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Bahraich News : कोविड टीके के प्रति फैली भ्रांतियों से ग्रामीण इलाकों में वैक्सिनेशन की रफ्तार हुई सुस्त

Bahraich News : ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर फैली भ्रांति से रफ्तार मंद पड़ती जा रही है।

Anurag Pathak
Reporter Anurag PathakPublished By Shraddha
Published on: 14 Jun 2021 5:59 PM GMT
कोविड टीके के प्रति फैली भ्रांतियों से ग्रामीण इलाकों में वैक्सिनेशन की रफ्तार हुई सुस्त
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कोरोना वैक्सिनेशन (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

Bahraich News : ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन (vaccination) को लेकर फैली भ्रांति से रफ्तार मंद पड़ती जा रही है। विशेश्वरगंज में स्वास्थ्य टीम (health team) को समुदाय विशेष के लोगों ने तीन बार वापस किया। रूपईडीहा में निगरानी समिति के पदाधिकारियों से बवाल करने पर केस दर्ज हुआ है। यही हाल जिले के बलहा, नानपारा का भी है। अगैया में स्वास्थ्य कर्मी भारी बारिश के बीच लोगों को टीका के लिए बुलाने गई। लेकिन लोग नहीं आए।

जिले में 18 वर्ष से 44 वर्ष के लोगों को स्वास्थ्य केंद्रों (health centers) पर टीका लगाया जा रहा है। इसके अलावा लोगों को अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण से आच्छादित करने के लिए स्वास्थ्य टीम गांव पहुंचकर टीका लगा रही है। लेकिन इसका परिणाम शत-प्रतिशत नहीं मिल रहा है। वैक्सीनेशन के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्गों में भी भ्रांतियां फैली हुई हैं। जिससे स्वास्थ्य टीम के जाने के बाद भी लोग टीका नहीं लगवा रहे हैं। लोगों के टीका न लगवाने से वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी पड़ रही है।

नानपारा तहसील अंतर्गत अगैया गांव में सोमवार को आशा बहू मंजू वर्मा व मंजू शुक्ला बारिश के बीच छाता लेकर लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए बुलाने पहुंची। लेकिन स्वास्थ्य टीम के बुलाने के बाद ग्रामीण वैक्सीन लगवाने के लिए नहीं पहुंचे। बलहा के अधीक्षक डॉ. संजय सोलंकी का कहना है कि हम स्वास्थ्य टीम को भेजकर लोगों को बुला सकते हैं। किसी से ज्यादती नहीं कर सकते। इसके बावजूद लोग वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ रहे हैं।

इसी तरह नवाबगंज विकास खंड में जिलाधिकारी द्वारा गठित निगरानी समिति के सदस्य आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। जिससे वैक्सीनेशन नहीं हो पा रहा है। ग्राम सहजना, सुजौली, छोटा पोखरा गांव में स्वास्थ्य टीम के साथ अभद्रता की गई। जिससे स्वास्थ्य टीम को पुलिस का सहयोग लेना पड़ा। ग्रामीणों के इस तरह व्यवहार से जहां स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल नीचा हो रहा है। वहीं वैक्सीनेशन की गति भी धीमी पड़ रही है।

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