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आजमगढ़ 2017 : धनाभाव के कारण तमाम परियोजनाएं अधर में लटकी

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 9:40 AM GMT
आजमगढ़ 2017 : धनाभाव के कारण तमाम परियोजनाएं अधर में लटकी
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आजमगढ़ : जिले के लोगों के लिए वर्ष 2017 उम्मीदों में ही गुजर गया। सपा शासनकाल में जिले में विकास की तमाम परियोजनाओं का शुभारम्भ हुआ, लेकिन वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा के सत्ता से बाहर हो जाने के बाद इन परियोजनाओं का काम ठप हो गया।

धनाभाव के कारण तमाम परियोजनाएं लटकी हुई हैं। दूसरी तरफ इनकी लागत में भी कई गुना इजाफा हो गया है। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनके पूरा होने से लोगों को काफी सुविधा होती।

अधर में लटका निर्माण कार्य

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आजमगढ़ का सांसद होने के कारण पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में इस जिले में काफी विकास कार्य हुए। कई विकास कार्यों का शिलान्यास हुआ। इनमें से कलेक्ट्रेट, राजकीय महिला महाविद्यालय समदी, दुग्ध डेयरी लेदौरा, अतरौलिया में 100 बेड का अस्पताल आदि परियोजनाएं पूरी हो गयीं।

इसके विपरीत सिधारी रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज, हरिऔध कला भवन, रोडवेज भवन, पुराने शाही पुल पर नये पुल का निर्माण, हाजीपुर गोला पुल का निर्माण अभी अधर में लटका हुआ है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बने छह माह से अधिक समय हो गया मगर जिले में अभी तक एक भी नई परियोजना का शुभारम्भ नहीं किया गया।

रोडवेज के निर्माण के लिए सपा सरकार ने 16.19 करोड़ के बजट का आवंटन किया था। इस बजट से रोडवेज भवन का निर्माण कर कार्यदायी संस्था ने भवन हैंडओवर भी कर दिया। नये भवन में विभाग के आफिस भी शिफ्ट हो गए मगर अभी तक बसों के खड़ा होने वाला प्लेटफार्म नहीं बनाया गया।

कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम को सरकार से मिलने वाले 3.44 करोड़ रुपये का इंतजार है। इसी तरह से सिधारी स्थित रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज के लिए सपा सरकार ने 30 करोड़ के बजट का आवंटन किया था। इसमें से कार्यदायी संस्था को 21 करोड़ मिल गए थे। ओवरब्रिज का निर्माण मार्च 2017 में पूरा हो जाना था। बजट न मिलने व खनन पर रोक लगने के कारण इस ओवरब्रिज का निर्माण अभी अधूरा पड़ा है।

धीमी पड़ी पुल निर्माण की रफ्तार

पुराने शाही पुल को बचाने के लिए उसके बगल में नए पुल के निर्माण के लिए सात करोड़ रूपये का बजट निर्धारित किया गया। यह कार्य नवम्बर 2016 में शुरू होकर जून 2017 में पूरा होना था। इसके लिए अभी तक सवा दो करोड़ रुपये ही जारी हो पाए हैं। इस कारण निर्माण काफी धीमी गति से हो रहा है।

शहर के विकास भवन के पास स्थित हरिऔध कला भवन के निर्माण के लिए 1717 लाख का बजट निर्धारित किया गया था। दिसम्बर 2014 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ जिसे दिसम्बर 2016 में पूरा होना था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद अभी तक इसके निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्था को सरकार से बजट का इंतजार है। ऐसी स्थिति में लगातार लागत भी बढ़ती जा रही है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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