TRENDING TAGS :
उलेमा बोले- बिना किसी शर्त के मौलाना नदवी करें वापसी, बोर्ड के सामने रखें अपनी बात
बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट के बाहर समझौते की बात कहते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अलग हुए दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के शेखुल हदीस मौलाना सलमान नदवी ने एक बार फिर यू टर्न लिया है। नदवी ने सोशल मीडिया पर अयोध्या मसले का हल कोर्ट से ही होने की बात कहते हुए कुछ शर्तों के पर्सनल लॉ बोर्ड में वापसी के संकेत दिए हैं।
सहारनपुर: बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट के बाहर समझौते की बात कहते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अलग हुए दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के शेखुल हदीस मौलाना सलमान नदवी ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है। नदवी ने सोशल मीडिया पर अयोध्या मसले का हल कोर्ट से ही होने की बात कहते हुए कुछ शर्तों के पर्सनल लॉ बोर्ड में वापसी के संकेत दिए हैं।
उलेमा ने नदवी की शर्तों को नकारते हुए कहा कि बेहतर है कि वह बिना किसी शर्त के वापस लौटे और बोर्ड के सामने अपनी बात रखें। हैदराबाद में हुई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक से ठीक पहले आर्ट ऑफ लीविंग के श्री श्री रविशंकर से मुलाकात कर समझौते का फॉरमूला पेश करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ही किए जाने की बात कहकर चर्चा में आए प्रसिद्ध आलिम ए दीन मौलाना सलमान नदवी को खासी फजीहत झेलनी पड़ी थी।
अब एक बार फिर मौलाना नदवी ने यूटर्न लिया है और सोशल मीडिया पर अयोध्या मसले का हल कोर्ट से ही होने की बात कही है। साथ ही कुछ शर्ताे के साथ बोर्ड में वापसी के भी संकेत दिये हैं, जिसके बाद वह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।
बिना किसी शर्त के करें वापसी
मौलाना सलमान के यूटर्न पर तंजीम उलेमा-ए-हिंद के प्रदेशाध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि मौलाना नदवी प्रसिद्ध आलिम व दानिशवर हैं, उनके द्वारा अदालत के ही फैसले की वकालत करना अच्छा कदम है। कहा कि यह बातें मीडिया में करने की नहीं होती कि फला-फलां को निकाल दिया जाए। इसलिए वह बिना किसी शर्त के बोर्ड में वापसी करें और अपनी बात जिम्मेदारों के समक्ष रखें। फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि लगता है कि मौलाना को अहसास हो गया है कि उनका इस्तेमाल किया गया है। अगर वास्तव में ऐसा है तो मौलाना को अपनी गलती मानते हुए बिना किसी शर्त के बोर्ड में वापसी करनी चाहिए और बोर्ड के जिम्मेदारों के सामने अपनी बात रखनी चाहिए। कहा कि शर्तों से केवल मामला बिगड़ता है जबकि वार्ता से मसले का हल मुमकिन है।