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बुनकरों के लिए मिले 15 करोड़ डकारे, विधायक की शिकायत पर गठित हुई जांच समिति

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Published on: 10 Nov 2017 8:57 AM GMT
बुनकरों के लिए मिले 15 करोड़ डकारे, विधायक की शिकायत पर गठित हुई जांच समिति
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़। बुनकरों के उत्थान के लिए मिली 15 करोड़ रुपए की रकम डकार ली गयी। हथकरघा विभाग व बुनकर समितियां मिलीभगत करके यह रकम मिल बांटकर खा गयीं। अब यह मामला गरमा गया है क्योंकि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी गयी है। जांच शुरू होने में मुश्किल यह है कि जब जांच अधिकारी संबंधित फाइलें मांग रहे हैं तो हथकरघा विभाग घोटाले से जुड़ी फाइलें देने से आनाकानी कर रहा है। वजह यह कि इस गड़बड़झाले में ऊपर से लेकर नीचे तक सभी मिले हुए हैं। गला फंसने की आशंका के कारण विभागीय लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।

किस मद का है यह धन

सहायक निदेशक हथकरघा, जनपद मऊ एवं मुबारकपुर परिक्षेत्र जनपद आजमगढ़ की बुनकर समितियों की मिलीभगत से केन्द्र सरकार से अनुदान के रूप में मिले 15 करोड़ रुपए की रकम की विभागीय लोगों ने बंदरबांट कर ली। यह धन वर्ष 2010-11 में हथकरघा विभाग के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने विपणन प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत स्वीकृत किया था और अप्रैल 2015 में बुनकरों के उत्थान के लिए अनुदान स्वरूप दिया गया था। इस धन को बुनकरों के उत्थान पर खर्च करने के बजाय हथकरघा विभाग एवं बुनकर समितियां मिल बांटकर खा गयी।

विधायक की शिकायत पर गठित हुई जांच समिति

बुनकरों के हक पर डाले गए इस डाके की लिखित शिकायत मुबारकपुर क्षेत्र के बसपा विधायक शाहआलम उर्फ गुड्डïू जमाली ने उत्तर प्रदेश शासन से की थी। शासन ने विधायक की इस शिकायत का संज्ञान लेकर डीएम को मामले की जांच का निर्देश दिया। शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति गठित कर जांच का आदेश दिया है। इस समिति में सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी सुनील सिंह, वरिष्ठ कोषाधिकारी एवं सहायक निबंधक कोआपरेटिव को नामित किया गया है।

जांच समिति गठित होने से मचा हड़कंप

15 करोड़ के इस घोटाले की जांच के लिए समिति गठित होने की सूचना से हड़कम्प मचा हुआ है। बुनकर समितियों के संचालक के साथ-साथ हथकरघा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी काफी परेशान नजर आ रहे हैं। सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी सुनील सिंह जांच शुरू करने के साथ ही काफी सक्रिय हो गए हैं। वे कुछ दिन पहले मऊ स्थित सहायक निदेशक हथकरघा के कार्यालय गये थे और संबंधित फाइलों की मांग भी की थी।

यह अलग बात है कि हथकरघा विभाग ने उन्हें कोई भी फाइल उपलब्ध नहीं कराई। जांच अधिकारी सुनील सिंह ने इसकी लिखित शिकायत जिलाधिकारी से की। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बीते 2 नवम्बर को जिलाधिकारी ने संबंधित फाइलें जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने का निर्देश सहायक निदेशक हथकरघा को दिया है। इसके बावजूद विभाग की ओर से अभी तक जांच समिति को फाइलें नहीं उपलब्ध करायी गयी है।

हड़कंप मचने की क्या है वजह

बुनकरों के मद के 15 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के मामले में हड़कंप मचने के कारणों पर गौर किया जाए तो सबसे बड़ा कारण यह है कि इस जांच टीम में सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी सुनील सिंह को रखा गया है। सुनील सिंह भ्रष्टïाचार व घोटाले के कई मामलों की जांच कर रहे हैं। अभी हाल ही में जिलाधिकारी ने सुनील सिंह से मदरसों एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा किये गये 150 करोड़ के छात्रवृत्ति व अन्य मदों के घोटालों की जांच करायी थी। इस जांच के दौरान दर्जनों लोग घेरे में आए। इनमें से कई लोग गिरफ्तार कर लिए गए। साथ ही कई लोग फरारी काट रहे हैं और पुलिस इनकी तलाश में जुटी हुई है। यही वजह है कि इस घोटाले से जुड़े लोगों को यह लगता है कि जांच होने पर उनका गला फंसना तय है। इसी वजह से वे यह जांच नहीं होने देना चाहते हैं। फाइलें देने में टालमटोल के पीछे यही कारण बताया जा रहा है।

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क्या कहते हैं जांच अधिकारी

जांच अधिकारी बनाए गए सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी सुनील सिंह का कहना है कि उन्हें जो भी जांच सौंपी जाती है वह पूरी निष्ठïा व ईमानदारी के साथ जांच करते हैं। यही वजह है कि उन्होंने जो भी जांच की है उसमें निश्चित रूप से कुछ न कुछ लोग लपेटे में आए हैं। श्री सिंह का कहना है कि हथकरघा विभाग से संबंधित पत्रावली की मांग की गयी, किन्तु अभी तक पत्रावली उपलब्ध नहीं करायी गयी है। उनका यह भी कहना है कि बुनकर समितियां एवं हथकरघा विभाग के लोग उन्हें जांच समिति से हटाने के लिए सिर से पैर तक का जोर लगा दिए हैं।

हर किसी को चोर व बेइमान समझना गलत

घोटाले की फाइलें उपलब्ध कराए जाने के बाबत पूछे जाने पर सहायक निदेशक हथकरघा मऊ ने कहा कि जांच अधिकारी सुनील सिंह इस दुनिया खुद को सबसे बड़ा ईमानदार समझते हैं। उनकी नजर में हर कोई चोर व बेईमान है। यह सोच गलत है। उन्होंने कहा कि सुनील सिंह फाइलें लेने के लिए उनके कार्यालय में आए थे और जिलाधिकारी ने भी संबंधित फाइलें मुहैया कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि उनका विभाग परचून की दुकान नहीं कि कोई आकर कुछ मांगे तो उसे थमा दिया जाए। फाइल देने का एक तरीका होता है। वह डाक के माध्यम से फाइलें जिलाधिकारी को भेज रहे हैं।

जांच अधिकारी पर धनउगाही के आरोप

15 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच कर रहे सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी सुनील सिंह दूध के धुले नहीं हैं। उनके ऊपर बराबर जांच के दौरान धनउगाही के आरोप लगते रहे हैं। बावजूद इसके जिला प्रशासन लगातार उन्हें जांच सौंपता रहा है। इन स्थितियों में जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है। आरोप तो यहां तक लगे कि सुनील सिंह और उनकी पत्नी अर्थ एवं संख्याधिकारी आजमगढ़ अर्चना सिंह से कई जांच करायी गयी है। पति-पत्नी से किसी मामले की जांच कराना किसी को न्यायोचित नहीं लगा। लोगों ने इसके पक्ष में यह तर्क दिया कि पति-पत्नी एक ही भाषा बोलते हैं। लिहाजा किसी मामले में दोनों को जांच अधिकारी नहीं बनाना चाहिए। फिर जिले में अधिकारियों की कौन सी कमी है जो सारी जांच इन्हीं से करायी जा रही है।

हाईकोर्ट के आदेश की हो रही अवहेलना

जिला प्रशासन ने कई ऐसे मामलों में सहायक अर्थ एवं संख्याधिकारी को जांच सौंप दी है, जिसके लिए वह अधिकृत ही नहीं हैं और ऐसा करके हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना की गयी है। उदाहरण के तौर पर उच्च न्यायालय उ.प्र. इलाहाबाद में याचिकाकर्ता छोटेलाल सिंह के रिट सं.- ए एनओ-38429 आफ 2017 दिनांक 24-08-2017 के आदेश के अनुसार बेसिक शिक्षा एक्ट में बेसिक शिक्षा विभाग अपने आप में सम्पूर्ण विभाग है। ऐसी स्थिति में डीएम व मंडलायुक्त को किसी राजनीतिक पार्टी या अन्य के दबाव में या कहने पर बेसिक शिक्षा विभाग के किसी मामले की जांच शिक्षा विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग से नहीं करानी चाहिए। इसके बावजूद जिला प्रशासन सुनील सिंह से शिक्षा विभाग के कई मामलों की जांच करा रहा है, जबकि उनका शिक्षा विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में जहां सुनील सिंह के ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है कि सुनील सिंह से सारी जांच कराकर जिला प्रशासन उनके माध्यम से धनउगाही करा रहा है।

आप ने दी आंदोलन की चेतावनी

आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक राजेश यादव का कहना है कि अवैधानिक चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। उनका कहना है कि यदि उच्च न्यायालय ने यह कहा है कि शिक्षा विभाग की जांच किसी अन्य विभाग से नहीं करायी जा सकती तो सभी को न्यायालय के आदेश का सम्मान करना चाहिए। यदि जान-बूझकर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही है तो निश्चित रूप से ऐसा करके भ्रष्टïाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे आम आदमी पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। श्री यादव का कहना है कि वह इस मुद्दे पर जल्दी ही अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ डीएम व मंडलायुक्त से मिलेंगे तथा उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे। इसके बाद भी हाईकोर्ट के आदेशों का यदि माखौल उड़ाया जाता रहेगा तो वह इस मुद्दे को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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