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Azamgarh News: महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नारी शक्तियों को किया सम्मानित, खुशी से भींग गईं आंखें
Azamgarh News: बीस वर्ष पूर्व 2004 में डा. पूनम तिवारी चिकित्सकीय क्षेत्र को अपने पेशे के रूप में चुनी और वह इसी दौरान समाज में महिलाओं की स्थिति को देखकर उनका हृदय द्रवित हुआ और वह महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए निकल पड़ी।
महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नारी शक्तियों को किया सम्मानित (Photo- Social Media)
Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति राजभवन में आयोजित अलंकरण समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा नारी शक्ति संस्थान की सचिव डा. पूनम तिवारी को सम्मानित किये जाने से आजमगढ़ सहित पूर्वांचल की नारी शक्तियों में हर्ष व्याप्त है।
किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक खोखा-कबड्डी खेल की राज्य स्तरीय ओपन गेम की खिलाडी अपने संकल्पों के दम पर न सिर्फ नारी समाज के उत्थान में अपना अहम योगदान देगी बल्कि नारी शक्ति संस्थान का गठन कर पूर्वांचल से लेकर राजधानी तक अपने सशक्तिकरण का अमिट हस्ताक्षर बनाएगी। बीस वर्ष पूर्व 2004 में डा. पूनम तिवारी चिकित्सकीय क्षेत्र को अपने पेशे के रूप में चुनी और वह इसी दौरान समाज में महिलाओं की स्थिति को देखकर उनका हृदय द्रवित हुआ और वह महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए निकल पड़ी।
महिलाओं के लिए एक उदहारण बनीं डा. पूनम तिवारी
उन्होंने समाज की महिलाओं को नई राह दिखाने का एक बार जो बीड़ा उठाया वह आज नारी शक्ति संस्थान के रूप में महिलाओं के लिए एक अनुकरणीय पाठ बन चुका है। अपने चिकित्सकीय, पारिवारिक कर्तव्यों के बीच ही उन्होंने समाज के हर वर्ग की महिलाओं को एकजुट कर स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा पर एक व्यापक रूपरेखा तैयार की और 2010 से नारी शक्ति संस्थान की पहली बैठक की और समाज में इसकी अलख जगाते हुए 2013 में नारी शक्ति संस्थान को पंजीकृत कराया। इसके बाद डा. तिवारी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने न सिर्फ आजमगढ़ में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को धार दिया बल्कि देश के किसी भी कोने में महिलाओं के साथ अत्याचार, रेप आदि जघन्य घटनाएं घटित हुई तो उसका दर्द उन्होंने भी महसूस करते हुए डीएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने से नहीं चूकी और नारी शक्ति की आवाज को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तक पहुचांने का कार्य किया। डेढ़ दशक की जमीनी परिश्रम को उस समय पंख लगा जब राजभवन से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित करने का निर्णय लिया गया।
इस सम्मान को ग्रहण करते हुए डा पूनम तिवारी की आंखे खुशी से भींग गई लेकिन उससे भी ज्यादा किसी की आंखे भीगी थी तो वह उनकी बेटी प्रत्यक्षा तिवारी, पुत्र रिदित प्रांजल तिवारी की। इन बच्चों ने अपनी मां को हर दिन समाज की महिलाओं के लिए संघर्ष करते हुए करीब से देखा था। महिला दिवस के मौके पर जैसे ही राजभवन में डा. पूनम तिवारी को प्रशस्ति पत्र मिलने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो आजमगढ़ से लगायत पूर्वांचल सहित पूरे देश-प्रदेश से उन्हें बधाईयां मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर खास लेकर आम तक डा. पूनम तिवारी को आजमगढ़ का गौरव बताते नहीं थके।
यह भी बता दें कि डा पूनम तिवारी की प्रतिभा रंगमंच में भी है उन्होंने नाटक उजड़ा हुआ महाविद्यालय, असाढ़ का एक दिन, माइम शो (कोलकाता), बिटिया की विदाई (अंतर्राष्ट्रीय डांस ड्रामा फेस्टिवल कटक) के साथ-साथ फिल्म बदरी द क्लाउड (हिंदी फिल्म), बंधन (भोजपुरी हिट फिल्म), दहशत, मी-रक्सम, (वालीवुड फिल्म) कठपुतली में अपने अभिनय का भी लोहा मनवाया है। वहीं उनकी आने वाली हिन्दी फिल्म मल्लाह है जिसका लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे है।