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Jharkhand: 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स' की तरफ बढ़ा राज्य, तेलंगाना शिफ्ट होंगे इंडिया गठबंधन के विधायक ! JMM-BJP भी तैयार

Jharkhand Politics: झारखंड में सियासी सरगर्मी तेज है। झामुमो की ओर से चंपई सोरेन ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। बीजेपी भी सक्रिय है। लगातार बैठकों का दौर जारी है।

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Published on: 1 Feb 2024 3:00 PM IST (Updated on: 1 Feb 2024 3:10 PM IST)
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चंपई सोरेन (Social Media)

Jharkhand Political Crisis: झारखंड में मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के इस्तीफे के बाद राज्य का सियासी तापमान हाई है। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार रात हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली सत्ताधारी इंडिया गठबंधन ने चंपई सोरेन (Champai Soren) को विधायक दल का नेता चुन लिया।

राज्य में सियासी हलचल के बीच राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन का पत्र गवर्नर को सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। बावजूद, राज्यपाल ने अभी तक सरकार गठन का न्योता नहीं दिया है। झामुमो विधायक लगातार राज्यपाल से मांग कर रहे हैं लेकिन, राजभवन से कोई पेशकश नहीं हुई है।

झारखंड में 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स' शुरू

इस बीच, झारखंड में बीजेपी नेताओं की बैठकों का दौर चल रहा है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी रांची पहुंच चुके हैं। बढ़ती सियासी गहमागहमी के बीच अब राज्य की सियासत एक बार फिर से 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स' (Resort Politics) की ओर बढ़ती नजर आ रही है। भाजपा भी अपनी सक्रियता बनाए हुए है, जबकि जेएमएम-कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन की तमाम पार्टियां भी बारीक नजर बनाए हुए है।

...तो विधायक होंगे अन्य राज्य में शिफ्ट

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले गठबंधन को अगर गुरुवार (01 फरवरी) की शाम तक सरकार बनाने का न्योता नहीं मिलता है, तो इंडिया गठबंधन के सभी दलों के विधायकों को झारखंड के बाहर किसी अन्य राज्य में शिफ्ट किया जा सकता है।

तेलंगाना होंगे शिफ्ट !

कहा तो ये जा रहा है कि, सभी विधायकों को तेलंगाना ले जाया जा सकता है। इंडिया गठबंधन (India Alliance) ने यह फैसला विधायकों के बिखराव के खतरे को कम करने के लिए लिया है। तेलंगाना में नई नवेली कांग्रेस सरकार है, ऐसे में संभव है कि इंडिया गठबंधन के विधायकों को लगता है कि विधायकों को एकजुट रखने के लिए उन्हें तेलंगाना सबसे सुरक्षित ठिकाना प्रतीत हो रहा है।

झारखंड में नई नहीं है 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स'

आपको बता दें, झारखंड में पहले भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स देखने को मिला है। साल 2022 में ही जब हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ का पद (Office of Profit) का मामला आया था। उस वक़्त भी राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना था। हेमंत सोरेन की विधायकी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा था। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अपने विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट किया था। उस समय छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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