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30 जनपदों से जुटाया चंदा, रामलला को अपने हाथों से बने वस्त्र करेंगी भेंट तीन तलाक पीडिताएं

26 जनवरी के बाद, तीन तलाक पीड़ित महिलाएं रामलला के दर्शन के लिए जा रही हैं। हर वर्ष अपने हाथों से रामलला के लिए मोती जड़ित वस्त्र तैयार करेंगी।

Aakanksha Dixit
Written By Aakanksha Dixit
Published on: 3 Jan 2024 12:12 PM IST (Updated on: 3 Jan 2024 12:55 PM IST)
Ayodhya News
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फरहत नकवी source; social media  

Ram mandir news : 26 जनवरी के बाद, तीन तलाक पीड़ित महिलाएं रामलला के दर्शन के लिए जा रही हैं। उन्हें न केवल रामलला की अद्वितीयता का आनंद लेने का अवसर मिलेगा, बल्कि वे अपने हाथों से बनाए गए एक विशेष वस्त्र को भी समर्पित करेंगी। यह वस्त्र बरेली के प्रमुख शिल्पकला क्षेत्र में मशहूर जरी जरदोजी से तैयार किया जा रहा है। राममंदिर के निर्माण में, आस्था के साथ-साथ सामाजिक समरसता भी उच्चता से उठ रही है, जिससे रामलला के साथ जुड़े प्रेम के कारन ही धार्मिक बंधन छूट रहा है। लोगों में धर्म को लेकर भेद-भाव ख़त्म होता नज़र आ रहा है। 26 जनवरी के बाद, तीन तलाक पीड़ित महिलाएं रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या की यात्रा कर रही हैं।

मंदिर निर्माण के साथ-साथ, इस समय आस्था और सामाजिक समरसता भी बड़ा महत्त्व रखती है। तीन तलाक के खिलाफ मुखर मेरा हक फाउंडेशन के नेतृत्व तथा अध्यक्ष फरहत नकवी की अध्यक्षता में मुस्लिम महिलाएं चंदा जुटा रही हैं, जिनमें बरेली, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद, मेरठ, प्रयागराज समेत 30 जनपदों से जजुड़ कर यह कार्य किया गया हैं। इन महिलाओं का कहना है कि जो भी राशि इकठ्ठा होगी, वह श्री राम मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाएगी। फरहत नकवी ने यह भी साझा किया कि उन्होंने ईदगाह के लिए हिंदू समुदाय से ज़मीन दान की गयी है और अब उन्होंने राम मंदिर निर्माण में योगदान देने का समर्थन किया है।

मोती जड़ित होंगे रामलला के वस्त्र

रामलला को सौंपे जाने वाले वस्त्र मोती से जुड़े हुए होंगे। महिलाएं कह रही हैं कि जब ट्रस्ट से इसकी अनुमति मिलेगी, तब वे हर वर्ष अपने हाथों से रामलला के लिए मोती जड़ित वस्त्र तैयार करेंगी। वास्तविकता में, मेरा हक फाउंडेशन के साथ जुड़ी महिलाएं जरी जरदोजी का काम करती हैं, जिसमें हर छोटे-बड़े काम को हाथों से किया जाता है।

मुस्लिम भाई बहनों से मिल रहा लगातार सहयोग

मंदिर निर्माण के लिए, संघ के अभियान को कई स्थानों पर मुस्लिम समाज का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। दो साल पहले, पाटन, नेपाल के डॉक्टर दंपति हामिद मंसूरी और मुमताज ने रामलला के दर्शन करने के साथ-साथ दान भी किया था। तमिलनाडु के डब्ल्यू एस हबीब ने अपने दान के माध्यम से बताया कि उन्हें हिंदू-मुस्लिम में अपनापन एक सौहार्दपूर्ण दृष्टिकोण का प्रतीक है। हाल ही में, काशी प्रांत के 27 जिलों से अधिकांश 4 हजार से अधिक मुसलमानों ने योजना के लिए अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान किया है।



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Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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