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बड़ौत लड्डू महोत्सव हादसाः न्यायिक जांच शुरू, निष्पक्षता पर टिकी निगाहें
Baghpat News: मचान का ठेका बागपत के बिनौली थाना क्षेत्र के बरनावा गांव निवासी वसीम को दिया गया था, जिसने लगभग आठ दिनों में आठ-दस कारीगरों की मदद से इसे तैयार किया।
Baghpat News: बड़ौत में दिगंबर जैन कॉलेज मैदान में हुए निर्वाण लड्डू महोत्सव हादसे की न्यायिक जांच आधिकारिक रूप से शुरू हो गई है। यह जांच प्रशासन द्वारा गठित मजिस्ट्रियल जांच समिति द्वारा की जा रही है, जिसकी अध्यक्षता एडीएम न्यायिक सुभाष सिंह कर रहे हैं। जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है और किस स्तर पर लापरवाही हुई है ।
65 फीट ऊंचे मचान ने छीनी आठ जिंदगियां... कई की हालत अभी भी गम्भीर
महोत्सव के लिए 65 फीट ऊंचे मान स्तंभ पर पहुंचने हेतु करीब 120 फीट लंबे लकड़ी के मचान का निर्माण किया गया था। इस मचान का ठेका बागपत के बिनौली थाना क्षेत्र के बरनावा गांव निवासी वसीम को दिया गया था, जिसने लगभग आठ दिनों में आठ-दस कारीगरों की मदद से इसे तैयार किया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़, परिसर में हुआ मिट्टी का ताजा भराव और मचान की कमजोर संरचना सहित, क्या अन्य कारण रहे कि यह अचानक ढह गया, जिससे सात लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई, जबकि एक महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक हादसे में करीब 70-80 लोग घायल भी हुए, जिसमे से दर्जनों की हालत आज भी गम्भीर बनी हुई है।
कौन है हादसे का असली दोषी?
प्रशासन द्वारा प्रारम्भिक कार्रवाई में अभी तक केवल ठेकेदार वसीम पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की है, यहां जांच का सबसे अहम सवाल यही है कि क्या केवल ठेकेदार ही दोषी है या अन्य भी जिम्मेदार हैं? महोत्सव के आयोजन की पूरी जिम्मेदारी आदिनाथ भक्तामर प्रचार संगठन, बड़ौत की थी। साथ ही, मानस्तम्भ प्रबंधन कमेटी, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और संबंधित विभागों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि मचान पूरी तरह से सुरक्षित और मानकों के अनुरूप बना हो । लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बिना आधिकारिक जांच के कार्यक्रम को करने की अनुमति करीब 15 दिन पहले ही एसडीएम बड़ौत द्वारा दे दी गयी थी ।
26 वर्षों की परंपरा ने बढ़ाई लापरवाही?
इस महोत्सव का आयोजन पिछले 26 वर्षों से होता आ रहा है और अब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई थी। इसी वजह से आयोजक, प्रशासन और पुलिस ने इसे सामान्य परंपरा समझकर सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर दिया । यह हादसा दर्शाता है कि लापरवाही और असावधानी किसी भी परंपरा को एक घातक दुर्घटना में बदल सकती है ।
क्या जांच होगी निष्पक्ष या होगा लीपापोती का खेल?
डीएम बागपत अस्मिता लाल के निर्देश पर गठित मजिस्ट्रियल जांच समिति का दायरा विस्तृत किया जा सकता है । यदि जांच निष्पक्ष होती है, तो ठेकेदार के अलावा आयोजकों, मानस्तम्भ प्रबंधन कमेटी, प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों की भी जवाबदेही तय की जाएगी। लेकिन अगर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में जांच को दबा दिया गया, तो असली दोषियों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।
श्रद्धालुओं में आक्रोश, जवाबदेही तय करने की मांग
इस दर्दनाक हादसे के बाद स्थनीय जैन श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है। वे चाहते हैं कि इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। मृतकों के परिजनों ने भी सरकार से सख्त जांच और उचित मुआवजे की मांग की है। मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि हादसे की असली वजह क्या थी और किन-किन स्तरों पर लापरवाही बरती गई। यदि प्रशासन ने जांच को निष्पक्ष रूप से पूरा किया, तो यह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब सभी की निगाहें जांच के नतीजों और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं ।