Azamgarh News: 1857 की क्रांति के बाद राष्ट्रीयता का उदय हुआ: नजम शमीम

Azamgarh News: आज़मगढ़ में कांग्रेस कमेटी द्वारा गुलामी का पूरा स्थित कार्यालय पर मोहम्मद नजम शमीम की अध्यक्षता में 9 अगस्त क्रांतिदिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

Shravan Kumar
Published on: 9 Aug 2024 3:33 PM GMT
Revolution of 1857 Nationalism arose after
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1857 की क्रांति के बाद राष्ट्रीयता का उदय हुआ: Photo- Newstrack

Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के शहर आज़मगढ़ में कांग्रेस कमेटी द्वारा गुलामी का पूरा स्थित कार्यालय पर मोहम्मद नजम शमीम की अध्यक्षता में 9 अगस्त क्रांतिदिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उन्होंने कहा कि 1857 के विद्रोह के बाद भारत में राष्ट्रीयता का उदय होने लगा था। 1885 में कांग्रेस की स्थापना के साथ इसे एक संगठित रूप देने का प्रयास शुरू किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका के वापस आने के बाद कांग्रेस आम जनता की कांग्रेस बनने की तरफ अग्रसर हुई। देश में गांधी युग की शुरुआत हूई, समाज के हर वर्ग को एक जुट करके स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ाने का कार्य गांधी जी द्वारा किया गया।

गांधी जी द्वारा किये गए आन्दोलन

गांधी जी द्वारा तीन राष्ट्रीय आंदोलन किए गए पहला असहयोग आंदोलन था, जिसमें सरकार के साथ सहयोग नहीं करना था। जब देशवासियों के अंदर संघर्ष की क्षमता और अधिक विकसित हुई तब गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का नारा दिया था। इसमें सरकार का सहयोग न करने के साथ-साथ कानून को तोड़ने को भी कहा गया, नमक कानून को तोड़कर गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की, भारत में राष्ट्रीयता जब हर वर्ग में चरम पर पहुंच गई तब महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों को आदेश देते हुए कि वह भारत छोड़ दें भारत छोड़ो आंदोलन अंतिम आंदोलन था उसके बाद अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ा 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नेहरू जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पेश किया था।सरदार पटेल जी ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था।


शहर महासचिव रेयाज़ुल हसन ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जेल में डालने के बाद जनता सड़कों पर उतर गई और पूरे देश मे अंग्रेजों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने लगे।

मिर्ज़ा शान आलम बेग ने कहा कि अगस्त क्रांति भारत की आज़ादी की लड़ाई के इतिहास में एक महत्वपूर्ण निर्णायक जनसंघर्ष की गौरवशाली दास्तां का दूसरा नाम है।

इसके पाश्चात्य कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी जी की मूर्ति पर माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलवी अब्दुल हक़ मोहल्ला कोट के आश्रित अनवर मुजतबा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महमूद ख़ान बाज़बहादुर के आश्रित मोहम्मद आकिल खान को उनके आवास पर जाकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में सर्वश्री मोहम्मद नजम शमीम, मिर्ज़ा शान आलम बेग, रेयाजुल हसन, गोविंद शर्मा, मनतराज यादव, मोहम्मद अफजल, बालचंद राम, शादाब, शारिक, असलम, नसर, पंकज, मोहम्मद अफ़सार, अनवर मुजतबा, आरिफ मुजतबा, अहमद सुल्तान, कोमल प्रजापति, समीर अहमद, मुशीर अहमद आदि लोग उपस्थित रहे!

Shashi kant gautam

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