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Baghpat News: बांस बल्लियों से जुगाड़ कर बना मौत का पुल, जान हथेली पर लेकर गुजरते हैं ग्रामीण
Baghpat News Today: बागपत में बांस बल्लियों के जुगाड़ पुल से गुजरकर अपनी जिंदगी दाव पर लगाना भी इस गांव के लोगों की मजबूरी है। इसी मजबूरी ने कई लोगों की जान ले ली है।
Baghpat News: देश की राजधानी दिल्ली में फ्लाईओवर और फुट ओवर ब्रिज की बाढ़ है। इन्हीं के सहारे दिल्ली ने तरक्की के कई कीर्तिमान बनाए लेकिन राजधानी दिल्ली से महज 35 किलोमीटर दूर बागपत में एक ऐसा पुल है कि जिसे लोग मौत का पुल कहते हैं। यदि जरा सा चूके तो जिंदगी खत्म। जिन लोगों से चूक हुई वो इस दुनिया में नहीं रहे। यहां के लोगों ने भी वोट दी और सांसद चुनकर देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में भेजे। दावे और वादों के बीच यहां के लोगों की जिंदगी इस पुल के बीच मंडरा रही है।
बांस बल्लियों के जुगाड़ से बना पुल
आपको बता दें कि बागपत में बांस बल्लियों के जुगाड़ से बना एक ऐसा पुल है जिसे पुल कहना मजबूरी है और इस पुल से गुजरकर अपनी जिंदगी दाव पर लगाना भी इस गांव के लोगों की मजबूरी है। इसी मजबूरी ने कई लोगों की जान ले ली है...हालात बदलने के दावे तो खूब किए गए लेकिन यहां के हालात कोई नहीं बदल पाया।
कृष्णी नदी पर बना ये जुगाड़ का पुल
बागपत के बिनौली ब्लाक के इस रहतना गांव के लोगों की जिंदगी कुछ इसी तरीके से मौत के सफर से होकर गुजरती है। यहां पर दो बल्लियों के सहारे गांव के लोगों ने जुगाड़ करके जैसे-तैसे पुल बना लिया। जुगाड़ तो जुगाड़ होता है... ये जुगाड़ कब धोखा दे जाए, ये इसे बनाने वालों को भी नहीं पता है। हर पल यहां मौत झपट्टा मारने के लिए तैयार रहती है....क्योंकि जैसे ही पुल पर कोई शख्स चलता है तो पुल हिचकौले लेने लगता है....ऐसे वक्त में यदि जरा सी भी चूक हुई तो आप सीधे कृष्णी नदी में जा गिरेंगे और यहां का गहरा पानी आपको बचने का भी मौका नहीं देगा।इस जुगाड़ के पुल से गिरकर कई बच्चे मर चुके हैं।
बता दें कि, रहतना गांव के ज्यादातर किसानों के खेत गांव से दूसरी तरफ हैं। वहां तक जल्दी जाने का यही जुगाड़ है। यदि गांव के किसानों को कुछ सामान खरीदने के लिए बाजार जाना पड़ता है तो उन्हें कई किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ता है और वापिस लौटने में भी उतना ही समय लगेगा। वक्त को बचाने के लिए रहतना गांव के लोग अपनी जिंदगी ही दाव पर लगा देते हैं।
गांव के लोगों को पेश हो रही दिक्कतें
दादरी, बिनौली, रहतना, रंछाड़, दाह, पुसार गांव के लोगों को मजबूरी में यही से आना-जाना पड़ता है...गॉव के लोग चाहते है कि यहां एक स्थायी पुल बना दिया जाए। लेकिन ये ग्रामीणों को सरकार और जिला प्रशासन से कई साल से आस है कि एक दिन यहां पुल जरूर बनेगा। अभी न तो ग्राम प्रधान ध्यान देता है, न जिला प्रशासन न सरकार लेकिन इतना जरूर है कि प्रशासन नींद से उस वक्त जरूर जागेगा जब यहां किसी दिन गुजरात जैसा कोई बड़ा हादसा हो जाएगा।