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आजमगढ़ में सड़क का चौड़ीकरण नहीं हुआ पूरा, ढहाए गए थे रानी की सराय कस्बे

ढहाए गए रानी की सराय कस्बे में व्यापारियों की आह तैर रही है। अब तो बर्बाद हो चुके रानी की सराय कस्बे के व्यापारी यही चाह रहे हैं कि सड़क का चौड़ीकरण जल्दी हो जाय, ताकि उनकी दुकानदारी फिर पटरी पर आ सके।

Azamgarh Saurabh Upadhyay
Reporter Azamgarh Saurabh UpadhyayPublished By Monika
Published on: 23 April 2021 11:10 PM IST (Updated on: 23 April 2021 11:31 PM IST)
आजमगढ़ में सड़क का चौड़ीकरण नहीं हुआ पूरा, ढहाए गए थे रानी की सराय कस्बे
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अब तक नहीं हुआ सड़क निर्माण  

आजमगढ़: ढहाए गए रानी की सराय कस्बे में व्यापारियों की आह तैर रही है। अब तो बर्बाद हो चुके रानी की सराय कस्बे के व्यापारी यही चाह रहे हैं कि सड़क का चौड़ीकरण जल्दी हो जाय, ताकि उनकी दुकानदारी फिर पटरी पर आ सके। यह अलग बात है कि प्रशासन इस काम में भी सुस्ती ही दिखा रहा है। इसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। इसके साथ ही हाइवे निर्माण में भी देरी की जा रही है। सब मिलाकर प्रशासनिक अमला सरकार को पूरी तरह से बदनाम करने पर तुला हुआ है।

मेंहनगर के राजा रतन सिंह के इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद उनकी पत्नी रानी रत्न ज्योति कुंवर ने पति से नाता तोड़ लिया और रानी की सराय कस्बे को बसाकर यहीं पर रहने लगी। ऐसे में रानी की सराय कस्बा अति प्राचीन और ऐतिहासिक है। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ती गई और सरकार सड़क का चौड़ीकरण करती चली गई। इन स्थितियों में तमाम पुराने मकान सड़क से सट गए। बाद के दिनों में सरकार की ओर से यह कहा गया कि लोगों ने सड़क की जमीन में मकान बना लिया है, ऐसे में उसे तोड़ा जाएगा। लोग मुआवजे की मांग किए तो सरकार ने अपनी जमीन होने की बात कहकर मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया। ऐसा भी समय आया, जब रानी की सराय कस्बे को आनन-फानन में ढहा दिया गया। यहां के व्यापारी अपना सामान हटाने का मौका तक नहीं पाए। ऐसे में अधिकांश व्यापारियों की लाखों की क्षति हुई। मकान ढहाया गया तो तमाम कच्चे मकान सैकड़ों वर्ष पुराने निकले। इसके बाद भी यहां के व्यापारियों को मुआवजा नहीं मिला। ऐसी स्थिति में हमेशा हिन्दुत्व का झंडा ढोने वाले यहां के व्यापारी अपनी ही सरकार में अपने साथ हुई नाइंसाफी के कारण भाजपा से नाराज हो गए। सरकार चाहती तो रानी की सराय कस्बे को नहीं ढहाती। उसकी वजह यह थी कि कस्बे के बाहर से हाइवे निकल रहा है और उसका निर्माण कार्य पूर्ण होने वाला है। इस हाइवे के बन जाने के बाद खुद ब खुद कस्बे से होकर जाने वाली सड़क पर लोड काफी कम हो जाएगा, और जाम नहीं लगेगा।

बहरहाल यहां के अमनपसंद व्यापारी अपने साथ हुआ यह अन्याय सह गए। अब तो वह यही चाह रहे हैं कि सरकार उनकी जितनी जमीन में सड़क बनाना चाहे, जल्द बना ले। साथ ही नाली का निर्माण भी कर ले। उसके बाद वह अपना मकान दुरूस्त करें और अपनी दुकानदारी को पटरी पर लायें। यह अलग बात है कि कस्बे को ढहाने के बाद संवेदनहीन प्रशासन सड़क को दुरूस्त नहीं कर रहा है, जिसके कारण व्यापारियों में काफी गुस्सा है। इसके साथ ही प्रशासन की ओर से बार-बार यह भी कहा जा रहा है कि आजमगढ़ से वाराणसी जाने वाला नेशनल हाईवे जुलाई में जनता को समर्पित हो जाएगा। इससे पूर्व पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे मई में जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

जुलाई से पूर्व हाईवे को तैयार करने का भरोसा दिया

केंद्र सरकार की सड़क परिवहन मंत्रालय की वीडियो कांफ्रेंसिंग में कार्यदायी संस्था ने जुलाई से पूर्व हाईवे को तैयार करने का भरोसा दिया है। इसके विपरीत सच तो यह है कि इस हाइवे के निर्माण कार्य को अविलम्ब पूर्ण करने की दिशा में भी अधिकारी उदासीनतापूर्ण रवैया अख्तियार किये हुए हैं। बहरहान दोनों हाइवे की उपलब्धियां मिलने के बाद आजमगढ़ ही नहीं पूर्वांचल में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगीं। जिलाधिकारी राजेश कुमार भी यही कह रहे हैं कि केंद्र सरकार की सड़क परिवहन मंत्रालय नेशनल हाईवे-233 आजमगढ़-वाराणसी मार्ग जनता को समर्पित करने के लिए कटिबद्ध है। मैं खुद भी नियमित मॉनिटरिग कर रहा हूं, जिससे किसी तरह की बाधा न आने पाए। रानी की सराय में दिक्कतें थी, जिसे दूर कर लिया गया है। आजमगढ़ जिले की सीमा में 80 फीसद काम हो चुके हैं। हाईवे बनने के बाद आजमगढ़ से वाराणसी की दूरी लोग ढाई घंटे में तय कर सकेंगे।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट

जिलाधिकारी का कहना है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अनुमानत: 22494:66 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के कार्य प्रगति की शासन से रोजाना जानकारी ली जाती है। जिले में हम लोग भी उसे जल्द पूरा कराने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उम्मीद है कि मई में इसे जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे की लंबाई 340:824 किमी है। फिलहाल पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे व यमुना एक्सप्रेस-वे से जुड़कर यातायात को सुगम बनाएगा। वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत एवं प्रदूषण नियंत्रण भी संभव हो सकेगा। सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा। हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डारण गृह, मंडी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना में एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। पर्यटन के विकास को बल मिलेगा एवं विकास से उपेक्षित प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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