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Azamgarh: सीएम योगी के करीबी रहे एमएलसी यशवंत सिंह भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित, जानिए वजह

Azamgarh: आजमगढ़-मऊ स्थानीय प्राधिकारी चुनाव में यशवन्त सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह 'रिशू' द्वारा निर्दल पर्चा भर दिए जाने के कारण बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

Azamgarh Saurabh Upadhyay
Published on: 4 April 2022 11:56 AM GMT
MLC Yashwant Singh expelled from BJP for 6 years
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यशवन्त सिंह को पार्टी से निष्कासित। 

Azamgarh: आजमगढ़-मऊ (Azamgarh-Mau) स्थानीय प्राधिकारी चुनाव में यशवन्त सिंह (Yashwant Singh) के पुत्र विक्रांत सिंह 'रिशू' द्वारा निर्दल पर्चा भर दिए जाने के कारण बीजेपी (BJP) ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। जिसे लेकर आज़मगढ़-मऊ (Azamgarh-Mau) सहित पूरे पूर्वाचल के यशवन्त सिंह (Yashwant Singh) समर्थक कार्यकर्ताओं में व्यापक रोष व्याप्त हो गया है। जिसे लेकर पार्टी के अन्दर और बाहर के बुद्धिजीवी पार्टी आलाकमान के इस निर्णय की आलोचना कर रहे हैं।

यशवन्त सिंह की सियासत में व्यापक असर पर पकड़

बताते चलें कि बीजेपी में यशवन्त सिंह (Yashwant Singh) पूर्वांचल के एक मात्र कद्दावर नेता हैं। जिनका इस क्षेत्र की सियासत में व्यापक असर और बहुत गहरी व्यक्तिगत पकड़ है। अब देखना यह है कि पार्टी अपने इस अविवेकपूर्ण निर्णय पर कब पश्चाताप करती है। क्योंकि दो माह बाद लोकसभा का उप चुनाव और दो साल बाद लोकसभा का चुनाव होना है। यह खबर लिखे जाने तक यशवन्त सिंह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी। किन्तु उनके समर्थकों को पता है कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) उनको व्यक्तिगत रूप से बहुत चाहते हैं क्योंकि यशवंत सिंह (Yashwant Singh) ने वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) के लिए अपनी विधानपरिषद की सदस्यता को त्याग कर सबको चौकाते हुए एक मिसाल कायम किया था। तब से अब तक वह पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं।

आजमगढ़-मऊ में विगत दो साल से चुनाव लड़ने की तैयारी

ऐसे में सवाल यह उठता है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व चाटुकारों से घिरा है या फिर भांग खाये हुए है। विक्रांत सिंह रिशु (Vikrant Singh Rishu) जो अपने पिता के साथ पार्टी की सेवा कर रहे थे और आज़मगढ़-मऊ (Azamgarh-Mau) में विगत दो साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, उन्हें या फिर पार्टी के अन्य दूसरे कार्यकर्ता जैसे- सहजानन्द राय, दीपक राय, जयनाथ सिंह, राजेश सिंह महुवारी आदि को टिकट न देकर उसे टिकट दे दिया जिसने अपने बाप को जिताने के लिए चुनाव का रण ही छोड़ दिया।

आखिर पूर्वांचल की जनता यह जनाना चाहती है कि भाजपा कौन सी राजनीति कर रही है। क्या वह अपने इस अविवेकपूर्ण कदम के माध्यम से यशवन्त सिंह (Yashwant Singh) को यह संदेश/संकेत दे रही है कि वह जो अब तक अपने बेटे का खुलकर प्रचार नहीं कर रहे थे, अब आखिरकार खुलकर प्रचार करें और सपा के गढ़ आज़मगढ़-मऊ (Azamgarh-Mau) में किसी भी तरह से कमल खिला दें। यदि ऐसा नहीं है तो नैसर्गिक न्याय का तकाजा यही है कि सपा विधायक के पुत्र को प्रत्याशी बनाया न्यायोचित कदापि नहीं था। खैर, सियासत और जंग में सब कुछ जायज होता है। इसलिए आगे आगे-आगे देखिए होता है क्या?

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Deepak Kumar

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