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Ayodhya News: प्रदेश के विकास में भूमिका निभाने आगे आएं युवा, Avadh university convocation में राज्यपाल
Ayodhya News: राज्यपाल ने कहा कि भारत एक समृद्ध विरासत का राष्ट्र है, और इसका ध्वजवाहक आपको ही बनना है। अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आगे कठिन परिश्रम करें। भारत सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की सौ दिन की रिपोर्ट में मुद्रा लोन की धनराशि बढाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है।
Ayodhya News: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समारोह में छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाये रखने में सदैव गुरुकुलों एवं विश्वविद्यालयों का रहा है। इसमें समाज के निर्माण एवं संवर्धन में विश्वविद्यालयों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। संस्कृति, ज्ञान एवं परंपरा के संरक्षक एवं विभिन्न कालों में नवीन परम्पराओं के संवाहक एवं नवोन्मेष शोध केंद्र के रूप में ये समाज को सकारात्मक दिशा देने का कार्य रहे हैं। कुलाधिपति ने स्वर्णपदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन छात्राएं आगे बढ़ रही है। इनमें छात्राओं की संख्या काफी है। समाज के सर्वागीण विकास एवं सशक्त बनाने में इनकी भूमिका बढ़ जाती है।
समारोह में राज्यपाल ने कहा कि आपकी सफलता में आपके माता-पिता, गुरूओं की विशेष भूमिका होती है। आप सभी भारत के सबसे युवा एवं सबसे बड़ी पूंजी है। भारत युवा देश में से एक है। हमारी पचपन प्रतिशत से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है। वर्ष 2030 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे। देश के प्रधानमंत्री ने 2047 तक एक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए हम सभी के पास स्वर्णिम अपार संभावनाएं है। बल्कि उसके अनुरूप परिस्थितियां भी है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत एक समृद्ध विरासत का राष्ट्र है, और इसका ध्वजवाहक आपको ही बनना है। अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आगे कठिन परिश्रम करें। भारत सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की सौ दिन की रिपोर्ट में मुद्रा लोन की धनराशि बढाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुलाधिपति ने कहा कि प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाने के लिए कार्य करें। अयोध्या अपनी पुरातन संस्कृति के साथ सज-धज रही है। रेलवे स्टेशनों का पुनरोद्धार किया गया। वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। यहां पर पर्यटन होटल धर्मनगरी के रूप में अयोध्या विकसित हो रही है। दुनिया के विश्वविद्यालय अब भारत में अपने केन्द्र खोल रहे हैं। भारत विश्व की अर्थव्यवस्था पांचवे से तीसरे स्थान की ओर अग्रसर हैं। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी बनाये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति संचालित पाठ्यक्रमों का संचालन अवध विश्वविद्यालय कर रहा है।
समारोह में कुलाधिपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र ने 2021-22 से स्नातक स्तर पर तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा सफलता पूर्वक क्रियान्वित किया गया और जिसके त्रिवर्षीय स्नातक एवं परास्नातक के प्रथम बैच सत्र 2023-24 में सफलता पूर्वक पूर्ण हो चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत संचालित समस्त पाठ्यक्रमों के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापरक शोध को प्रोत्साहित करने हेतु विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-2025 से ‘‘शोध एवं विकास नीति‘‘ को क्रियान्वित किया है। उक्त के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ शोध पुरस्कार, सीडग्रांट को उपलब्ध कराना, गुणवत्ता युक्त शोध पत्रों हेतु नगद पुरस्कार, शोध छात्रों के लिए फेलोशिप, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन हेतु तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रतिभाग करने हेतु वित्तीय सहायता इत्यादि सुविधाएं प्रदान किए जाने संबंधी प्रावधानों का समावेश विश्वविद्यालय परिसर के शोधार्थियों तथा शिक्षकों के शैक्षणिक विकास के लिए सुनिश्चित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, पी-एच.डी. स्कॉलर के लिए पी-एच.डी. थीसिस को समुचित, समान तथा वैज्ञानिक ढंग से लिखने तथा उसको जमा करने हेतु एक मार्ग निर्देशिका तैयार कर सत्र 2024-2025 से भी लागू की गई है। समारोह में उन्होंने कहा कि सत्र 2024-2025 से विश्वविद्यालय ने आवासीय परिसर के शिक्षकों के लिए ‘‘परामर्श नीति‘‘ को निर्मित करते हुए क्रियान्वित भी कर दिया है, जिसका उद्देश्य बाहरी संस्थाओं तथा संगठनों को उन समस्याओं के संबंध में पेशेवर सलाह तथा समाधान प्रदान करना है जिनको वह स्वयं समाधान करने में सक्षम नहीं होते हैं। इस परामर्श नीति के क्रियान्वित किए जाने से न केवल शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के पेशेवर ज्ञान तथा दक्षता में अभिवृद्धि होती है बल्कि विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से धन की प्राप्ति भी होती है।
राज्यपाल ने कहा कि छात्राएं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन आगे बढ़ रही हैं। सत्र 2023-24 की परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले 200218 विद्यार्थियों में छात्राओं का प्रतिशत 55 है, और आज के दीक्षांत समारोह में संबंधित पाठ्यक्रमों में सर्वोच्च अंको से उत्तीर्ण होने वाले 116 प्रदान किये जाने वाले स्वर्ण पदकों मे से 65 स्वर्ण पदक छात्राओं को प्राप्त हुए हैं, जो 64 प्रतिशत है। बालिकाओं का इस प्रकार का प्रदर्शन न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि स्वागत योग्य होने के साथ समाज के सर्वांगीण विकास में महिलाओं की सशक्त भूमिका के आह्वान का एक सुन्दर एवं सुखद संदेश है। अन्त में राज्यपाल ने सभागार में उपस्थित स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी कहा कि आप अपने ज्ञान, संस्कार व मूल्य आधारित ज्ञान एवं चेतना से देश व समाज की निस्वार्थ सेवा करेंगे।
शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए विकास का साधन
विवि के 29 वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि यूनेस्को संचालित महात्मा गांधी शांति व सतत् विकासार्थ शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो0 भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए अद्यतन ज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी, उत्कृष्ट, नैतिकता, उच्च सामाजिक संवेदना एवं उच्च राष्ट्रनिष्ठा के संस्कारों के प्रस्फुटन व विकास का साधन है। देश व समाज का आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास शिक्षा के अनुरूप व उसके समानुपात में ही होता है। देश के भावी विकास की दिशा व गति हमारे 15 लाख विद्यालयों के 27 करोड़ विद्यार्थियों एवं 1100 विश्वविद्यालयों सहित 45,000 महाविद्यालयों में अध्यनरत 4 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं की शिक्षा-दीक्षा पर ही निर्भर करेगी।
छात्र संस्था के ब्राण्ड अम्बेस्डर होते हैः रजनी तिवारी
दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर विद्यमान होकर प्रतिवर्ष लाखो का जीवन प्रतिमान कर रहा है। भारतीय ज्ञान परम्परा के विकसित करने के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है। हमें अपनी प्राचीन शिक्षा का गौरव वापस पाने के लिए वैदिक शिक्षा का अपनाना होगा। किसी भी विश्वविद्यालय के छात्र उस संस्था के ब्राण्ड अम्बेस्डर होते है। सभी युवाओं से अपील है। कि राष्ट्र के निर्माण में सार्थक रूप से योगदान करें।
विद्यार्थी जीवन का उपयोग ज्ञान और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करें
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने अतिथियो का स्वागत व विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर, तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है, इसके अंतर्गत प्रथम बैच के विद्यार्थी सत्र 2023-24 में उत्तीर्ण हो चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसर में उ.प्र. कौशल विकास मिशन के कौशल विकासार्थ एक स्किल हब स्थापित किया गया है जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध महाविद्यालय के विद्यार्थियों को फूलों से इत्र, टूरिस्ट गाइड एवं कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों में कौशल विकास संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों के लिये रोजगार प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे।
कुलपति ने बताया कि सत्र 2023-24 में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 200218 उपाधियाँ प्रदान की जा रही हैं जिनमे: छात्र एवं 58ः छात्रायें हैं। इन सफल विद्यार्थियों की उपाधियाँ आज आपके कर कमलों से, भारत सरकार के डिजिलॉकर में ई-प्रमाणपत्र के रूप में उपलब्ध करायी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस दीक्षान्त समारोह में सर्वोच्च अंकों से उत्तीर्ण होने वाले 116 प्रदान किये जाने वाले स्वर्ण पदकों मे 65 स्वर्ण पदक छात्राओं को दिए जा रहे हैं जो की कुल संख्या का 64 प्रतिशत है। समारोह में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में अन्तर विभागीय, महाविद्यालयीय एवं विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त परिसर स्तर पर विभिन्न विषयों पर भाषण, निबंध, पोस्टर मेकिंग एवं पेन्टिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएं देश के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों, ख्यातिलब्ध शोध व शैक्षणिक संस्थानों, बैंकिंग सेवा, भारतीय सेना एवं निजी क्षेत्र के उद्यमों के साथ-साथ विदेशों में स्थित महत्वपूर्ण संस्थानों में भी अपनी सेवाएं दे रहे है।