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आयुष डाक्टरों की याचिका पर कोर्ट ने मानदेय दिलाने से साफ इंकार कर दिया

Rishi
Published on: 18 April 2017 9:39 PM IST
आयुष डाक्टरों की याचिका पर कोर्ट ने मानदेय दिलाने से साफ इंकार कर दिया
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लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आयुष डाक्टरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना में लगे एलोपैथिक व बीडीएस डॉक्टरों के बराबर मानदेय दिलाने से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस संबध में आयुष डाक्टरों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि यदि दो पदों के लिए शैक्षिक योग्यता और दायित्वों में अंतर है, तो समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत नहीं लागू होता।

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यह आदेश जस्टिस एसएन शुक्ला व जस्टिस एस के सिंह (प्रथम) की खंडपीठ ने विभिन्न जिलों में एनएचएम योजना के तहत तैनात 115 आयुष डॉक्टरों की याचिका पर दिया।

याचिका में कहा गया था, कि 2009-10 तक एलोपैथिक, बीडीएस व आयुष डॉक्टरों सभी का मानदेय एक समान 24 हजार रुपये था। लेकिन वर्ष 2010-11 में एलोपैथिक डॉक्टरों का मानदेय 30 हजार कर दिया गया। इसके बाद पुनः 2011-12 में ग्रामीण इलाकों में तैनात एलोपैथिक डॉक्टरों का मानदेय 36 हजार और शहरी इलाकों में 33 हजार कर दिया गया। जबकि बीडीएस डॉक्टरों का भी मानदेय बढाकर 35 हजार और 30 हजार कर दिया गया। वहीं आयुष डॉक्टरों के मानदेय का पुनरीक्षण नहीं किया गया और उनके नवीनीकरण पर भी रोक लगा दी गई।

बाद में कोर्ट के आदेश के बाद आयुष डॉक्टरों का नवीनीकरण कर लिया गया लेकिन मानदेय जस का तस रहा। जिसे संविधान के अनुच्छेद- 39(डी), 14 व 16 के विरुद्ध बताते हुए, आयुष डॉक्टरों ने हाईकोर्ट की शरण ली।

याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समान कार्य के लिए समान वेतन पर निर्णय लेते हुए न सिर्फ दायित्वों व कार्यों को ध्यान में रखना होता है बल्कि सम्बंधित पदों के लिए निर्धारित की गई शैक्षिक योग्यता, गुणात्मक अंतर और जवाबदेही की मात्रा को भी ध्यान में रखना होता है। यदि दो पदों के दायित्व व कार्य एक ही प्रकृति के हैं, लेकिन निर्धारित की गई शैक्षिक योग्यता और जवाबदेही की मात्रा में अंतर है तो समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत नहीं लागू होगा। यदि दो पदों पर ये अंतर हैं तो राज्य द्वारा वेतनमान में अंतर करना औचित्यपूर्ण है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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