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बदहाल क्वारेंटाइन सेंटर, यहां तो रसोई में सब घसर-पसर हैं

इस केन्द्र पर मौजूद लोग भोजन व सफाई की व्यवस्था से पूरी तरह असंतुष्ट दिखे। उन्होंने यह भी कहा कि बीच -बीच में आने वाले एक उपनिरीक्षक द्वारा उनसे केवल गाली देकर बात की जाती है। आखिर उन सबका दोष क्या है, जिसके कारण से उन्हें गाली खानी पड़ रही है।

राम केवी
Published on: 28 April 2020 1:15 PM GMT
बदहाल क्वारेंटाइन सेंटर, यहां तो रसोई में सब घसर-पसर हैं
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अम्बेडकर नगर। क्वारेंटाइन केन्द्रों पर बेहतर व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारी द्वारा प्रतिदिन बैठकें की जा रही हैं। अधिकारियों को दिशा -निर्देश दिये जा रहे हैं। वहां पर किसी भी प्रकार की कोई कमी पाये जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही है लेकिन सवाल ये हैं कि क्या क्वारेंटाइन केन्द्रों पर शासन की मंशा के अनुरूप क्वारेंटाइन किये गये लोगों को भोजन उपलब्ध हो पा रहा है, क्या जिला मुख्यालय पर स्थापित क्वारेंन्टीन केन्द्रों पर साफ सफाई तथा अन्य सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है।

सवाल ये भी हैं कि क्या यहां पर रहने वाले लोगों से वहां की व्यवस्था के बारे मे जानने का प्रयास किया जा रहा है, क्या अपने निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी व्यवस्थाओं का भौतिक रूप से जायजा ले रहे हैं, इन सभी सवालों का जवाब शायद न में ही है। प्रस्तुत है क्वारेंटाइन केन्द्रों पर भोजन पंहुचाने के लिए नामित अपना आदर्श जलपान गृह से लेकर क्वारेंन्टाइन केन्द्रों तक की आंखो देखी स्थिति

मनीष मिश्र की रिपोर्ट -

शुरूआत करते हैं पटेल नगर में स्थित उस स्थान से जहां से सभी क्वारेंन्टाइन केन्द्रों को भोजन की आपूर्ति की जा रही है। एकलब्य स्टेडियम में तो सामुदायिक किचेन की व्यवस्था है लेकिन कुछ खाने के सामान पटेल नगर स्थित मुख्य केन्द्र से ही भेजे जा रहे हैं।

इस केन्द्र पर अन्दर जाने पर पता चला कि यहां प्रतिदिन दस से बारह हजार लोगों का भोजन बन रहा है। इनमेें से सुबह व शाम पांच से छह हजार लोगों का भोजन बनता है। यहां से भोजन की आपूर्ति फौव्वारा तिराहा, तहसील तिराहा, रोडवेज, पटेल नगर, पर स्थापित सामुदायिक किचन एवं इन्जीनियरिंग कालेज, रमाबाई महिला महाविद्यालय व एकलव्य स्टेडियम में बने क्वारेंटीन केन्द्रों पर की जाती है।

जिस स्थान पर भोजन बनाया जा रहा है वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है। लोग एक दूसरे के पास खड़े होकर खाना बनाते व ले जाते देखे गये। यहां पर सब्जी काटने केे स्थान पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही किया जा रहा था।

प्रश्न यह है कि आखिर एक ही व्यक्ति के ऊपर इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों सौंप दी गई। साफ है कि इतनी ज्यादा संख्या में दोनो टाइम लगातार भोजन आपूर्ति करने में भोजन की गुणवत्ता कैसी रहती होगी, इसे क्वारेंन्टीन केन्द्र पर मौजूद लोग स्वतः ही बयां करते हैं।

एकलब्य स्टेडियम में क्वारेंन्टीन केन्द्र पर सिपाही का फरमान यहां वर्जित है मीडिया का प्रवेश

यह संवाददाता जब एकलब्य स्टेडियम में बने क्वारेंन्टीन केन्द्र की व्यवस्था देखने पंहुचा तो कुछ ही देर बाद वहां मौजूद पुलिस कर्मी अनूप कुमार सरोज ने कहा कि यहां पर मीडिया का प्रवेश वर्जित है। हालांकि जब उनसे इस सम्बन्ध में कैमरे पर बोलने को कहा गया तो वह खिसक गये।

इसके पूर्व ही क्वारेन्टीन केन्द्र पर मौजूद लोगों ने बताया कि उन्हें सुबह एक चाय मिलती है और उसके बाद भोजन के लिए बारह बजे तक का इंतजार करना पड़ता है।

मैदान में नगर पालिका के पानी के दो टैंकर खड़े थे जिन पर सभी लोग आकर पानी पीते हैं। यहां पर सामुदायिक किचेन की व्यवस्था तो है लेकिन बताया गया कि पूड़ी अथवा अन्य भोजन पटेल नगर से ही आता है। यहां पर कुछ लोगों को जीने के नीचे कम्बल बिछाकर सोते हुए देखा गया।

रमाबाई महिला महाविद्यालय में बने क्वारेंन्टीन केन्द्र की स्थिति बेहाल

रमाबाई राजकीय महिला महाविद्यालय में बनाये गये क्वारेंन्टीन केन्द्र पर 273 लोगों को रखा गया है। यहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि न तो शौचालय की ही सही व्यवस्था और न ही नहाने की। शौचालय चोक हो जाने के कारण उसमें से जबरदस्त बदबू निकलती है जिसके कारण अब लोग बाहर मैदान में जाने को मजबूर हो गये हैं।

गंदगी से पटे पड़े शौचालय, नित्य क्रिया के लिए बाहर जा रहे लोग

मौजूद सफाई कर्मियों ने बताया कि वे सब लगातार शौचालयों की सफाई कर रहे है लेकिन इसके बावजूद स्थिति भयावह है। मैदान में नगर पालिका के दो मोबाइल शौचालय खड़े कर दिये गये हैं लेकिन प्रशासन ने आज तक न तो बाल्टी उपलब्ध कराई न मग्गा न डिब्बा । ऐसी स्थिति में इन शौचालयों में लोग पानी लेकर कैसे जायें। इस कारण से यह शौचालय केवल शोपीस बने हुए हैं।

चार दिन से नहीं बदली गई चादर

बताया गया कि चार दिन से उनके बिस्तरों के चादर नही बदले गये हैं जबकि चादर का बण्डल परिसर में रखा गया है। प्रशासन ने कुछ लोगों को बीच -बीच में मास्क व साबुन उपलब्ध कराया है लेकिन ज्यादातर लोग आज भी गमछे का ही प्रयोग करते देखे गये। किसी को भी सेनेटाइजर नही दिया गया है। यहां तक कि परिसर को भी सेनेटाइज करने में लापरवाही बरती जा रही है।

उन्होंने बताया कि नहाने के लिए भी प्रशासन ने बाल्टी अथवा अन्य सामानों की व्यवस्था नही की है जिसके कारण लोग नगर पालिका की टंकी के नीचे बैठकर ही नहाने को मजबूर हैं। उनका कहना था कि सुबह नाश्ते में चाय व एक दो बिस्कुट दिया जाता है। ज्यादातर समय भोजन में दाल चावल ही दिया जा रहा है। दाल भी ऐसी कि उसमें केवल पानी ही दिखता है। किसी समय यदि सब्जी मिल गई तो उसमें आलू व पानी के सिवाय कुछ नही दिखता।

बोले, ज्यादातर टाइम दिया जा रहा केवल दाल - चावल

इस केन्द्र पर मौजूद लोग भोजन व सफाई की व्यवस्था से पूरी तरह असंतुष्ट दिखे। उन्होंने यह भी कहा कि बीच -बीच में आने वाले एक उपनिरीक्षक द्वारा उनसे केवल गाली देकर बात की जाती है। आखिर उन सबका दोष क्या है, जिसके कारण से उन्हें गाली खानी पड़ रही है।

इस केन्द्र पर कई ऐसे लोग भी मिले जो इसके पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में क्वारेंन्टीन रह चुके हैं लेकिन उन्हें भी 14 दिन के लिए लाकर रख दिया है। लोगों ने बताया कि उनकी जांच के लिए कोई भी कुछ बताने को तैयार नही है।

खबर के संबंध में बात करने के लिए एडीएम पंकज वर्मा को फोन करके उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।

राम केवी

राम केवी

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