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Ram Mandir Pran Pratishtha: विपक्षी दलों को महंगी न पड़ जाए प्राण प्रतिष्ठा से दूरी, इन दस बड़े नेताओं ने नहीं लिया कार्यक्रम में हिस्सा

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में आयोजित भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की देश-दुनिया में जबर्दस्त धूम दिखी मगर विपक्ष के बड़े नेता नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेताओं को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था मगर कई नेताओं ने पहले ही इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 22 Jan 2024 2:47 PM GMT
Ram Mandir Pran Pratishtha: Distance from life and prestige should not be costly for opposition parties, these ten big leaders did not participate in the program
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Ram Mandir Pran Pratishtha: विपक्षी दलों को महंगी न पड़ जाए प्राण प्रतिष्ठा से दूरी, इन दस बड़े नेताओं ने नहीं लिया कार्यक्रम में हिस्सा: Photo- Newstrack

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में आयोजित भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की देश-दुनिया में जबर्दस्त धूम दिखी मगर विपक्ष के बड़े नेता नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेताओं को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था मगर कई नेताओं ने पहले ही इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया था। उनका आरोप था कि भाजपा और संघ इस कार्यक्रम के जरिए सियासी लाभ पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

वैसे पूरे देश में इस कार्यक्रम को लेकर जो असर दिखा है,उसे देखते हुए विपक्षी दलों को सियासी नुकसान की आशंका भी जताई जा रही है। देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि आयोग जल्द ही इस बाबत बड़ा ऐलान कर सकता है। सियासी जानकारों का कहना है कि जिस तरह राम नाम की धूम दिख रही है,उसे देखते हुए विपक्ष को सियासी नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे यह जानना जरूरी है कि विपक्ष के किन दस बड़े चेहरों ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।

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राहुल गांधी

कांग्रेस ने पहले ही अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया था कि अयोध्या में 22 जनवरी को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे,सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी हिस्सा नहीं लेंगे। श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़े आयोजकों की ओर से कांग्रेस पार्टी के इन तीनों वरिष्ठ नेताओं को काफी पहले यह न्योता भेजा गया था।

कांग्रेस की ओर से इस न्योते को ठुकराने का कारण भी बताया गया था। पार्टी का कहना था कि यह आयोजन भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है और चुनावी लाभ हासिल करने के लिए अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों अपनी भारत जोड़ो में यात्रा में व्यस्त हैं। उनकी यह यात्रा इन दोनों असम में है। आज उन्हें नगांव जिले में स्थित वैष्णव संत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जाना था, लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। इस पर राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जताई उन्होंने कहा कि राज्य के अफसरों ने उन्हें नगांव स्थित श्री शंकरदेव मंदिर में जाने की अनुमति नहीं दी।

राहुल गांधी ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ धरना भी दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि असम सरकार के निर्देश कर उन्हें दर्शन से रोका गया। उन्होंने सवाल किया कि मैंने कौन सा अपराध किया है कि मुझे मंदिर जाने से रोका गया। वैसे कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने अयोध्या के कार्यक्रम का बहिष्कार किए जाने के पार्टी के फैसले पर सवाल भी उठाए।

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शरद पवार

एनसीपी के मुखिया शरद पवार को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता भेजा गया था। न्योता मिलने के बाद उन्होंने बाद में अयोध्या जाने की बात कही थी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा होने के बाद मैं स्वतंत्र रूप से समय निकालकर दर्शन के लिए आऊंगा और तब तक राम मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा।

इससे पहले निमंत्रण न मिलने पर शरद पवार ने भाजपा पर कटाक्ष किया था। उनका कहना था कि यह समझना मुश्किल है कि भाजपा इस मुद्दे का इस्तेमाल धार्मिक या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कर रही है।

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उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना उद्धव गुट के मुखिया उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण देने के लिए समय तक नहीं दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद उन्हें स्पीड पोस्ट से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था।

उद्धव ठाकरे ने पहले ही 22 जनवरी को नासिक के कालाराम मंदिर में आरती करने का ऐलान कर दिया था। ठाकरे ने कुछ दिनों पूर्व बयान दिया था कि उन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मुझे राम मंदिर के लिए किसी निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है। मैं 22 जनवरी के बाद किसी दिन अयोध्या जाकर भगवान राम के दर्शन करूंगा। उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने स्पीड पोस्ट से निमंत्रण भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि ठाकरे परिवार के साथ यह व्यवहार करने पर भगवान राम ऐसे लोगों को श्राप देंगे।

उनका कहना था कि भाजपा के लोग ठाकरे परिवार के साथ यह बुरा बर्ताव कर रहे हैं। ठाकरे परिवार ने राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भगवान राम आपको माफ नहीं करेंगे और इसके लिए वे आपको श्राप देंगे।

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ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अयोध्या नहीं पहुंचीं। ममता बनर्जी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे 22 जनवरी को सद्भावना रैली का आयोजन करेंगी। ममता बनर्जी की सद्भावना रैली की शुरुआत आज दक्षिण कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग से इस रैली की शुरुआत हुई।

इस रैली में सभी धर्मों के लोग शामिल हुए। ममता बनर्जी के निर्देश पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में भी रैली निकाली। ममता बनर्जी का कहना था कि अयोध्या का कार्यक्रम भाजपा और संघ का राजनीतिक एजेंडा है और इसलिए मैं इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लूंगी। ममता की पार्टी के सभी नेताओं ने अयोध्या के कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।

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अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा नहीं लिया। सपा की ओर से भी इस मुद्दे पर भाजपा पर अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने का आरोप लगाया गया था। सपा मुखिया अखिलेश यादव आज पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की चर्चा भी की।

मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद पत्थर की मूर्ति भगवान बन जाएगी। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है, और हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग भगवान राम द्वारा दिखायी गयी रीति, नीति और मर्यादा का पालन करते हैं, वे उनके सच्चे भक्त हैं।

रामराज की चर्चा करते हुए सपा मुखिया ने कहा कि जब समाज के हर वर्ग के लोग खुश होते हैं तभी रामराज की कल्पना की जा सकती है। अखिलेश यादव ने पहले ही ऐलान किया था कि वे प्राण प्रतिष्ठा के बाद किसी दिन अयोध्या जाकर भगवान राम के दर्शन करेंगे।

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अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। उन्होंने पहले ही कहा था कि सुरक्षा कारणों से एक निमंत्रण पर सिर्फ एक ही शख्स को वहां जाने की अनुमति दी गई है। इसलिए मैं 22 जनवरी के बाद किसी भी दिन अयोध्या जाकर भगवान राम लाल के दर्शन करूंगा। प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर आप की ओर से दिल्ली में शोभायात्राओं का आयोजन किया गया।

इसके साथ ही विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में भंडारे का भी आयोजन किया गया। आम आदमी पार्टी की ओर से पहले से ही विभिन्न मंदिरों में सुंदरकांड का पाठ किया जा रहा है। इन आयोजनों में केजरीवाल समेत अन्य पार्टी नेताओं ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही प्यारेलाल भवन में तीन दिवसीय रामलीला का आयोजन भी किया गया है। आप की ओर से इन आयोजनों को हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश माना जा रहा है।

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मायावती

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता दिया गया था मगर उन्होंने पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में निमंत्रण मिलने की पुष्टि की थी।

उनका कहना था कि बहुजन समाज पार्टी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। हम सबका सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भी निमंत्रण मिला है। इसलिए स्वागत है। मायावती ने मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव में अपनी व्यस्तता का हवाला दिया था।

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लालू प्रसाद यादव

राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी अयोध्या के कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था मगर उन्होंने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया था। उन्होंने पहले ही साफ तौर पर कहा था कि वे 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे। हालांकि लालू प्रसाद यादव ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में हिस्सा न लेने का कोई विशेष कारण नहीं बताया।

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नीतीश कुमार

राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को भी भगवान रामलला के प्रमाण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने नीतीश कुमार को निमंत्रण मिलने की पुष्टि की थी। हालांकि नीतीश कुमार ने अंतिम समय तक इस कार्यक्रम को लेकर चुप्पी साधे रखी।

बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी ने 22 जनवरी को नीतीश कुमार की व्यस्तता का हवाला दिया था। उनका कहना था कि इस दिन नीतीश कुमार को कई विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास में शामिल होना है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि नीतीश कुमार और जदयू भगवान राम में पूरी आस्था रखते हैं।

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प्रकाश अंबेडकर

वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर को भी अयोध्या आमंत्रित किया गया था मगर उन्होंने पहले ही 22 जनवरी को अयोध्या न जाने का ऐलान कर दिया था। उनका कहना था कि वे 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे क्योंकि भाजपा और संघ ने इस धार्मिक कार्यक्रम को चुनावी का फायदे के लिए पॉलीटिकल कैंपेन बना दिया है।

उनका कहना था कि भाजपा इसके जरिए लोकसभा चुनाव में सियासी फायदा उठाना चाहती है। भाजपा और संघ ने नस्ल को देश से ऊपर रख दिया है और मेरे दादा बीआर अंबेडकर ने इस बात का डर जताया था। मेरे दादा का कहना था कि ऐसी स्थिति में हमारी आजादी खतरे में पड़ जाएगी।

Shashi kant gautam

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