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अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर खड़ा सवाल, मेरठ के LLRM मेडिकल कॉलेज के हाल भी कोई अच्छे नहीं

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से मचे कोहराम ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। मेरठ स्थित लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज (एलएलआरएम ) के साथ ही प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में भी ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थिति ज्यादा बेहतर नही है।

priyankajoshi
Published on: 12 Aug 2017 3:02 PM GMT
अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर खड़ा सवाल, मेरठ के LLRM मेडिकल कॉलेज के हाल भी कोई अच्छे नहीं
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मेरठ : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से मचे कोहराम ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। मेरठ स्थित लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज (एलएलआरएम ) के साथ ही प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में भी ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थिति ज्यादा बेहतर नही है।

जैसा की जिला मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है, हर दिन दोंनो ही ऑक्सीजन के 100 सिलेंडरों की प्रतिदिन खपत होने के बाद भी मात्र 150 सिलेंडर ही स्टॉक में रहते हैं।

यह स्थिति तो तब है जबकि यहां मेरठ मंडल के गंभीर मरीज बड़ी संख्या में उपचार के लिए पहुंचते हैं। जिला मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजकुमार के अनुसार मरीजों की ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था अस्पताल में की गई है। अस्पतालों के बच्चा वार्ड में ऑक्सीजन की अधिक जरुरत होती है। इस कारण आपात स्थिति के लिए अभी सिलेंडर रखे जाते हैं।

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स्टॉक नहीं है पर्याप्त

अस्पताल के सूत्रों की मानें तो प्रति सिलेंडर के लिए स्वाथ्य महकमा 178 रुपए खर्च कर रहा है। मेडिकल अस्पताल का हाल यह है कि यहां नई ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग में अभी तक पाइप लाइन से ऑक्सीजन की सुविधा तक नही है। सिलेंडर से ही मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है। सूत्र मानते हैं कि अस्पताल के पास ऑक्सीजन के सिलेंडरों का जो स्टॉक है वह आपात स्थिति के लिए पर्याप्त नही है। हालांकि, स्वास्थ्य महकमें के आला अफसर ऑक्सीजन के सिलेंडरों की कमी की समस्या का समाधान जल्द ही होने का दावा करते हैं।

क्या कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी का?

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजकुमार कहते है कि ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल कॉलेज परिसर में ही ऑक्सीजन का प्लांट लगाया जा रहा है। प्लांट लगाने का काम पूर्ण होते ही ऑक्सीजन की आपूर्ति मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में अधिक हो जाएगी। अब प्लांट कब पूर्ण होगा और प्लांट शुरु होने के बाद स्थिति में कितना सुधार आएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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फिर से दोहरा सकती है घटना

फिलहाल तो मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी कभी भी गोरखपुर की घटना दोहरा सकती है। मेरठ के लिए गंभीर बात यह भी है कि यहां ऑक्सीजन उपलब्धता के मामले में सरकारी अस्पताल ही नहीं बल्कि निजी अस्पतालों की हालत ठीक नहीं है।

सूत्र बताते हैं कि मेरठ के निजी अस्पतालों में प्रतिदिन करीब ढाई हजार ऑक्सीजन के सिलेंडरों की आपूर्ति होती है। जबकि एक हजार सिलेंडर इन हास्पिटल के पास आपात स्थिति के नाम पर स्टॉक में होते हैं। ऑक्सीजन उपलब्धता के मानक पर खरे ना उतरने वाले इन निजी अस्पतालों के खिलाफ शायद ही कभी स्वास्थ्य महकमें ने कोई मुहिम चलाई हो।

मरीजों की मौत होना सामान्य बात

ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के अलावा भी मेडिकल कॉलेज में और भी कई अन्य समस्याएं हैं। गौरतलब है कि दोंनो अस्पतालों में आईसीयू में गंभीर मरीजों के लिए मात्र 50 बेड की व्यवस्था है। ऐसे में इस अधिक मरीज आने की स्थिति में यहां स्थिति कई बार विस्फोटक हो चुकी है। ऐसी ही एक ताजा घटना में बिजनौर के गांव निवासी इशरत (60) को कल गंभीर हालत में एंबुलेंस में बिजनौर से मेडिकल अस्पताल लाया गया। लेकिन कई घंटों तक मरीज को वेंटीलेटर नसीब नही हो सका। चिकित्सकों ने मरीज के परिजनों से कहा कि अस्पताल की इमरजेंसी में 14 वेंटीलेटर हैं और एक भी खाली नही है। अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीज भर्ती नही करने की स्थिति में मरीजों की मौत होना तो यहां सामान्य बात हो चुकी है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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