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Baghpat: पेरोल पर रिहा हुए डेरा बाबा राम रहीम एक बार फिर पुराने रंग में रंगे नजर आए

Baghpat : बागपत स्थित डेरा सच्चा सौदा, शाह सतनामजी आश्रम, बरनावा में सोमवार को संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां ने देश-विदेश की साध-संगत से ऑनलाइन रूबरू हुए।

Paras Jain
Report Paras Jain
Published on: 17 Oct 2022 11:43 AM GMT (Updated on: 17 Oct 2022 1:15 PM GMT)
Baghpat: पेरोल पर रिहा हुए डेरा बाबा राम रहीम एक बार फिर पुराने रंग में रंगे नजर आए
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Baghpat: डेरा सच्चा सौदा गुरमीत राम रहीम सिंह पर हत्या, बलात्कार और साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप हैं। 40 दिन की पैरोल मिलने के बाद वह 15 अक्टूबर को आश्रम में पहुँचे थे। राम रहीम, अपने बरनावा आश्रम में ही दीपावली मनाएंगे। डेरा प्रमुख राम रहीम, बागपत के बरनावा में स्थित है। यह राम रहीम का दूसरा सबसे बड़ा डेरा है। वह आज यहां एक बार फिर अपने पुराने रंग में रंगे नज़र आये। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम, गानो की धुन पर भजन गाते, प्रवचन करते और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते वीडियो में दिखे। राम रहीम ने ऑनलाइन संगत करते हुए अपने यूट्यूब एकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया।

उत्तरप्रदेश बागपत स्थित डेरा सच्चा सौदा, शाह सतनामजी आश्रम, बरनावा में सोमवार को गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह (Dr. Gurmeet Ram Rahim Singh) इन्सां ने देश-विदेश की साध-संगत से ऑनलाइन रूबरू होकर दर्श-दीदार दिए। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्थित डेरा सच्चा सौदा के आश्रमों, नामचर्चा घरों और विदेशों में बैठी साध-संगत ने गुरु के अनमोल वचनों को पूरी श्रद्धाभाव से श्रवण किया।

गुरु ने किया गुरुमंत्र प्रदान

इस अवसर पर राजस्थान के श्रीगंगानगर, मेरठ, करनाल व डेरा सच्चा सौदा सांझा धाम मलोट में गुरु ने हजारों लोगों की बुराईयां व नशा छुड़वाया और उन्हें गुरुमंत्र प्रदान किया। बरनावा आश्रम से ऑनलाइन रूबरू होते हुए गुरु ने ''कीमती है ये समां इसे लगाता कहां, सत्संग में आ जा फायदा उठा जा देखे जो सब नाशवां...'' बोला। जिस पर साध-संगत ने नाचगाकर खुशियां मनाई। उपरोक्त भजन पर व्याख्या करते हुए गुरु ने फरमाया कि समय हमेशा से कीमती रहा है। किसी को बचपन में अहसास हो जाता है, वह बहुत ही भाग्यशाली है। कोई जवानी में अहसास कर लेता है, वो भी भाग्यशाली है। कोई अधेड़ अवस्था में एहसास कर लेता है, वो भी अच्छा है। कोई बुज़ुर्ग अवस्था में जाकर एहसास करता है। ना से तो वो भी अच्छा है। समय एक ऐसी अनमोल वस्तु है, जो निकल गया वो वापिस आने से रहा। गुरु ने फरमाया कि आप कहते है कि ये तारीख फिर नही आती, आप तारीख की बात करते है। जो पल गुजर गया वो दोबारा नहीं आता। आज की तारीख, आज का दिन, आज का सन और आज का यह पल। ये जब गुजर गया फिर कब आएगा?

''समय के अनुसार चलना बेहद जरूरी''

राम रहीम ने कहा कि समय कभी भी किसी के लिए ना तो कभी रूका था, ना रूका है और ना ही कभी रूकेगा। यह तो चलता रहता है। टाइम एक ऐसी चीज है, अगर यह रूक गया तो सब कुछ रूक जाता है। लेकिन मनुष्य एक ऐसा जीव है, जो इस टाइम के साथ चल सकता है। चल तो और भी सकते है लेकिन उन्हें इतनी अकल ही नहीं है कि वो समय के मुताबिक चल सकें। समय के अनुसार चलना बेहद जरूरी है। समय के अनुसार पीर-फकीर अपनी बात में थोड़ा-थोड़ा चेेंज करते रहते है। गुरु ने बच्चों में बढ़ते मोबाइल के प्रयोग पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कभी भी इन्सान को गंदगी नहीं देखनी चाहिए। अच्छी चीज देखो। अगर कोई सीखना चाहे तो इन्हीं (मोबाइल) डिवाइस पर बहुत कुछ सीखा जा सकता है। बड़ी तरक्की की जा सकती है और बहुत कुछ कमाया भी जा सकता है। लेकिन आप इनका प्रयोग करके गवाते ज्यादा हो, कमाते कम हो। छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल आदि पर गेम्स खेलते रहते है। जिससे उनकी आंखे कमजोर हो जाती है और बड़े-बड़े चश्मे उनकी आंखों पर आ जाते है।

हिंदु धर्म में ब्रह्मचर्य के लिए 25 साल रखे गए थे: गुरु

गुरु ने आगे फरमाया कि हिंदु धर्म में ब्रह्मचर्य के लिए 25 साल रखे गए थे। उनमें सिर्फ पढ़ाई, शरीर का बनाना, दिमाग को बढ़ाना, ये चीजें वहां सिखाई जाती थी। इसके अलावा बड़ों का सत्कार करना, इन्सानियत का पाढ़ पढ़ाना, इज्जत सत्कार के साथ जीना और सम्मान जीने की शिक्षा देना तथा दूसरों का भी सम्मान करना, ये चीजें गुरुकुल में सिखाई जाती थी। अगले 25 साल घर-गृहस्थी के लिए होते थे। गृहस्थ जीवन के बारे में भी पुराने समय में ट्रेनिंग दी जाती थी। क्योंकि इनसे अनजान होने के कारण बहुत से लोग बीमारियों से घिर जाते है। यह सब समय का चक्कर है और समय को संभालना मां-बाप का फर्ज है।

डा. गुरमीत राम रहीम सिंह ने देश की महान संस्कृति पर प्रकाश डाला

डा. गुरमीत राम रहीम सिंह ने देश की महान संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का कल्चर पूरे विश्व से अलग है और हमारी संस्कृति नंबर वन है। हमने पूरी दुनिया को अपना कल्चर सिखाना है। उनके कल्चर में पड़कर गंद नहीं बनना। कभी ऐसा जमाना भी था जब लोग हमारे देश में पढऩे आया करते थे। नालंदा यूनिवर्सिटी में विदेशों के बच्चे पढऩे के लिए आते थे। हमारा रूपया सबसे आगे था। इसलिए भारत को सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। हमारे देश को सोने की चिडिय़ा बनाने वाले हमारे वशंज ही है। फिर क्यों हम अपनी संस्कृति को छोड़कर दूसरों की संस्कृति को फोलो कर रहे है। क्यों अपनी संस्कृति छोड़कर दूसरों की संस्कृति की तरफ बढ़ते जा रहे है। एक दिन पूरा विश्व हमारी संस्कृति का कायल होकर रहेगा।

विदेशी लोग ढूंढ रहे हैं मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन: रहीम

रहीम ने कहा कि विदेशी लोग अशांत होते जा रहे है और उनको शांति चाहिए और आप लोग उनको फॉलो करते जा रहे है। विदेशी लोग ढूंढ रहे हैं मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन यानि हमारा गुरुमंत्रा। जिसे कलमा, नामशब्द कहा जाता है। अलग-अलग धर्मो में इसके अलग अलग नाम है। वो लोग गुरुमंत्र की तरफ आ रहे है और आप लोग उनकी गंदगी की तरफ जा रहे हो। हमारे बहुत सारे बच्चे उनकी तरफ जा रहे है। यह बहुत दर्दनाक है। पूरा विश्व कायल है हमारी संस्कृति का। आप मानो या ना मानो एक दिन ऐसा आने वाला है। क्योंकि शांति मिलेगी तो हमारे संत-पीर पैगंबरों के बताए गए मार्ग से मिलेगी और वो कहीं लटकता हुआ आम-अमरूद का पेड़ नहीं है जो तोड़कर खा लेंगे और उससे शांति आ जाएगी। वो गुरुमंत्रा, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन ही है जो आत्मा को शांति दे सकता है, दिमाग को शांति दे सकता है। समय को संभालों। क्योंकि हमारी संस्कृति महान है। स्वस्थ परंपरा हमारी थी। सबसे पहले पवित्र वेद बने। यह हर दुनिया का बंदा मानता है। सबसे पुरातन ग्रंथ है तो वह पवित्र वेद है। उनमें सब कुछ लिखा हुआ है। लेकिन पढऩे वाले का नजरिया चाहिए। हमारे पवित्र ग्रंथों में समुन्द्र है ज्ञान का। हम अपने राजाओं से प्रार्थना करेंगे कि दोबारा से ऐसा हो जाए कि विदेशी हमारे यहां पढऩे आए। कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता।

पीर-फकीर संतों का तो काम ही सच बताना होता: राम रहीम

राम रहीम ने फरमाया कि जहां भगवान ना हो, वहां चाहे बुरा कर्म कर लेना और जहां भगवान हो वहां अच्छा कर्म ही करना, लेकिन ऐसी कोई जगह ही नहीं जहां भगवान नहीं है वह तो आपके अंदर ही है तो बुरा कर्म कोई कैसे कर सकता है। पीर-फकीर संतों का तो काम ही सच बताना होता है। लेकिन सच कड़वा होता है। वो अब सब दुनिया जान चुकी है। सच बोलने के लिए जिगरा चाहिए और हमें शाह सतनाम, मस्तान साईं जी ने ऐसा जिगरा दिया है कि सच बोलते थे, सच बोल रहे है और सच बोलते रहेंगे। इसलिए आज हम राजा, महाराजाओं, आम लोगों सबसे ही आह्वान कर रहे है कि वो समय वापिस आ जाए कि विदेशी लोग यह कहने लग जाए कि पढ़ाई करने या कुछ सिखने के लिए हमें भारत में जाना है।

Deepak Kumar

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