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Ramlala Pran Pratishtha: जानिए गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति का सम्पूर्ण विवरण

Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा आज हो गयी है वहीँ आपको बता दें कि इस मूर्ति की विशेषता क्या है।

Shweta Srivastava
Published on: 22 Jan 2024 2:45 AM GMT (Updated on: 22 Jan 2024 2:45 AM GMT)
Ramlala Pran Pratishtha: जानिए गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति का सम्पूर्ण विवरण
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Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर को लेकर हर तरफ चर्चा है वहीँ क्या आप जानते हैं जितना भव्य और अनोखा है राम मंदिर उतनी ही अनोखी है रामलला की मूर्ति। आज हम आपको मंदिर में रखी गयी रामलला की मूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी आज प्रधानमंत्री ने प्राणप्रतिष्ठा की है। आइये जानते हैं क्या खासियत है इस मूर्ति की।

गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति का पूरा विवरण

रामलला की मूर्ति के बारे में हर कोई जानने को काफी ज़्यादा उत्सुक है वहीँ आपको बता दें कि उनकी इस मूर्ति की लंबाई 4 फुट 3 इंच और चौड़ाई 3 फुट है। वहीँ जब इस मूर्ति को बनाया जाना तय हुआ तो इसके लिए कई जगहों से पत्थर आये लेकिन आपको बता दें कि नेपाल, कर्नाटक और राजस्थान से आए पत्थरों में से ही कहीं एक जगह के पत्थर को इसके लिए चुना गया। गर्भ गृह में पांच वर्ष की आयु वाले रामलला की मूर्ति लगी है। जिनके हाँथ में सोने का धनुष है जो पटना के महावीर मंदिर से लाया गया है। आपको बता दें कि गर्भ गृह काफी बड़ा है इसी वजह से पुरानी मूर्ति शायद न दिखाई पड़े तो नई मूर्ति यहाँ स्थापित किया गया है।

गौरतलब है कि यहाँ भगवान् राम की पांच वर्ष के बालरूप की मूर्ति है इसलिए यहां सीता जी और बजरंगबली जी की प्रतिमा यहाँ नहीं स्थापित की गयी है। राम दरबार इसके ऊपर वाले तल पर है। वहीँ मूर्ति पर लगी पट्टी अब हटा दी गयी है जिसे प्राण प्रतिष्ठा के बाद हटाना तय हुआ था। जिसे ‘नेत्र उन्मीलन’ विधि कहते हैं। जिसके अंतर्गत भगवान के आंखों में पट्टी होती है और उसे खोला जाता है, फिर मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसके लिए मन्त्र क्या हैं आइये जानते हैं।

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषयः। ऋग्यजु: सामानि छंदांसि। (परंपरा अनुसार मंत्र)

इसके अलावा ऋगवेद में भी प्राण प्रतिष्ठा का एक मंत्र हैं आइये जानते हैं ये क्या है।

असुनीते पुनरस्मासु चक्षुः पुनः प्राणमिह नो धेहि भोगम्. ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्तमनुमते मृळया नः स्वस्ति। (ऋगवेद 10.59.6)

आपको बता दें कि रामलला की मूर्ति के सबसे ऊपर सूर्य नारायण की आकृति बनी हुई है। इसके पीछे की वजह ये है कि भगवान् श्री राम सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के थे। वहीँ इसमें आपको सूर्य देव की दाईं ओर शंख और चक्र की आकृति नज़र आएगी जो भगवान् विष्णु के हांथों में रहता है। इसके अलावा आपको सूर्य देव के बाईं ओर भगवान विष्णु के गदा की आकृति है। स्वास्तिक चिह्न बाईं ओर और ॐ चिह्न दाईं ओर नज़र आएगा। ये दोनों ही चिह्न सनातन धर्म में काफी महत्त्व रखते हैं। वहीँ मूर्ति से सबसे नीचे कमल की आकृति है। मूर्ति की दाईं ओर सबसे नीचे हनुमान जी की आकृति है। बाईं ओर भगवान का वाहन गरुड़ की आकृति बनी है। इसके साथ ही साथ इस मूर्ति में भगवान् विष्णु के दस अवतारों की भी आकृति बनी हुई है। आइये जानते हैं ये किस श्रृंखला में है

दाईं ओर: –

  • मत्स्य अवतार
  • कूर्म अवतार
  • वराह अवतार
  • नरसिंह अवतार
  • वामन अवतार

बाईं ओर: –

  • परशुराम अवतार
  • राम अवतार
  • कृष्ण अवतार
  • बुद्ध अवतार
  • कल्कि अवतार

गौरतलब है कि रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा रामानन्द सम्प्रदाय की विधि विधान से हुई है।

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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