×

Ram Mandir: प्राण-प्रतिष्ठा के दिन कौन से कपड़े पहनेंगे रामलला? टेलर भगवत ने दी अहम जानकारी

Ram Mandir: रामलला अभी तक भगवत प्रसाद पहाड़ी व उनके परिवार की बनाई हुई पोशाक ही पहनते रहे हैं। पहाड़ी और उनका परिवार वर्षों से भगवान के विग्रहों के लिए कपड़े तैयार करते हैं

Hariom Dwivedi
Published on: 17 Jan 2024 12:32 PM IST
Ram Mandir
X

Ram Mandir (Photo: Newstrack)

Ram Mandir: रामलला अभी तक टेलर भगवत प्रसाद पहाड़ी व उनके परिवार की बनाई हुई पोशाक ही पहनते हैं। दिन के हिसाब से उनकी पोशाक बदलती रहती है। रविवार को गुलाबी, सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम और शनिवार को नीले कलर का कपड़ा पहनते हैं। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद बदले हुए स्वरूप में रामलला उनके बनाये हुए कपड़े पहनेंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है। क्योंकि ट्रस्ट की तरफ से अभी तक उनको नई प्रतिमा के लिए कपड़े सिलने का ऑर्डर नहीं मिला है। यह तय है कि रामलला उस दिन हरे कपड़े पहनेंगे।

फोन के जरिये समय लेने के बाद जब हम उनके घर पहुंचे तो वहां सिलाई मशीन पर खटपट जारी थी। कड़ाके की ठंड में भी उनकी उंगलियां कपड़ों पर फिर रही थीं। उनका पूरा फोकस रामलला के पोशाक की फिटिंग पर ही था। इस काम में उनके बेटे व बहुएं भी साथ दे रहे थे। भले ही अभी नई प्रतिमा के लिए कपड़े सिलने का ऑर्डर उन्हें नहीं मिला है, फिर भी वह भगवान के विग्रहों के लिए कपड़े तैयार करने में जुटे हैं। बातचीत में पता चला कि उनका परिवार इन दिनों मुफलिसी में गुजर रहा है, वजह है कि चौड़ीकरण के कारण राम पथ की उनकी तीन दुकानों का टूटना। अब वह घर से ही काम चला रहे हैं। उन्हें आस है कि श्रीराम उनकी सुध लेंगे और मंदिर ट्रस्ट परिवार के लोगों को कोई काम देगा।

Photo: Newstrack


दिगंबर अखाड़े में चल रहा पुनर्निमाण का काम

भगवती प्रसाद से मिलने के पहले मैं दिगबंर अखाड़ा पहुंचा था, जहां के महंत स्वर्गीय परमहंस रामचंद्र की मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका थी। उनकी ही प्रार्थना पत्र पर पहली बार जिला न्यायालय जन्मभूमि में पूजा का आदेश जारी किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब भी अयोध्या आते हैं, वह यहां जरूर आते हैं। मंगलवार को दिगम्बर अखाड़े में सन्नाटा पसरा था। दो-तीन साधु आग ताप रहे थे। अखाड़े का पुर्निमाण जारी था। अखाड़े के वर्तमान महंत सुरेश दास काफी अस्वस्थ हैं। उस वक्त वह नई बिल्डिंग में विश्राम कर रहे थे। उनकी सेवा का जिम्मा संभाल रहे लोगों से अपना परिचय दिया और मिलने की गुजारिश की। इस दौरान हॉल में बैठा रहा, जहां बड़े से फोटो फ्रेम में परमहंस रामचंद्र की तस्वीर लगी थी। आगंतुकों के लिए सोफे और कुर्सियां पड़ी थीं। पता चला कि 11:30 बजे उनसे बात हो सकेगी। 10 बज रहे थे इसलिए वहीं रुकना मुनासिब समझा। तब तक वहां मौजूद लोगों से बात करने और वीडियो बनाने का काम जारी रखा।

मंदिर आंदोलन में गोली खाई, नहीं मिला प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

आखिरकार घड़ी ने 11:30 बजाए। फिर उसी हॉल में पहुंचा लेकिन उस वक्त काफी निराशा हुई जब पता चला कि वह अभी भी सो रहे हैं। कहा गया कि शाम को आओ। मैंने गुजारिश करते हुए कहा कि किसी और साधु से बात करवा दो। अखाड़े के उत्तराधिकारी भी नहीं थे, लिहाजा अखिलेश दास जी का इंटरव्यू लेना सुनिश्चित हुआ। मौजूदा साधुओं में वरिष्ठ थे। राम मंदिर निर्माण से सभी बहुत खुश थे। एक संत ऐसे भी थे जो प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण न मिलने से गुस्साए थे। उनका कहना था कि मंदिर आंदोलन के दौरान सीने पर गोली खाई है, लेकिन लोग उन्हें भूल गये।न्यूजट्रैक पर जल्द ही सभी खबरें पढ़ने और देखने को मिलेंगी।

हनुमानगढ़ी के दर्शन

हर मंगलवार को मैं हनुमान जी के दर्शन करता हूं। आज हनुमानगढ़ी में दर्शन करने का सौभाग्य मिला। कड़ाके की ठंड के बावजूद भक्तों का हुजूम था। अच्छी बात यह थी कि वहां मोबाइल ले जाने की मनाही नहीं थी। लिहाजा वीडियो भी शूट किया और तस्वीरें भी क्लिक कीं। आज भी सुबह उठना काफी चैलेंजिंग था। खासकर तब जब रात के तीन बजे से मुझे पेट दर्द के साथ उल्टियां शुरू हो गई थीं। दर्द इतनी हो रही थी कि जान ही निकली जा रही थी। ऐसे में एक ही सहारा थे रामलला, उनको और माता जानकी को याद करते हुए कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

Photo: Newstrack


इलाज की बेहतर व्यवस्था

नित्यक्रिया से निवृत्त होकर अपने डॉक्टर से फोन कर दवा लिखवाई। दवा से पेटदर्द तो कम हुआ पर अचानक बढ़ी गैस की वजह से दिक्कत बढ़ गई है। ऐसे में सरकार द्वारा बनाये गये हेल्थ सेंटर्स की मदद ली। यह पूरी तरह से निशुल्क हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर येलोपैथिक, यूनानी और होम्योपैथिक के डॉक्टर थे। येलोपैथिक की दवा ली। यूनानी वाले डॉक्टर जो पास में ही थे, मुझे सुन रहे थे। उन्होंने भी एक चूरन दिया और चार बार खाने को कहा। दवा से थोड़ी राहत मिली, लेकिन दर्द हो रही थी। ऐसे में थोड़ा आराम करना ही बेहतर समझा।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

Next Story