीठों के शङ्कराचार्य द्वारा विशेष सम्मानित किया गया और 2012 में वैदिक रत्न द्वारका ज्योतिष पीठ पुरस्कार श्री स्वामीस्वरूपानन्द सरस्वती दने उन्हें दिया. 2014 में वेदसम्राट पुरस्कार, सन् 2015 में वैदिक भूषण अलंकरण, श्रृङ्गेरी शङ्कराचार्य संस्थान द्वारा वेदमूर्ति पुरस्कार भी दिया गया। वेद सम्मान घनपाठी पुरस्कार के अलावा 2016 में लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया. 2022 में भारत के लोकसभा अध्यक्ष द्वारा भारतात्मा पुरस्कार दिया गया।